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gk writes
फिर उस बच्चे के मा-बाप उस नजदीक के एक दवाखाने मैं लेकर जाते हे,ओर उस बच्चे का इलाज करवाते है, उस बच्चे के मा-बाप उसके लिये ओर उसकी बडी तिन बहनो के लिये दीन-रात काम करते हैं! ओर पैसे कमाते है, उस बच्चे का एस- टी महामंडळ मैं कंडक्टर का काम करते थे, उस की मा घर का काम करती हैं! आगे जानने के लिये ज्यादा से ज्यादा Comments 🙏 किजिये! ©gk writes ✍️अध्याय चोथा ✍️ #Heartbeat #HeartBook #LifeStory #lifeblog Miss Rude nenzaa aggarwal siya pandey Sujata jha Anwesha Rath
Sangeeta Kalbhor
आयुष्य... प्रकाशाच्या वाटेने चालत रहावे कायम आपलेच आपल्यासाठी बनवून नवे नियम रहात नाही अंधार तसाही आयुष्यात ठाण मांडून आयुष्य आहे हे वेड्या कधी कधी घ्यावे की कांडूण चोथा असला म्हणून काय झाले असते सत्व त्यात उजेड येतोचं येतो गर्भार करुन रात फुटतात कळ्या टचकन अलगद अलगद उमलत समजण्यातचं माणूस करत असतो गफलत विसाव्याला असला किनारा की आयुष्य चालत राहतं थोडं थांबलं तरी ठेवावं आयुष्यभर वाहतं..... मी माझी...... ©Sangeeta Kalbhor #Identity आयुष्य... प्रकाशाच्या वाटेने चालत रहावे कायम आपलेच आपल्यासाठी बनवून नवे नियम रहात नाही अंधार तसाही आयुष्यात ठाण मांडून
Prerana Jalgaonkar
आज मला अमुक एक गोष्ट करायला वेळच मिळाला नाही असं आपलं बरेचदा असं होतं. परंतु प्रश्न हा आहे की आपण खरंच दिवसाचा पुरेपूर उपयोग करतो का ? आपण खरंच इतके व्यस्त असतो का ? प्रत्येक क्षणाचं सोनं करणं आपल्या हातात असतं पण आपल्याला ते किती जमतं ? प्रत्येक क्षणाचा योग्य तो वापर केला तरच नवं काहीतरी आपल्या आयुष्याच्या झोळीत मिळू शकतं. हे नवं म्हणजे एखादा अनुभव सुद्धा असू शकतो. हा अनुभव आयुष्यात पुढे मागे कुठेतरी कामी येऊ शकतो.नाही का..? अगदी तसंच जसं रसवंतीगृहात उसाचा रस काढताना ऊस पुन्हा पुन्हा त्या यंत्रात टाकला जातो जोपर्यंत त्या ऊसामध्ये काही तथ्य उरत नाही.नंतर उरलेला चोथा सुद्धा जनावरांसाठी आणि इतर गोष्टींसाठी वापरला जातो. --प्रेरणा आज मला अमुक एक गोष्ट करायला वेळच मिळाला नाही असं आपलं बरेचदा असं होतं. परंतु प्रश्न हा आहे की आपण खरंच दिवसाचा पुरेपूर उपयोग करतो का ? आपण ख
Prerana Jalgaonkar
आज मला अमुक एक गोष्ट करायला वेळच मिळाला नाही असं आपलं बरेचदा असं होतं. परंतु प्रश्न हा आहे की आपण खरंच दिवसाचा पुरेपूर उपयोग करतो का ? आपण खरंच इतके व्यस्त असतो का ? प्रत्येक क्षणाचं सोनं करणं आपल्या हातात असतं पण आपल्याला ते किती जमतं ? प्रत्येक क्षणाचा योग्य तो वापर केला तरच नवं काहीतरी आपल्या आयुष्याच्या झोळीत मिळू शकतं. हे नवं म्हणजे एखादा अनुभव सुद्धा असू शकतो. हा अनुभव आयुष्यात पुढे मागे कुठेतरी कामी येऊ शकतो.नाही का..? अगदी तसंच जसं रसवंतीगृहात उसाचा रस काढताना ऊस पुन्हा पुन्हा त्या यंत्रात टाकला जातो जोपर्यंत त्या ऊसामध्ये काही तथ्य उरत नाही.नंतर उरलेला चोथा सुद्धा जनावरांसाठी आणि इतर गोष्टींसाठी वापरला जातो. --प्रेरणा आज मला अमुक एक गोष्ट करायला वेळच मिळाला नाही असं आपलं बरेचदा असं होतं. परंतु प्रश्न हा आहे की आपण खरंच दिवसाचा पुरेपूर उपयोग करतो का ? आपण ख
sandy
प्रेमाचा जांगडगुत्ता गं.. जीव झाला हा खलबत्ता गं..... उखळात खुपसले तोंड प्रिये.. मुसळाचा तुंबळ रट्टा गं.....! तू लाजाळू परी कोमल गं.. मी नि
GRHC~TECH~TRICKS
***** चोथा कारण***** समस्त अठारह अक्षौहिणी में 44 करोड़ के लगभग वीरों में एक को छोड़कर कोई ऐसा योद्धा नहीं था जिसने ह्रदय से ये चाहा हो कि मुझे भी श्री कृष्ण और अर्जुन के सवांद का एक भी शब्द भी सुनने को मिले केवल भीष्म पितामह ने ही इच्छा की थी परन्तु उस समय तो उनकी इच्छा पुरी नहीं हुई 29 दिसम्बर 2010 को उनकी श्री गीता जी पाठ सुनाकर और हृदय से स्पर्श कराकर इच्छा अवश्य पुर्ण हुईं थी। ,समस्त पृथ्वी वासियों भीष्म पितामह को इस जन्म में पिछले यादे जैसे मां गंगा जी याद और समस्त कौरवों का भार अपने सिर पर रखे रहना इस जन्म में उनकी चिंता का कारण बना हुआ था। आएं सुनाता कैसे - *** सो मन का लकड़ उसके ऊपर बैठा एक मकड़**** वह एक रति रोज खाएं तो उसको कितने दिन में खा जाएगा यह सवाल भीष्म पितामह की आत्मा जो इस जन्म में रतिराम (मामा) के शरीर रुप में आईं थीं और उनका मेरे से बारे बार -बार पुछने क्या कारण था । मेरे ह्रदय से सोचने समझने से इसका दो उत्तर हे- 1-भीष्म पितामाह के ऊपर 100 कोरवौ का मृत्यु का बार था । स्वयंबर में सबसे बड़े होने पर लाचार रहे कुछ नहीं कर सके। खुद भीष्म पितामह ने अन्त मरते समय कबूल भी किया । इसलिए उनकी आत्मा को यह सवाल बार-बार परेशान कर रहा था। 2- उस पाप को पचाने के लिए रति भर हर रोज खाकर ख़त्म करना पड़ेगा क्योंकि 100कोरवो का भार खुद पर उठाए हुए थे भीष्म पितामह जी। दावा कैसे सिद्ध हुआ कि भीष्म पितामह की आत्मा है मेरे मामा शरीर में। प्रमाण - रोटी खाते समय मां गंगा को याद करना और मेरे जन्म के समय से ही मुख से गंगा मां का नाम लेना शुरु किया। और मरते समय वचनों को याद दिलाया इस आत्मा और अपनी माता का जल पिलाकर वचन लिया आपके इच्छा मृत्यु का वरदान है जो वरदान भी अब जीवित हैं वो और आपका जन्म क्यु हुआ शरीर से उन अर्जुन के तीरों की याद । अन्तिम इच्छा के बारे पुछने पर मना करने दो दिन समय लेने पर । वे इस पृथ्वी पर से चले गये। अब कल्कि अवतार के जन्म काल में उनकी आत्मा उस वंश में पहचान मिलेगी हमें ऐसा विश्वास है प्रकृति से प्रेम से करेंगे वो इस कलयुग तब वह भारत कम नहीं हो जाता उनका पीपल और बड़ की छाया से वह रति भार भार नहीं खाएगी उनकी आत्मा । यह मेरी आत्मा का चौथा कारण है जन्म लेने का इस धरती पर। ©GRHC~TECH~TRICKS #grhctechtricks #Ne #viral #treanding #Sachin SHAYAR ANHAR Advocate MD Aalmeen Khan Sujata jha vishwadeepak Anjali Maurya ***** चोथ
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 राम नाम अति मीठा है कोई गा के/भज के देख ले तनिक ..., एक बार एक राजा ने गाँव में राम कथा करवाई और कहा की सभी ब्राह्मणो को राम कथा के लिए आमंत्रित किया जाय , राजा ने सबको राम कथा पढने के लिए यथा स्थान दिया..., एक ब्राह्मण अंगुटा छाप था उसको पठना लिखना कुछ आता नही था , वो ब्राह्मण सबसे पीछे बैठ गया , और सोचा की जब पास वाला पन्ना पलटेगा तब मैं भी पलट दूंगा.. , काफी देर देखा की पास बैठा व्यक्ति पन्ना नही पलट रहा है, उतने में राजा श्रदा पूर्वक सबको नमन करते चक्कर लगाते लगाते उस सज्जन के समीप आने लगे, तो उस ने एक ही रट लगादी की "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "-"अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "? उस सज्जन की ये बात सुनकर पास में बैठा व्यक्ति भी रट लगाने लग गया ,की "तेरी गति सो मेरी गति -तेरी गति सो मेरी गति ," उतने में तीसरा व्यक्ति बोला ," ये पोल कब तक चलेगी -ये पोल कब तक चलेगी ? चोथा बोला,जबतक चलता है चलने दे -जबतक चलता है चलने दे , वे चारों अपने सिर नीचे किये इस तरह की रट लगाये बैठे हैं की ... 1 "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा.. 2 "तेरी गति सो मेरी गति.. 3 "ये पोल कब तक चलेगी.. 4 "जबतक चलता है चलने दे.. जब राजा ने उन चारों के स्वर सुने , राजा ने पूछा की ये सब क्या गा रहे है, ऐसे प्रसंग तो रामायण में हम ने पहले कभी नही सुने ... उतने में ,एक महात्मा उठे और बोले महाराज ये सब रामायण का ही प्रसंग बता रहे है : पहला व्यक्ति है ये बहुत विद्वान है , ये बात सुमन ने ( अयोध्याकाण्ड ) में कही , राम लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ , घर लौटते है तब ये बात सुमन कहते हैं की -"अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? ...अब राजा पूछेंगे तो क्या कहूँगा ? फिर कहा की ये दूसरा कहता है की -तेरी गति सो मेरी गति , महात्मा बोले महाराज ये तो इनसे भी ज्यादा विद्द्वान है ,( किष्किन्धाकाण्ड ) में जब हनुमान जी, राम लक्ष्मण जी को अपने दोनों कंधे पर बिठा कर सुग्रीव के पास गए तब ये बात राम जी ने कही थी की , सुग्रीव ! तेरी गति सो मेरी गति , तेरी पत्नीको बाली ने रख लिया और मेरी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया.. राजा ने आदरसे फिर पूछा , की महात्मा जी ! ये तीसरा बोल रहा है की ये पोल कब तक चलेगी , ये बात कभी किसी संत ने नही कही ? , बोले महाराज ये तो और भी ज्ञानी है ,( लंकाकाण्ड ) में अंगद जी ने रावण की भरी सभा में अपना पैर जमाया , तब ये प्रसंग मेधनाथ ने अपने पिता रावन से किया की, पिता श्री ! ये पोल कब तक चलेगी , पहले एक वानर आया और वो हमारी लंका जला कर चला गया , और अब ये कहता है की मेरे पैर को कोई यहाँ से हटा दे तो भगवान श्री राम बिना युद्द किये वापिस लौट जायेंगे..., फिर राजा बोले की ये चोथा क्या बोल रहा है ? वो बोले महाराज ये इतना बड़ा विद्वान है की कोई इनकी बराबरी कर ही नही सकता ,ये मंदोदरी की बात कर रहे है , मंदोदरी ने कई बार रावण से कहा की , स्वामी ! आप जिद्द छोड़, सीता जी को आदर सहित राम जी को सौंप दीजिये अन्यथा अनर्थ हो जायगा , तब ये बात रावण ने मंदोदरी से कही की ( जबतक चलता है चलने दे )..., मेरे तो दोनों हाथ में लड्डू है ,अगर मैं राम के हाथो मारा गया तो मेरी मुक्ति हो जाएगी , इस अदम शरीर से भजन -वजन तो कुछ होता नही , और में युद्द जीत गया तो त्रिलोकी में भी मेरी जय जयकार हो जाएगी.. , राजा इन सब बातो से चकित रह गए बोले की आज हमे ऐसा अदभुत प्रसंग सूनने को मिला जिसे की आज तक हमने नही सुना , राजा इतने प्रसन्न हुए की उस महात्मा से बोले की आप जो कहें वो दान देने को राजी हूँ मैं इन ब्राह्मणों को ..., उस महात्मा ने उन अनपढ़ अंगुटा छाप ब्रहमिन भक्तो को अनेको दान दक्षिणा दिलवा दी ... इन सब बातो का एक ही सार है की कोई अज्ञानी , कोई नास्तिक , कोई कैसा भी क्यों न हो , रामायण , भागवत ,जैसे महान ग्रंथो को श्रदा पूर्वक छूने मात्र से ही सब संकटो से मुक्त हो जाता है , और अगर वो भगवान का सच्चा प्रेमी हो तो उनकी तो बात ही क्या है , मत पूछिये की वे कितने धनी हो जाते हैं ...! 🚩🌹जय जय श्री राम 🌹🚩 अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! विकास शर्मा "शिवाया " जयपुर -राजस्थान "ASTRO सर्व समाधान " ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 राम नाम अति मीठा है कोई गा के/भज के देख ले तनिक ..., एक बार एक
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat #proudsinglemum Valentine मेरी ज़िन्दगी मेरी बेटी वेलेंटाइन कौन-कौन सी बातें करते हैं सिर्फ़ लवर ही वेलेंटाइन नहीं होता। SEE CAPTION #respect #aurat #mother #women #yqdidi #yqquotes #yqbaba Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat proudsinglemum Valentine मेरी ज़िन्दगी मेरी बेट
sandy
येळ अमावस्या - आम्ही एक आठवडा अगोदर पासूनच आईच्या मागे हुटहुट लावली होती, आई यावेळी शनिवारी येळ अमावस्या आहे ना ? शाळंला सुट्टी आहे ..तेव्हा
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
थोथा चना बाज रहा अपना ज्ञान बांट रहा न कोई पूँछता उसको न कोई ढूंढता उसको वो चिल्ला-चिल्लाकर, फ़िझुल ही हांफ रहा थोथा चना बाज रहा पानी मे वो नाच रहा बेमतलब वो बोलता, अपनी जिह्वा खोलता, फूटा घड़ा होकर, वो अंधेरा छांट रहा थोथा चना बाज रहा अपनी शेखी बांट रहा बच निकल तू साखी थोथे को न बना साथी अधूरे ज्ञान से बेहतर अज्ञानी रहना अच्छा है थोथा चना होता, बड़ा आत्मघाती जो न बनता, साथ न रखता, थोथे चने की पाती वो फ़लक में होता, सितारे की भांति दिल से विजय थोथा चना