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Deepali Singh
मैं ही क्यूँ...? सवाल हर बार मुझसे ही क्यूँ तुम कुछ भी करो बस जाने क्यूँ दूँ क्यूँ सबूत दूँ और साबित कुछ करूँ तु तो है बदबु पहले हो खुद से रुबरु । सच होकर भी हर बार मैं ही सहुँ क्यूँ जिंदा है तु झूठ पे तोे तुझे कैसे छोड़ दूँ बस टुकड़ों में ही बटी रहूँ यूँ क्यूँ न अब अपने दर्द सब बाटूं कहूँ क्यूँ ना जो सुन भी नहीं सकता तु और क्यूँ ना मैं अपने मन की सुनूँ भावनाओं में तु तो नहीं बहता यूँ तो क्यूँ खुद को ज़ज़्बातों में जकडुं तेरी नज़रों से खुद को कब तक देखूँ खुद की ही नज़रों में गिरा है तु क्यूँ ना एक सवाल खुद से भी पूछूँ ऐसे कैसे कब तक ये सब होने दूँ ©Deepali Singh मैं ही क्यूँ
Vj Shai (साहब)
मैं क्यूँ दुआ करूँ के किसी को मेरी उम्र लग जाये। क्या मालूम वो मेरा आख़री वक़्त हो और किसी की वाट लग जाये।। मैं क्यूँ दुआ करूँ !
Sangam Ki Sargam
ऐसी परिस्थिति में थोड़ा आराम चाहिए,कुछ करने का जुनून क्यों दबाया जाता है हमेशा। मैं आजाद भारत में हूँ पर मैं आज भी स्वयं के लिये कुछ कर सकूं इतनी आजादी नहीं है। जब हर कार्य मैंने बिना सवाल जवाब किए पूरे किए तब मैं सही ही थी। पर बात खुद के लिए कुछ करूँ तो "मैं एक लड़की हूँ " यह क्यूँ है? थोड़ा हक, थोड़ा उड़ना में भी चाहती हूँ। पर मैं गलत हूँ ये कौनसी बात हुई? सपने दबाना लड़की के अधिकार है तो मैं अगले जन्म में लड़का बनना चाहती हूँ। मैं लड़की हूँ और सब करसकती हूँ बस तुम थोड़ा साथ तो दो। मैं कभी गलत नहीं करूंगी काम बस तुम विश्वास तो रखो। "एक परिवार से इस बेटी की गुजारिश-----।।" #ShiningInDark #मैं लड़की क्यूँ हूँ??
Writer Veeru Avtar
✍✍कविता ⚖️⚖️ गुमनाम हूँ मैं, अंजान हूँ मैं,, पहचानो-मुझे,वही-इंसान हूँ मैं। कल भी आया था, आज भी आया हूँ, वही-न्याय की माँग लेकर, क्यूँ आता-जाता रहा हूँ मैं, क्यूँ नहीं बैठाया गया मुझे इंसाफ के तराजू में,, समय के अतीत से पूछो, न्यायिक शिविर के दरवाजों से पूछो, और पूछो अपने गुमनाम जमीर से,,, वही आने वाले भविष्य का वर्तमां हूँ मैं। फिर भी क्यूँ गुमनाम हूँ मैं, क्यूँ अंजान हूँ मैं।। ©Writer Veeru Avtar क्यूँ गुमनाम हूँ मैं #Confusion
Pushpendra Pankaj
प्रभु तुम दाता, मैं एक याचक, क्या माँगू और क्या ना माँगू ? तुम ममता के सिंधु विशाल हो ,मैं लोभी कैसे कुछ त्यागू? मोह माया के स्वप्न देखता , नींद है गहरी,कैसे जागूँ ? हिरण सी तृष्णा खत्म ना होती, कितना भागू,कैसे भागू? आज हिम्मत बाँध कर सोचा ,अपनी पीड़ा तुम्हे बता दूँ । मेरो पीङा की भी सुध लो,तुम ही सबको राह दिखाते, कोई ऐसी राह दिखा दो,स्वयं भी चलूँ ,औरों को सुझा दूँ । पुष्पेन्द्र पंकज ©Pushpendra Pankaj नींद है गहरी कैसे जागूँ