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Dr. Satyendra Sharma #कलमसत्यकी
बुद्ध बौद्धिकता का सागर है भर लो, गर विवेक का गागर है। #कलमसत्यकी ©Satyendra Satya #BudhhaPurnima बुद्ध बौद्धिकता का सागर है #कलमसत्यकी ✍️©️
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 बौद्धिकता से जीवन संबंधी सुख सुविधाओं का अंबार तो लगाया जा सकता है पर चेतना की ऊँचाईयों को पा सकना भावनाशील के लिए ही संभव है !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 बौद्धिकता से जीवन संबंधी सुख सुविधाओं का अंबार तो लगाया जा सकता है पर चेतना की ऊँचाईयों को पा सकना भावनाशील के लिए ही संभव है
SONALI SEN
सफलता स्वयं पग चूमे ,विश्व का सार ऐसा हो, सभ्यता और संस्कृति का ,कुछ आकार ऐसा हो, युग पुरुष जैसे मानव हो तो, जय जय भारती की हो, युवा हर एक युग का गर, विवेकानंद जैसा हो।। ©SONALI SEN हर साल 4 जुलाई को स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि होती है. स्वामी विवेकानंद को पूरे विश्व में उनके आध्यात्मिक ज्ञान और प्रभावशाली बौद्धिकता के
vishnu prabhakar singh
सब छूट गया इस व्यापार में विकास की गति यूँ तेज हुई मानवता ही लुटा बाजार में शक्ति सर चढ़ी इस संसार में प्रबंध की मूलता यूँ व्यर्थ गई जैसे विश्व शक्ति व्यभिचार में राजनीति विफल है आचार में भौतिकवाद एक आश है भाई प्रारूप असंगत रहा विचार में होड़ मची सुविधा की हजार में पंचभूत धर्ममत में रहा हरजाई प्रकृति गबन हो गई उपकार में पक्ष-विपक्ष एक हुए सरकार में नीति संविधान की पैरोकार हुई इतनी ही जुगत लगी उद्धार में आज एक पेशेवर है कतार में न्यायसँगत्ता नैतिकता हवा हुई जंगल राज है आज प्रचार में लौकिक विषमता है तकरार में संक्रमित बौद्धिकता है हावी हुई जैविक शस्त्र के आविष्कार में आज तरकश रीता है अहंकार में दिगंत में हाहाकार है पूर्ण खोयी कल्कि ही अशेष अब अवतार में। सतयुग आने वाला है! ☺️ #विप्रणु #yqdidi #yqbaba #musings #life सब छूट गया इस व्यापार में विकास की गति यूँ तेज हुई मानवता ही लुटा बाजार में
vishnu prabhakar singh
बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का अपने मूल अधिकार के बल पर कृत्रिम बौद्धिकता के फांस में आंदोलन की सूक्ष्मता प्रतिपादित करती केवल कान खोलने को कहती तत्काल हस्तक्षेप को दर्शाती उचित समय पर क्रम दुहराती सुचना पर अनावश्यक विश्वास लेकर प्रसार का विस्फोट करती हवा में! छोड़ जाती बताह भीड़ को स्वीकारती व्यथा व्यवस्था तंत्र और कल्याण अवमानना के बीच की खाई नैतिकता में व्यवस्था निर्मित अभाव राजनीति एक व्यवसाय व लक्ष्य संघर्ष का अप्राकृतिक क्रिया अस्तित्व में ! शीघ्र पतन हो भी तो कैसे बताह भीड़ अव्यवस्था का रूपक न देह न देहि ,अकेला हवा में ! (कृपया,शेष अनुशीर्षक में देखें) आंदोलन का रसायन! बताह भीड़ न शिर न पैर हवा में ! हताश नर मुंड शोर मचाती माँगो का
Divyanshu Pathak
परमात्मा और प्रकृति निर्मित करते सृष्टि में जीवात्मा अपनी उत्तरजीविता के लिए उत्तरदायी बनाते हैं तुम्हें अपना ताकि बता सको अस्तित्व उनका ! समझ सको स्वरूप उनका जड़ और चेतन में कर पाओ अंतर सूक्ष्म और स्थूल को जान सको पंथी बनकर नहीं पथिक बनकर राह की कठिनाइयों को पहचानकर आगे बढ़ भक्ति भाव अपना सको अनुयायी से नहीं अनुगामी बनकर माता पिता होते है न उनके जैसे परिवार स्वर्ग की प्रतिष्ठा ही तो है क्या नहीं है ? 🍂🍁🌼#पंछी🏵🌸🌺#पाठक🌹🌷🏄⛷#आद्यात्मिक🏇💕☺#भारतीय☺🍉☕☕#शिक्षा☕🌞🤓💓🐦#ज्ञान☕🕎#सत्य🔯🕉️🔯💠🕉️💠🕉️🔯🕉️🔯🕉#विचार️🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮 🇳 इस पर देवताओं का अधिका
प्रियदर्शन कुमार
पुनर्नवजागरण =========== मेरे द्वारा दिए गए पुनर्नवजागरण शीर्षक पर पाठकों को आपत्ति हो सकती है कि ये क्या नया शब्द गढ़ लिया, वो भी 21वीं स
RAJ SINGH ✔️
Mahima Jain
टीम 'E' एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। (पढ़िए अनुशीर्षक में) Day 8 Team "E" एक किताब जो हमें पसंद है और एक जो नहीं है। मेंबर :- Khushbu Rawal Khushi किताबें तो बहुत सी पढ़ी है वो ही जीवन जीने की अहम