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✍️Neeteesh Kumar
ऐ शीतम मौत से दोस्ती कर लिये हो क्या आज जीवनसाथी बने हो कल मौत से मिलाओगे क्या 🙏 ©✍️Neeteesh Kumar #ऐ शीतम #मौत से दोस्ती कर #IndianArmy
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
पंकजनामा °•°•°•°•°•° नाम तो वैसे आपका कमल है, पर स्वभाव से ज़्यादा कोमल नहीं। जितना भी जाना है आपको पढ़ लीजिए, बहन हूँ आपकी अधिक बड़ाई करूँ संभव नहीं। ☆☆☆ ख़री बातों के बादशाह, नोजोटो की शान दोस्तों की जान हैं। हाज़िर-जवाबी के सरताज, आप अक़बर से भी ज़्यादा महान हैं। सच लिखते हैं तो क्या कहना, ज्वलंत शब्द प्रहार प्रभाव है। यूँ दो-टुक अक़्सर बोल देना, पंकू भाई जी का स्वभाव है। हमारी यही दुआएं हैं "हृदय" आप सफ़ल हो हर एक मक़सद में। "पंकज" नाम का ओज फ़ैले हर ओर, कोई बराबरी का न हो क़ामयाबी के क़द में। ☆☆☆ -रेखा "मंजुलाहृदय" जन्मोत्सव की अनंत शुभकामनाएं पंकू भईया! 🍫🍰🎂🥂 ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #पंकजनामा पश्येम शरदः शतम् ।।१।। जीवेम शरदः शतम् ।।२।। बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय"
दर्शननामा *°*~°~°~°~*°* बहारों नें फ़िजाओं से सदाओं का पैगाम भेजा है, चिरागों नें उजालों से सर-ए-बज़्म में सुनहरी शाम भेजा है..!! भेजा होगा सबने एक से बढ़ के एक नायाब तोहफ़ा, पर आपकी बहन ने ये मामूली शब्दाहार आपके नाम भेजा है..!! क़लम के आप तो जादूगर सबसे अलग आपकी पहचान है, यहाँ ऐसा एक भी शख़्स नहीं, जो आपके लेखन से अंजान है..!! आप तो हैं ही सदा ओजस्वी एवं अनेकों गुणों के खान हैं, क्या कहना आपका आप प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनवान हैं..!! आप ठहरे अध्ययन प्रेमी उर्दू में विशेष रुचि रखते हैं, अपने इसी साधारण अन्दाज़ से सबको प्रभावित करते हैं। निज स्वप्नों के प्रति श्रद्धा एवं अटूट विश्वास रखते हैं, अपने ध्येय को मन में रखकर सर्वदा अटल परिश्रम करते हैं। "हृदय" तमन्ना है कि सदा आपकी ज़िंदगी गुलों-सी गुलज़ार हो, आपके हौसलों-फ़ैसलों पर माता-पिता कुटुंब को नाज़ हज़ार हो। सदा रहें प्रगतिशील सफलताओं के गगन को स्पर्श करते रहें, नाम तो है आपका "दर्शन" यूँ ही आप क़ामयाबी के दर्शन करते रहें। -रेखा "मंजुलाहृदय" जन्मोत्सव की अनंत शुभकामनाएं भईया! 🎂🍰🥂🎉 ©Rekha💕Sharma "मंजुलाहृदय" #दर्शननामा पश्येम शरदः शतम् ।।१।। जीवेम शरदः शतम् ।।२।। बुध्येम शरदः शतम् ।।३।।
𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉
ना जवाब दारी हो, ना ईश्क तारी हो, फिर भी तेरा हो कर एक उम्र गुजारी हो, ना कुर्बाते हो लाज़िम ना हिज्र का ही गम हो, फिर ये शीतम हो मुझ पर हर रात भरी हो...! ©𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉 DOn't quIT❤️ ना जवाब दारी हो, ना ईश्क तारी हो, फिर भी तेरा हो कर एक उम्र गुजारी हो, ना कुर्बाते हो लाज़िम ना हिज्र का ही गम हो, फिर ये शीतम
𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉
हिज्र के दिन, वस्ल के रातें सब साथ रहते है... तेरे बगैर भी हम तेरे ही साथ रहते है... जब यार पास बैठे और गले से लग जाए... तो मोहब्बत के शीतम किसको याद रहते है...! ©𝑨𝒚𝒖_𝒔𝒉 #DOn't quIT❤️ हिज्र के दिन, वस्ल के रातें सब साथ रहते है... तेरे बगैर भी हम तेरे ही साथ रहते है... जब यार पास बैठे और गले से लग जाए... तो मो
Sujit Kumar Kar
What need the most is harmony..... करुणा विशाल हृदय की वस्तु है। करुणा, धन और शिक्षा से नहीं जन्म लेती, यह तो हृदय का क्षेत्र है। संस्कृत कवि कृष्णद्वैपायन व्यास अपनी कविता
रजनीश "स्वच्छंद"
क्रोध।। ये गज मतवाला झूम रहा, लिए आंख लाल है घूम रहा। अपनी करनी पे डाल ये पर्दा, सर अपना बस धुन रहा। छः दोषों में एक दोष है, पतन कहो जो ये क्रोध है। आँख पे पट्टी डाल के बैठा, कहाँ चिंतन और कहाँ शोध है। क्रोध की अग्नि दवानल है, भष्म करे घरबार ये सारा। जगह मान की चिंता किसे फिर, घर हो या कोई चौवारा। पवृति असुर सी प्रबल हुई है, दांत बढ़े और सिंग है निकला। रिश्ते नाते उम्र कहाँ फिर, सूचित भाव हो इंग है फिसला। फ़नकाढे उन्माद था बैठा, वाणी विष से ओतप्रोत थी। आंखों पे आवरण एक था छाया, मन मे जलती बस अहं ज्योत थी। क्रोध जो बुद्धि हर लेता है, अविवेकी और विनाशी हुआ। शीतम वाणी और शुद्ध विचार, विलुप्त हुआ प्रवासी हुआ। उत्तेजित लहु का कण कण था, पर राह चुनी जो अनुचित थी। जो कदम बढ़े एक बार किसीके, विध्वंस धार वो समुचित थी। जब शांत हुई ये ज्वाला थी, चर चुकी थी चिड़िया खेत रही। सब धार जो मुट्ठी भिंची थी, मानवता तो सरकती रेत रही। परिणामों की तुम शोध करो, इससे पहले कि क्रोध करो। तमगुणों का तुम प्रतिरोध करो, तुम मानव हो इतना बोध करो। ©रजनीश "स्वछंद" क्रोध।। ये गज मतवाला झूम रहा, लिए आंख लाल है घूम रहा। अपनी करनी पे डाल ये पर्दा, सर अपना बस धुन रहा। छः दोषों में एक दोष है,