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Aparna Shambhawi
बहकत बहकत पुरवईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! लचकत-मटकत, लहकत-चहकत, तोड़े कुसुम दुलरिया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! पुष्प सुगंधित, मन आनंदित, दरस दिए रघुरईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! अति सुकुमार रघुनाथ होईं हैं, सिय तन डारी पतरिया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! अँखियन अँखियन मिली सिय-पिय की, हिय बीच बाजे शहनईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलिया! रामविवाह गीत. फुलवारी वर्णन. #paki #maithili #mithila #ramvivah #ram #rama #siya #sita #siyaram बहकत बहकत पुरवईया, फुलवरिया में गूँजे कोयलि
यशवंत कुमार
कोयल के बच्चे (Read Full story in caption) #childrenstory #kidsstory #junglebook #birdsstory Photo credit- Shutterstock कोयल के बच्चे अपनी आदत से मजबूर कोयलिया ने फिर से कौवे के घो
Ashok kumar sharma Upadhyay
सुन साथिया माहिया बरसा दे इश्का की स्याहिया रंग जाऊँ रंग रंग जाऊंगी हारी मैं तुझपे दिल झर झर झर झर जाऊँ हो पिया बस तेरी मैं तेरी छू ले तो खरी मैं खरी मैं खरी ❣️ शुभ रात्रि ❣️ रिमझिम बारिश की फुहार बरसे तनमन भीगे मिलने को मन तरसे अवनी पहन हरी चुनर लगे सुहानी वो लम्हा थम जाये जब कोयल कूके झीनी झीनी बूंदों में अक्
Shweatnisha Singh🌸
बताऊं ज़रा!🌸🌸 नज़र ने नज़र से क्या कहा, हो इजाज़त, बताऊं ज़रा! दिल में धड़कनों ने की बग़ावत, क्यूँ भला, बताऊं ज़रा! रस्म-ए-उल्फ़त अरमां जगाए, ज़मीं औ फ़लक से पूछूं ज़रा! बिंदिया चमके, कंगना बोले, क्यूँ गोरी शर्माए, बताऊं ज़रा! कोयल कूके बाग़ में... मनवा डोले इत-उत, बताऊं ज़रा! साजन दूर खड़े मुस्काए, सजनी अंखियां मीचे,पास आऊं ज़रा! दिल की सदाओं ने क्या कहा, ग़र पूछो जो, बताऊं ज़रा! ये ख़ुशबूओं की हरारत, क्यूँ भवरे करे गुंजन, बताऊं ज़रा! नज़र ने नज़र से क्या कहा, हो इजाज़त, बताऊं ज़रा! बताऊं ज़रा....🌸🌸 💞🍃 ©श्वेतनिशा सिंह ~🕊️ बताऊं ज़रा!🌸🌸 नज़र ने नज़र से क्या कहा, हो इजाज़त, बताऊं ज़रा! दिल में धड़कनों ने की बग़ावत, क्यूँ भला, बताऊं ज़रा!
Vandana
....मशहूर-ए-ज़माना हैं 'क़तील' उस की उड़ानें वो दाम-ए-मोहब्बत में गिरफ़्तार ही कब था क्या उस का गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्त
Vandana
💜💜 क्या उसका गिला कीजे उसे प्यार ही कब था वो अहद-ए-फ़रामोश वफ़ादार ही कब था उस ने तो सदा पूजे हैं उड़ते हुए जुगनू वो चाँद-सितारों का परस्तार ह
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझे जो राह पे लाये वही अब गुरु मिले मुझको ।।२ तमन्ना आखिरी अब ये कहीं मैं तीर्थ पे जाऊँ । वहाँ भगवान के ही रूप में साधू मिले मुझको ।।३ बहुत ही द्वंद्व करता आज आत्मा से सुनो अपनी । दिखाई जो नही देता उसी की बू मिले मुझको ।।४ कभी जो बाग में बैठे कोयलिया खूब गाती थी । लगाता बाग मैं हूँ खूब की वह कू मिले मुझको ।।५ कभी देखा इधर मुड़कर खत्म क्यों हो रहे रिश्ते । चलो मिलकर सँभाले हम कि फिर नानू मिले मुझको।।६ जगाती थी हमें पहले प्रखर आकर जो आँगन में । वही चिडियों कि चूँ चूँ फिर दुवाएँ दूँ मिले मुझको ।।७ १८/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेता हूँ । मुझे जो राह पे लाये वही अब गुरु मिले मुझको ।।२ तमन्ना आखिरी अब ये कहीं मैं तीर्थ पे जाऊँ । वहाँ भगवान के ही रूप में साधू मिले मुझको ।।३ बहुत ही द्वंद्व करता आज आत्मा से सुनो अपनी । दिखाई जो नही देता उसी की बू मिले मुझको ।।४ कभी जो बाग में बैठे कोयलिया खूब गाती थी । लगाता बाग मैं हूँ खूब की वह कू मिले मुझको ।।५ कभी देखा इधर मुड़कर खत्म क्यों हो रहे रिश्ते । चलो मिलकर सँभाले हम कि फिर नानू मिले मुझको।।६ जगाती थी हमें पहले प्रखर आकर जो आँगन में । वही चिडियों कि चूँ चूँ फिर दुवाएँ दूँ मिले मुझको ।।७ १८/१०/२०२२ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR #Childhood सँभलना जो सिखातें हैं यहाँ बापू मिले मुझको । बिठाकर काँध पर घूमें वही चाचू मिले मुझको ।।१ जहाँ में ज्ञान सच्चा जो सिखाये सीख लेत