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Anupam Mishra
तू आस पास है मेरे, भीतर भी तू, बाहर भी तू, तू हर सांस में है मेरे, लहर भी तू, कहर भी तू, तू हर उल्लास में है मेरे। बिन तेरे जीवन का अस्तित्व नहीं, तू नहीं तो जग में कुछ भी नहीं, बिन तेरे जल की एक बूंद नहीं, तू नहीं तो कोई रस रंग भी नहीं, बिन तेरे सुर व तरंग बनते नहीं। तू है मौजूद हर कण में, हर चाल व थिरकन में, तू है अग्नि की जलन में, हर स्वर व सुरीली गान में, तू है मूल आधार जन जन में। इन आंखों को तू नजर न आता, जबकि तू ही है जीवन दाता, इन सांसों को सब है समझ आता, हर स्वास पे है तू अंदर बाहर करता, सारा जग है तुझपर निर्भर करता! ©अनुपम मिश्र #weather #हवा #पवन #जीवन✍
अद्वैतवेदान्तसमीक्षा
हम, भारत के लोग एसा मानते हैं कि- Speaking lips can reduce any problem close lips avoid some problem but smiling lips can solve any problem forever? बोलने वाले होंठ किसी भी समस्या को कम कर सकते हैं बंद होंठ कुछ समस्या से बचते हैं लेकिन मुस्कुराते हुए होंठ किसी भी समस्या को हमेशा के लिए हल कर सकते है। अतः एव राष्ट्रीय चिन्ह में अशोक का अर्थ प्रसन्नता ही है क्योंकि शोक का विलोम प्रसन्नता ही होता है भारतीय विचार पद्धति
Ankit Mishra
अखंड अग्नि प्रज्वलित हो रही धरा धूमिल हिले स्वयं हित , अवचित जाने,जो स्वयं फूले फले सूर्य के लहू को हाथ में जो भीचकर ज्वाला बुने भगवान को देखा क्या मंदिर से गमन करते हुए ब्रह्मांड को देखा है मैंने हां हवन करते हुए #NojotoQuote हवन #Ankittcreation
S Ram Verma (इश्क)
#OpenPoetry हवन की समिधा ! तुम्हारे प्रेम क्षुधा से व्याकुल मेरा हृदय तृप्ति की चाह सिर्फ एक तुम से रखता है ; मेरे मन में जबसे तुम हुई हो शामिल ये दिल जिद्द पर अड़ा है बनने को तुम्हारे हवन कुंड की समिधा है ; जो हर एक आहुति के साथ धधक कर पूर्ण होना चाहता है सुनते ही स्वाहा ; ताकि तुझमे मिलकर प्रेम की समिधा सा वो हो जाए पूर्ण और मेरे मन की व्याकुल क्षुधा को यज्ञ की पूर्णाहुति के साथ चीर शांति मिले ! ##हवन #की #समिधा
pramod malakar
हिन्दू धर्म में हवन से फायदा पर रिसर्च 00000000000000000000 फ़्रांस के ट्रेले नामक वैज्ञानिक ने हवन पर रिसर्च की। जिसमें उन्हें पता चला की हवन मुख्यतः आम की लकड़ी पर किया जाता है।जब आम की लकड़ी जलती है तो फ़ॉर्मिक एल्डिहाइड नामक गैस उत्पन्न होती है।जो कि खतरनाक बैक्टीरिया और जीवाणुओं को मारती है । तथा वातावरण को शुद्द करती है। इस रिसर्च के बाद ही वैज्ञानिकों को इस गैस और इसे बनाने का तरीका पता चला।गुड़ को जलाने पर भी ये गैस उत्पन्न होती है। टौटीक नामक वैज्ञानिक ने हवन पर की गयी अपनी रिसर्च में ये पाया की यदि आधे घंटे हवन में बैठा जाये अथवा हवन के धुएं से शरीर का सम्पर्क हो तो टाइफाइड जैसे खतरनाक रोग फ़ैलाने वाले जीवाणु भी मर जाते हैं और शरीर शुद्ध हो जाता है।हवन की महत्ता देखते हुए राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान लखनऊ के वैज्ञानिकों ने भी इस पर एक रिसर्च की । क्या वाकई हवन से वातावरण शुद्द होता है और जीवाणु नाश होता है ?अथवा नही ? उन्होंने ग्रंथों में वर्णिंत हवन सामग्री जुटाई और जलाने पर पाया कि ये विषाणु नाश करती है। फिर उन्होंने विभिन्न प्रकार के धुएं पर भी काम किया और देखा कि सिर्फ एक किलो आम की लकड़ी जलाने से हवा में मौजूद विषाणु बहुत कम नहीं हुए। पर जैसे ही उसके ऊपर आधा किलो हवन सामग्री डाल कर जलायी गयी तो एक घंटे के भीतर ही कक्ष में मौजूद बैक्टीरिया का स्तर 94 % कम हो गया। यही नहीं उन्होंने आगे भी कक्ष की हवा में मौजुद जीवाणुओ का परीक्षण किया और पाया कि कक्ष के दरवाज़े खोले जाने और सारा धुआं निकल जाने के 24 घंटे बाद भी जीवाणुओं का स्तर सामान्य से 96 प्रतिशत कम था। बार-बार परीक्षण करने पर ज्ञात हुआ कि इस एक बार के धुएं का असर एक माह तक रहा और उस कक्ष की वायु में विषाणु स्तर 30 दिन बाद भी सामान्य से बहुत कम था । यह रिपोर्ट एथ्नोफार्माकोलोजी के शोध पत्र (research journa l of Ethnopharmacology 2007) में भी दिसंबर 2007 में छप चुकी है। रिपोर्ट में लिखा गया कि हवन के द्वारा न सिर्फ मनुष्य बल्कि वनस्पतियों एवं फसलों को नुकसान पहुचाने वाले बैक्टीरिया का भी नाश होता है । जिससे फसलों में रासायनिक खाद का प्रयोग कम हो सकता है । आप अपने परिजनों को इस जानकारी से अवगत कराए । हवन करने से न सिर्फ भगवान ही खुश होते हैं बल्कि घर की शुद्धि भी हो जाती है । भगवान सभी परिजनों को सुरक्षा एवं समृद्धि प्रदान करें । ++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++++ प्रमोद मालाकार की कलम से ©pramod malakar #हवन पर रिसर्च