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zafar iqbal

प्रवीन शाकिर

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दिल से दीवानी

-परवीन शाकिर #Shayari

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Shakir Shah

शाकिर शाह

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Farman Mehdi

परवीन शाकिर. #शायरी

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मिलते हुए दिलों के बीच और था फ़ैसला कोई,

उस ने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया। परवीन शाकिर.

Kajalife....

परवीन शाकिर

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Anand Mishra

हिन्दू-मुस्लिम भाइ भाई।।

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है समय ये हास का,उल्लास का ,
मानवता के सौहार्द का!
ये साथ नही थे छूटे,
और ना ही हैं अब रूठे,
आओ एक साथ मस्ज़िद में चलें,
और दिल खोलकर रामायण पढ़ें,
कुछ बातें हो मोहम्मद साहब की,
और तुलसी की जबान हो,
हम दोनों की बोली में,
क़ुरान की आन हो।।
ईश्वर-अल्ला करे जब हम छूटें,
तो वो कयामत की रात हो।
हम साथी है व्यवहार के,
त्योहार की लचकार के,
हमारी अनेकता में एकता का,
इश्क तुम्हारी श्रद्धा का,
हे साथी अब ना रुठे,
मान हमारी तिरंगा का।। हिन्दू-मुस्लिम भाइ भाई।।

Mili

#भाई दूज / भाऊ बीज

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भाई दूज की हार्दिक शुभकामनाये

©Mili #भाई दूज / भाऊ बीज

Dk bhati

##परवीन शाकिर #steps

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कुछ तो हवा भी सर्द थी _कुछ था तिरा ख़याल भी 
दिल को ख़ुशी के साथ साथ _होता रहा मलाल भी 
 
बात वो आधी रात की_ रात वो पूरे चाँद की 
चाँद भी ऐन चैत का _उस पे तिरा जमाल भी 

सब से नज़र बचा के वो _मुझ को कुछ ऐसे देखता 
एक दफ़ा तो रुक गई _गर्दिश-ए-माह-ओ-साल भी 
 
दिल तो चमक सकेगा क्या _फिर भी तराश के देख लें 
शीशा-गिरान-ए-शहर के_ हाथ का ये कमाल भी 

उस को न पा सके थे जब _दिल का अजीब हाल था 
अब जो पलट के देखिए_ बात थी कुछ मुहाल भी 

मेरी तलब था एक शख़्स__ वो जो नहीं मिला तो फिर 
हाथ दुआ से यूँ गिरा______ भूल गया सवाल भी 

उस की सुख़न-तराज़ियाँ ___मेरे लिए भी ढाल थीं 
उस की हँसी में छुप गया___ अपने ग़मों का हाल भी 

शाम की ना-समझ हवा____ पूछ रही है इक पता 
मौज-ए-हवा-ए-कू-ए-यार कुछ तो मिरा ख़याल भी ##परवीन शाकिर 

#steps

संध्या सांँझ

परवीन शाकिर #BeatMusic #शायरी

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Preet

परवीन शाकिर की शायरी

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अब उस का फ़न तो किसी और से मनसूब हुआ 
मैं किस की नज़्म अकेले में गुन्गुनाऊँगी 
[मनसूब= जुडा हुआ] 

जवज़ ढूंढ रहा था नई मुहब्बत का 
वो कह रहा था के मैं उस को भूल जाऊँगी 
[जवज़=कारण]

*परवीन शाकिर* परवीन शाकिर की शायरी
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