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शुभम सोनी (बुंदेला)
मायके ने जाओ मोरी गुइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां जबसें चलीं गईं गोरी तुम जो अपने मायकें राशन बड़ा गओ अब बियारी बने काय कें अरे आटो दार कछु नईयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां मोड़ा मोड़ी फिर रय हैं भिनके से गांव में काम नई बड़ा रओ लगे पंखा हैं पांव में दिन भर है मच रईं फिरकइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां भेसों को गोबर और झारा बटोरी सब डरो है करबे जो कैसे मचो री कर कर कें फट गई परदनिया तुमाय बिना जी जो लागत नईयां रो रय बुंदेला जा उसार को कर है काम घरवारी को ओई सें समर है चले सुसरारे बनकें सईयां और लयाये घरवारी टांगे कईयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां मायके ने जाओ मोरी गुइयां तुमाय बिना जी जो लागत नईयां #बुंदेला #लोकगीत
Archana pandey
सावन की प्रथम दस्तक स्वागत है आनन्दित हृदयतल से😊 'कोयलिया फिरि-फिरि कूकै मयुर पाँख फहरावैं रे बलखावत मैना कहे पिया सुआ घर आवैं रे'... अर्चना'अनुपमक्रान्ति' (सुआ-तोता) ©Archana pandey सावन आया साजन लाया..
Rishika ishita【 Dil ki bat】
सावन आया मन भावन आया महादेव के भक्तों का त्यौहार पावन आया ©Rishika ishita【 Dil ki bat】 सावन आया मन भावन आया महादेव के भक्तों का त्यौहार पावन आया #Maha_shivratri
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वनआयो बरसाने की गुंजरिया दाधी बेचन जाए, वात मिले बनवारी कर लियो बोआय कर लियो बोलय बैठ कदम के छाइयां रे दोना बनवाए ,दोना दोना दाढ़ी बांटे दाढ़ी दियो लुटाए दाढ़ी दियो लुटाए ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल... होली न खेले श्यामरो आपन सासुराय भर पिचकारी मारे हो रंग उरे गुलाला रंग उडे गुलल बेला फुले चमेला जूही कांचनर फुलवा लोरहे मलिनिया गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो उपद पहाड़ गरमो हवा हो नीचे बराय दुकान बाराय नाय कट्रे पनवा रस बीड़ा लगाए रस वीडा लगाय बीड़ा न खा है कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसैदा जी के लाल ताहि समय हरी आयो मोहन बंद लाल तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा धोलाक धुधू आय बाजे सरियांगिया रों य रों य हो रस बजे सितार रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन नंदलाल #लोकगीत
रौशन कुमार प्रिय
मोहन नंदलाल "बरसाने"वन आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो अहो बरसाने की गुंजरिया दधिया बेचे जाए, वाट मिले बनवारी हो,"कर" लियो बोलाय , "कर" लियो बोलय बैठ कदम के छइयां रे "दोना" बनवाय,दोना - दोना दधी बांटे हो दधी दियो लुटाय ,दधी दियो लुटाय ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने वन आयो....२ होली न खेले श्यामरो, आपन ससुरार भर पिचकारी मारे हो, रंग उरे गुलाल, रंग उरे गुलाल बेला फुले चमेला , जूही कंचनार , फुलवा लोरहे मलिनिया हो, गूथे नंदलाल, गूथे नंदलाल माला पिन्हे कन्हैया हो जसोदा जी के लाल जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंदलाल बरसाने बन आयो-२ हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा , हो ऊपर पहाड़ गरमोहवा, हो नीचे बरय दुकान, बरय नय कतरय पनमा रस बीड़ा लगाय, रस बीड़ा लगाय बीड़ा न खा हय कन्हैया जसोदा जी के लाल , जसोदा जी के लाल ताहि समय हरि आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो तबला बजे मंजीरा , हो तबला बजे मंजीरा ढोलक धुधूआय ,बाजे सरंगिया रोंय रोंय हो रस बजे सितार, रस बाजे सितार ताहि समय हरी आयो मोहन ननंद लाल बरसाने वन आयो मोहन नंद लाल बरसाने वन आयो #लोकगीत