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Ashok Sah
ख्वाब वो मेहताब का मेरी नींद का तू वो गहरा ख्वाब है, भूलना भी चाहूं पर तू बेशकीमती सवाब है, मैं भटकता राही तो रहनुमा तू है, तेरी रोशनी को तरसू वो लॉ तू है। सूरज सा तेज है तुझमें, पास आना भी चाहूं पर थोड़ा गुरूर है मुझमें, दूर जाने की ख्वाहिश तो ना थी, पर अमावस की रात की साज़िश कुछ और थी। तेरी बाहों में आ जाऊं या तुझे बाहों में भर लूं, या तुझसे दूर जाने का एक वादा कर लू, में तो एक ठहरा किनारा हूं, कहीं समन्दर ना बन जाना तू । बारिश की बूंद अगर मैं बन जाऊं, पनाह देना मुझे कहीं मैं बिखर ना जाऊं, अगर ना हो आसरा तो नदियों में प्रवाहित कर देना, या उन बंजर खेतों में मुझे सींच देना, लहलहाए जब फैसले तेरी कठोर धरती पे, गर्व होगा मुझे अपनी छोटी सी ज़िन्दगी में। ©अशोक साह ख्वाब वो मेहताब का
Vik Pathak
उसकी मुस्कान और खूबसूरती में बड़ा सुरूर है, सफर मेरा उस तक पहुंचने का बस थोड़ा दूर है, छूने को करता है मन उस चांद को, उस मेहताब में बड़ा गुरूर है। नजाकत से ले आएंगे उस चांद को जमीन पर, फिदा है हम उसकी अदाओं पर, किस बात पर वह इतना मगरूर है। मेहताब
Ashok Sah
ख्वाब वो मेहताब का मेरी नींद का तू वो गहरा ख्वाब है, भूलना भी चाहूं पर तू बेशकीमती सवाब है, मैं भटकता राही तो रहनुमा तू है, तेरी रोशनी को तरसू वो लॉ तू है। सूरज सा तेज है तुझमें, पास आना भी चाहूं पर थोड़ा गुरूर है मुझमें, मंज़िल की तलाश में निकला मुसाफिर ही सही, पर अमावस की रात की साज़िश ही कुछ और थी। तेरी बाहों में आ जाऊं या तुझे बाहों में भर लूं, या तुझसे दूर जाने का एक वादा कर लू, में तो ठहरा एक किनारा हूं, कहीं समन्दर ना बन जाना तू । बारिश की बूंद अगर मैं बन जाऊं, पनाह देना मुझे कहीं मैं बिखर ना जाऊं, अगर ना हो आसरा तो नदियों में प्रवाहित कर देना, या उन बंजर खेतों में मुझे सींच देना । ©Ashok Sah ख्वाब वो मेहताब का #Eid-e-milad
vivek Kumar srivastava
तुम आती रहीं जाती रहीं ख्वाब की तरह। महकाती रहीं जिन्दगी गुलाब की तरह।। सूरज की तरह उम्रभर जलता रहा मैं; मेरे डूबने पे आयी तुम मेहताब की तरह ✍✍✍ #nojoto#मोहब्बत#मेहताब
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ