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Omlata Singh Parmar
वक्त अपने आप मे खुद को जरूर दोहराता है जो बुरा करता है उसका भी बुरा वक्त जरूर आता है दुनिया कहती है बुरी किस्मत जिसे भगवान जानता है कि मनुष्य अपने कर्मों का फल चुकाता है #रामायण का असर
Vivek prajapati
🌹🌹Hello friends🌹🌹 "कैसे हैं, आप सब लोग अच्छे ही होंगे। खुशमिजाज जिंदगी जीवन व्यतीत कर रहे होंगे। अपने घरों में, आज नवरात्र का आठवां दिन, यानी अष्टमी तिथि है, और आज मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा होती है। इनकी शक्ति अमोघ और यह शीघ्र फलदायी हैं। महागौरी की पूजा करने से सभी भक्तों के पूर्व पाप भी धुल जाते हैं। महागौरी की पूजा करने वाले सभी प्रकार से पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी हो जाता है। वैसे तो नवरात्र में किसी भी दिन कन्या को भोजन करवा सकते हैं, लेकिन अष्टमी पर कन्या भोज करवाने का विशेष महत्व है। इस दिन महिलाएं अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए मां को लाल चुनरी भेंट करती हैं। आइए जानते हैं मां की पूजाविधि, भोग और मंत्र। मां दुर्गा का वर्ण गौर है और उनकी गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंछ के फूल से दी गई है। महागौरी रूप में मां के समस्त आभूषण और वस्त्र भी श्वेत हैं। इस रूप में मां की 4 भुजाएं हैं। महागौरी मां का वाहन भी वृषभ है। इनका ऊपर वाला दांया हाथ अभय मुद्रा में है और निचले दाएं हाथ में त्रिशूल है। ऊपर के बाएं हाथ में डमरू और नीचे बांया हाथ वर-मुद्रा में है। माता महागौरी स्नेह और प्रेम की मूर्ति हैं। 🌺🌺 धन्यवाद आप सभी का 🌺🌺 💐💐विवेक💐💐 #मां नवरात्रि का आठवां दिन मां गौरी
कवि दिनेश अगरिया
*रामायण के आज के एपिसोड का वर्णन* बालिकुमार सभा में जाकर प्रभु संदेश सुनाता है। अभिमानी रावण गरजा और जोर जोर चिल्लाता है।। बोला सबक सिखा वानर को, और हंसा देकर ताली। पाँव जमा कर अंगद बोला, वानर पुत्र हूँ मैं बाली।। बालि नाम को सुनकर के, रावण को याद है आया। बालि ने छह माह तलक तक, उसको बगल दबाया।। बोला अंगद है अभिमानी, क्यों विनाश को बढ़ता है। क्षमा मांग ले मूर्ख प्रभु से, छोड़ कठिन ये दृढ़ता है।। बहुत उदार प्रभु का ह्रदय, कृपा तू उनकी पायेगा। लौटा दे माता को नही तो, बिना काल मर जाएगा।। सुनकर अंगद वाणी को, लंकेश लगा है तपने। तम में बोला वानर तू क्यों, आया है मरने।। जय श्री राम का घोष किया, अंगद ने पांव जमाया। असुर सभा का योद्धा कोई, पाँव डिगा ना पाया।। एक एक कर आये योद्धा, पड़ी गई मुँह की खानी। अंत में अंगद पांव उठाने, उठता खुद अभिमानी।। रावण झुका है चरणों में, अंगद ने पाँव हटाया। प्रभु शरण में जाने का, फिर से पाठ पढ़ाया।। अहंकार में चूर था रावण या परम ब्रह्म का ज्ञानी। प्रभुकमलों से तरने की क्या, खुद ही रची कहानी।। द्वारा रामभक्त दिनेश अगरिया #रामायण का आज का एपिसोड
Naresh Kumar
*महत्वपूर्ण ये नहीं की रावण विद्वान था......!* *महत्वपूर्ण ये है कि एक 'विद्वान' भी "रावण" हो सकता है.!!* *वक्त से बढ़कर शिक्षा देने वाला आज तक कोई गुरु नहीं हुआ,* *और. विपत्ति से बढ़कर अनुभव देने वाला आज तक कोई विद्यालय नहीं खुला !* 🌹 *सुप्रभात* 🌹 *🌹आपका दिवस मंगलमय हो🌹* ©Naresh Kumar रामायण का ज्ञान #ramayan