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krishna sharma
#5LinePoetry कविता का शीर्षक: आज का मानव लेखक: कृष्ण गोपाल शर्मा स्वरचित क्या हुआ आज के इंसा को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं हाथों पर बनी लकीरों में तकदीरे ढूंढा करते हैं लालच ही लालच भरा हुआ ना कर्म कोई वह करते हैं ना मानवता है इनमें अब ना कोई भाईचारा है छल कपट झूठ है भरा हुआ इनका बस यही सहारा है ऐसे तो जीवन ना चलता कोई तो इनको समझाए इस अंधकारमय जीवन में कोई तो दीप जला जाए तिनके का मात्र सहारा ही इनमें आशा भर सकता है कोई एक दीप ही इन सब का अंधकार हर सकता है मैं कब कहता हूं इंशां को कि तुम कोई भगवान बनो कुछ ना बन सकते हो गर तो एक अच्छे इंसान बनो कृष्णा हर इंसान को नजरों से तोला करते हैं क्या हुआ आज के इंसान को जो सत्य ना बोला करते हैं है तिमिर अंधेरा जीवन पर इत उत डोला करते हैं ©Krishan Gopal sharma आज का मानव #आज का मानव
Anshu writer
है प्यार का मानवता से कैसा नाता कीमत रिश्तों की जानता है भूख की आग बुझाने को केवल दो रोटी मागता हैं मुश्किल है सफर बिना प्यार के काटना यही एहसास दिल में दर्द की पीड़ा को जन्म दे पाता है मानव का एहसास
teri yaad
मानव हृदय एक रहस्मय वस्तु है। कभी कभी लाखो की ओर आखें उठा कर नही देखता और कभी कभी कोड़ियो पर फिसल करता है। ©teri yaad मानव का स्वभाव
Ajit Kumar
जीओ और जीने दो यही जीवन का सत्य मानवता है। जय हिंद ©Ajit Kumar मानव का कर्तव्य
Pradyumn awsthi
एक सज्जन इंसान के लिए उसका आत्म सम्मान, इज्जत और चरित्र ही सबसे बड़ा धन होता है ©"pradyuman awasthi" #मानव का सर्वोपरि धन
Pradyumn awsthi
इंसान ,प्रकृति और पशु पक्षियों का आपस में गहरा और घनिष्ठ संबंध होता है । प्रकृति और पशु पक्षी तो इंसानों को अपना मित्र मानते हैं लेकिन इंसान प्रकृति और पशु पक्षियों को अपना मित्र हरकिज नहीं समझता है ,इंसान तो केवल अपने स्वार्थ मात्र के लिए प्रकृति एवम पशु पक्षियों पर अपने मनमाने ढंग से अनेक जुल्म करता रहता है। जबकि सबसे बड़ी बात तो यह है की यदि पूरी धरती पर चींटी से लेकर हाथी तक एक भी पशु पक्षी कम हो गया तो पूरी धरती का प्राकृतिक संतुलन बिगड़ जाएगा और धरती को भारी हानि पहुंचेगी लेकिन इंसान इन सब बातों के बारे में कहां सोचता है उसको तो बस अपने स्वार्थ ,मतलब की ही भूख लगी रहती है और ये भूख कभी शांत ही नहीं होती है ©"pradyuman awasthi" #गंभीर सत्य ,मानव का
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ