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ARpit Jain
प्रकृति के विलाप को, हम समझ नही पाए। बन कॉरोना धरा पे, बहते हुए आंसू आए। हम घरों में रह रहे, पर, देश को बचाने वो, पत्थरों को सह रहे, पंचम काल की महामारी को, तुमको पार लगाना होगा, मुनि धर्म की रक्षा हेतु, भगवन तुमको आना होगा... *भगवन तूमको आना होगा* #तात्कालिक_रचना #Ar
ऋषि 'चित्रांश'
#NoTobaccoDay ऐसे ही सिगरेट की तरह ख़त्म होती रही ज़िंदगी, मैं निरा पागल, खुद को बचाने दौड़ता रहा। तात्कालिक #तम्बाकुकोनकहें #saynototobacco #shayarchitransh #kavijagdalpur #bastariya
Motivational indar jeet group
जीवन दर्शन 🌹 पूर्व संचित कर्म इस जन्म में प्रारब्ध होते हैं , वे अप्रत्याशित होते हैं और तात्कालिक क्रियाकलाप के साथ उनकी संगति नहीं बैठती !.i. j ©motivationl indar jeet guru #जीवन दर्शन 🌹 पूर्व संचित कर्म इस जन्म में प्रारब्ध होते हैं , वे अप्रत्याशित होते हैं और तात्कालिक क्रियाकलाप के साथ उनकी संगति नहीं बैठती
MANJEET SINGH THAKRAL
20 साल बाद यह ऐतिहासिक आंदोलन कुछ कानूनों को रुकवाने और ज्यादा MSP हासिल करने जैसे तात्कालिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि देश के मानस पटल पर किसान की वापसी के लिए याद किया जाएगा।' ©MANJEET SINGH THAKRAL 20 साल बाद यह ऐतिहासिक आंदोलन कुछ कानूनों को रुकवाने और ज्यादा MSP हासिल करने जैसे तात्कालिक फायदे के लिए नहीं, बल्कि देश के मानस पटल पर किस
Ashutosh Mishra
जिंदगी में तात्कालिक सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य मात्र मृगतृष्णा है सच्चा सुख आत्म मंथन, आत्म ज्ञान से मिलता है। जिसका यश इस लोक से परलोक तक साथ निभाएगा। फैसला आपका,,,, आप क्या चाहते है अल्फ़ाज़ मेरे ✍️🙏🏻🙏🏻 ©Ashutosh Mishra #streetlamp जिंदगी में तात्कालिक सुख समृद्धि और ऐश्वर्य,,, मात्र मृगतृष्णा है सच्चा सुख आत्म मंथन और आत्म ज्ञान से प्राप्त होता है। जिसका य
Divyanshu Pathak
तुझको जो देखा तो मैंने खुद को पाया है तुझसे ही मिलकर के मुझे जीना आया है ! कतरा कतरा मेरा अब तुझमें समाया है दिल धड़कन सांसे औऱ तुझसे खुदाया है ! क्या है ये मोहब्बत सा जो सब को भुलाया है असर हुआ कैसा कुछ समझ न आया है ! तेरी ही बातें हैं तेरी ही यादें है तेरे ही चर्चे है मुस्कानें दिखते ही अब बंट जाते पर्चे है ! दीदार तेरा बाकी पर फ़िर भी दिखती हो मेरे दिल के पन्नों पे जाने क्या लिखती हो ! बहते हुए दरिया सी तुम उफ़न रही दिल में बहक रहा सब कुछ तुम तो तूफानी हो ! :😊💕good evening जी😊☕☕☕☕☕☕☕☕💕💕💓🍧🍧🍧🍰🍰🍦🍦🍦🍫😊😊😊🍓🍓💖🍨💗💗 :मेरे महबूब के ज़िक्र के साथ चाय का आनंद लेते हैं आओ और थोड़ा सा चिंतन भी करेंगे 😊😋😋☕☕☕ : सुख
Prem Nirala
दिनकर जी कहे हैं कि शत लक्ष मानवों के सम्मुख, दस पाँच जनों का सुख क्या हैं, यदि शांति विश्व की बचती हो, तो वन में बसने में दुःख क्या हैं! आप सबों से मैं अपील करता हूँ कि अपने अपने घरों में रहे और इस महामारी को रोकने में सहभागी बने! किसी भी आपदा से लड़ना सीखिये न की आपदा के साथ रहना सीखिये, क्यों कि सुबह का उगता सूरज काँच लगी खिड़कियों से कहकर कभी नहीं आता! उसी प्रकार हमें मानव श्रृंखला नहीं बनाना हैं, हमें अत्याधिक और अनावश्यक लोगों से मिलना जुलना भी नहीं हैं, तब तक जब तक इस महामारी का कोई तात्कालिक या पूर्ण रूप से बचाव न कर लिया जाए, तभी ये कोरोना नामक संक्रमित विषाणु को हमारे शरीर में प्रवेश करने से रोका जा सकता हैं, और तभी हम इस महामारी के चपेट में आने से बच पाएंगे! prem_nirala_ दिनकर जी कहे हैं कि शत लक्ष मानवों के सम्मुख, दस पाँच जनों का सुख क्या हैं, यदि शांति विश्व की बचती हो, तो वन में बसने में दुःख क्या हैं! आ
Shree
Don't ever lose your dignity at any cost. GET HELP! To those who suffering!! Please. NO MORE SILENCE! "सखी वन स्टॉप सेंटर के अतिरिक्त महिला सेल भी होता है जहां आप फोन पर, स्वयं जाकर या किसी अ
Divyanshu Pathak
मॉडर्नाइजेशन को बुरा और पुराने समय और संस्कृति की महानता वाले कभी ये भी बताओ कि तुम्हारे पुराने समय में कितना जातिवाद, पुरुषवाद और धार्मिक उन्माद रहा है।खत्म तो अब भी कुछ नहीं हुआ, लेकिन मॉडर्नाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन से ये कुछ कम जरूर हुआ है। गीता यथार्थ (फेमिनिस्ट पत्रकार) 💠🔴💠🔴💠🔴💠🔴💠 मेरा उत्तर कैप्शन में पढ़ें- मॉडर्नाइजेशन को बुरा और पुराने समय और संस्कृति की महानता वाले कभी ये भी बताओ कि तुम्हारे पुराने समय में कितना जातिवाद, पुरुषवाद और धार्मिक
Natural person
जीवन के किसी भी तथ्य के तीन भाग होते हैं।कोई भी तथ्य अपना साधारण से शून्य और शून्य से विपरीत प्रभाव डालता है।उदाहरणार्थ :-{1}~ संस्कृति एक अच्छे आदर्शों, आचरण, विचारों, परिवेश एवं शिक्षा का संगम है,जिसका विकास ही अच्छे समाज के निर्माण के लिए आध्यात्म, विज्ञान, मनोविज्ञान को सापेक्ष रखकर किया गया है।{2}~संस्कृति की शून्य अवस्था में हम असभ्य प्राणी मात्र हैं।{3} इसके विपरीत अगर जब संस्कृति अपना आस्तित्व ही खो देती है तो दैत्य प्रवृति हावी होकर सारी अच्छाईयों को बुराईयों में परिवर्तित कर देती हैं।संस्कृति के बिल्कुल विपरीत गुण उत्पन्न होते हैं।~~आज जो हमारे देश में विसंगति उत्पन्न हो रही हैं,उसका मूल कारण संस्कृति का नष्ट होना है,वो भी संस्कृति का केवल एक मात्र अंग नष्ट हो रहा है। वो है अच्छा परिवेश।आज हमारे पास अच्छी शिक्षा, उच्च आदर्श, उत्तम आचरण व सर्वश्रेष्ठ विचार है,किन्तु तात्कालिक परिवेश मात्र ही हमारी सारी अच्छाईयों पर हावी हो जाता है।तो मेरा मात्र युवा पीढ़ी से निवेदन है, क्योंकि अगर आपका रहन-सहन ठीक न हुआ तो आगामी पीढ़ी में और अधिक बिगड चुका होगा और आपको पता होना चाहिए कि आपके हाथ में देश का नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व का भविष्य है। नहीं तो जब विश्वगुरु ही भगवान श्रीकृष्ण, श्रीराम जैसे महपुरुषों द्वारा प्रदत्त की गई संस्कृति खो देगा तो फिर मानव समाज का क्या होगा। 🙏राधे राधे🙏 अक्षय कुमार शास्त्री(A.K.+K.K) जीवन के किसी भी तथ्य के तीन भाग होते हैं। कोई भी तथ्य अपना साधारण से शून्य और शून्य से विपरीत प्रभाव डालता है। उदाहरणार्थ :-{1}~ संस्कृति एक