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सोपान ओव्हाळ.

(हसत रहा) हास्य चारोळी क्रमांक :-2

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तुझ्या प्रेमात किती घेतले कष्ट
विरहाने झालो किती मी सुस्त चोरले होते दोन कोंबडे भावनांचे
 खाऊन केले फस्त (हसत रहा)
हास्य चारोळी
 क्रमांक :-2

Nitesh Prajapati

"निर्झर"
दुर्गम पहाड़ों को चीरता हुआ,
अपनी मंज़िल का ख़्वाब लिये,
अपनी मस्ती में खड़खड़ बहता,
निकलता है स्नेह भरा निर्झर अपनी राहों पर।

मन में हौसला, दिल में उम्मीद लिए,
ना रूकता कही, ना झुकता कभी,
अपनी राह खुद चुनकर,
देता है पैग़ाम सबको निरंतर चलने का। 

ना कोई साथी उसका, ना ही हमराही, 
वह तो चला अकेले खुद पर भरोसा करके, 
अपने संघर्ष को अपना धर्म मानकर, 
बहता चला वह अपनी मंज़िल की ओर। 

बहता निर्झर लगता है बहुत ही खूबसूरत, 
जैसे लगता है प्रकृति का धरा से संगम, 
मिलो दूर से बहता अपनी मंज़िल की तलाश में, 
आखिर में वह सिमटता है तो सागर में ही। 

-Nitesh    Prajapati  रचना क्रमांक :-2

#निर्झर
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22

Nitesh Prajapati

सामाजिक दायरे (चिंतन)

          अगर समाज में रहना है हमें तो समाज के नीति नियम से जीना होगा। कुछ चीजें हमें समाज के दायरे में रहते ही करनी होगी। जैसे आजकल यह दुनिया टेक्नोलॉजी से बहुत ही आधुनिक हो गई है, फिर भी समाज में कुछ चीजें अच्छी नहीं लगती है। चाहे हमारे विचार कितने भी आधुनिक हो जाए लेकिन समाज में तो हमें समाज की विचारधारा से ही चलना होगा। 
          लेकिन आज की पीढ़ी विचारो से भी आधुनिक हो गई है, विदेशी संस्कृति और पश्चिमी संस्कृति अपना रही है। माना कि आज के युग में सभी स्वतंत्र हैं अपने विचारों पर लेकिन समाज में यह सब संस्कृति का मिश्रण यह निंदनीय बाबत है। कोई सामाजिक समारोह में आप छोटे कपड़े पहन के जाओगे, या फिर कोई मर्द नशा करके वहां पहुंचता है, यह सारी चीजें समाज के दायरे से बाहर की होती है, जो समाज में अच्छी नहीं लगती है, समाज में रहकर आप अवैध संबंध के बारे में सोच भी नहीं सकते, ना ही कोई स्त्री को घरेलू हिंसा का शिकार बना सकते हैं, समाज हमेशा ही इन सभी चीजों को धिक्कारती है, सिर्फ स्वच्छ छवि और समाज के दायरे में रहने वाले इंसान को ही अपनाती है। 
           अपने शौक अपनी जगह है लेकिन वह हम तक ही सीमित है, समाज में तो हमें सामाजिक दायरे में ही रहकर जीना होगा चाहे हमारा मन हो या फिर ना हो। 
 रचना क्रमांक :-2

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc26
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

सदाचार (कविता)

सत्य की साधना करना,
अहिंसा की पगडंडी पर चलना,
मिली है यह जिंदगी खुदा की देन से,
तो सदाचार को अपना धर्म मानना।

बनना एक सहारा किसी का,
हो अगर कोई मुश्किल में तो,
जैसे बन सके उसकी मदद करना,
और मनुष्य होने का अपना फर्ज निभाना।

सदाचार तो होता है खून में,
जो देता है एक मांँ-बाप हमको संस्कार मे,
किसी की मदद करो या ना करो,
किसी आदमी का आदर करो,
वह भी तो एक सदाचार ही है।

व्यवहार में अपने रखना मीठी वाणी तू,
खींचना सबको अपनी तरफ हृदय के नम्र भाव से,
सदाचारी जीवन ही देगा तुम्हें अमरत्व,
के मरने के बाद भी तुम जिंदा रहोगे सबके दिलों में। 

-Nitesh Prajapati 
 
 रचना क्रमांक :-3

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc26
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

इज़हार-ए-इश्क़ (ग़ज़ल)

इज़हार-ए-इश्क़ कुछ इस तरह बयां करूं में,
के तू चाह कर भी मेरे इज़हार को ठुकरा ना पाओ। 

ले जाएंगे तुझे दुनिया से दूर जहाँ सिर्फ हो हम और तुम, 
और गुलाब देकर करेंगे अपने प्यार की पेशकश के तुम ना ही ना बोल पाओ। 

हाथों में तेरा हाथ लेकर देंगे तुझे एक अटूट वादा के, 
तुम कभी मेरी जिंदगी बनने के लिए इन्कार ना कर पाओ। 

इज़हार-ए-इश्क़ करके तेरे दिल में यूंँ बस जाएंगे, 
के तु चाह कर भी कभी मुझसे दूर ना रह पाए। 

इज़हार-ए-इश्क़ से जुड़ जाएगा हमारे बीच एक ऐसा रिश्ता के, 
चाह कर भी दुनिया वाले हमारे विश्वास को कभी तोड़ ना पाए।

-Nitesh Prajapati 

 रचना क्रमांक :-4

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc26
#विशेषप्रतियोगिता

Nitesh Prajapati

नौबहार (ग़ज़ल) 

दो दिल मिले है जैसे कोई गुल खिले,
पलकें शर्मा गई जैसे सारी फलक गिरे।

नौबहार आई है मोहब्बत की भी सनम,
चलते थे और चलते रहेंगे कई सिलसिले।

नए जज़्बात लाई है ये पेड़ो की नई पत्तियां,
असर तो कर रही है प्यार की जड़ी बूटियां।

जैसे छायी है हर तरफ सिर्फ हरियाली,
आती थी, आती रहेंगी इश्क़ के रंगों की होलिया।

नौबहार है ये तपश्चर्य को तुम ना तोड़ना,
'शिव' की भी कर लो थोड़ी सी आराधना।

क्या पता कल हो ना हो कोई कद्र करनेवाला,
दिल से कर लो इश्क़ की भी थोड़ी साधना।

ऋतुराज भी कहलाती है इश्क-ए-नौबहार,
आई देखो मेरे इंतज़ार के एहसास की गुलबहार।

लाई है मेरे महबूब के रूप में प्यारा एक उपहार,
कर दिया है दिल ने भी इश्क-ए-इज़हार।

-Nitesh Prajapati  रचना क्रमांक :-1

#नौबहार
#collabwithक़लम_ए_हयात
#क़लम_ए_हयात
#जन्मदिन_qeh22

नेहा उदय भान गुप्ता

है बहुत सी उलझने मेरी, तुम आओ राघव इसको सुलझा जाओ,
दिखाकर तुम अपनी कृपा दृष्टि, हमारा भी बेड़ा पार लगा जाओ।।

है आस तुम्हारी, विश्वास तुम्ही पर, मंज़िल हमको तुम बतलाओगे।
भटक गई पथ से तेरी नेह, आकर मार्ग तुम मुझे दिखला जाओगे।।

कर्तव्य पथ है क्या मेरा, कर्मभूमि बनेगा कौन सा अधिक्षेत्र मेरा।
कब पाऊँगी सम्मान सभी से, कब आयेगा जीवन में ठहराव मेरा।।

लक्ष्य तो बहुत, पर मंज़िल नही, कब होंगे मेरे सपने साकार सभी।
ज़माना भी ख़राब, राहें भी पथरीली, नेह हाथ थाम लो तुम कभी।।

लोगे कब तक तुम परीक्षा मेरी, कभी तो सुलझाओ उलझी पहेली।
प्रेम स्वीकार करो अपनी नेह का, कब तक रहूँगी मैं यूँ ही अकेली।। क्रमांक — 03

#होलीकेहमजोली
#collabwithकोराकाग़ज़
#होली2022
#कोराकाग़ज़
#kknubgupta1
#कोराकाग़ज़कीहोली

Nitesh Prajapati


" प्रेम ध्वनि" 
तेरे प्रेम की ध्वनि गूँजे,
मेरे अंतःकरण में,
फैलाए रग रग में,
संगीत रूपी तेरे प्यार की धुन।

तेरे प्रेम की ध्वनि सुन के,
जहाँ भी होता हू मे, 
दौड़ा चला आऊ तेरे करीब,
दिली ख़्वाहिश रहे यह मेरी, 
तू बस बोलती रहे, 
तेरे प्यार भरे अल्फ़ाज़, 
में बस सुनता रहू। 

तुझे सामने बिठा के, 
तेरे लिए कविता के वह अल्फ़ाज लिखना चाहूँ, 
जो आज तक मेने कभी ना लिखें, 
और इसे हमेशा ही मेरे दिल में संभाल के रखु। 

तेरे प्रेम की ध्वनि सुन के, 
बावरा बनके खुशी से झूमना चाहूँ, 
जब भी तू सामने आए, 
तो मेरे प्यार का इज़हार, 
कुछ इस तरह करना चाहूँ की, 
हमारे प्रेम की ध्वनि की गूँज, 
हमेशा गूंजती रहे सदा, 
सारी कायनात के कोने कोने में। 

-Nitesh Prajapati 
 रचना क्रमांक :-3

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc24
#विशेषप्रतियोगिता
#प्रेमध्वनि

Nitesh Prajapati

झूठी शान (चिंतन)

झूठी शान झूठा दिखावा आजकल जैसे आम बन गया है,अपने पास कुछ ना होते हुए भी सब लोग दिखावा ऐसा करते हैं कि वह एकदम अमीर है। लेकिन झूठी शान और झूठे  दिखावा का क्या मतलब, जो तुम हो अगर वही दिखाओ तो क्या आप थोड़ी ना कम दीखोगे दुनिया से। लेकिन आज इंसान जमाने की देखा देखी में कुछ ना होते हुए भी झूठा दिखावा कर रहा है। एक ने शादी में इतना खर्चा किया तो मैं उससे डबल करूंगा, एक ने अपने बच्चों को इंग्लिश स्कूल में दाखिला करवाया तो मे भी करवाऊंँगा.... वगैरा वगैरा... लेकिन ऐसा क्यों करता है इंसान। देखा देखी के कारण आदमी का जीना मुश्किल हो गया है, अपने पास कुछ ना होते हुए भी झूठी शानो शौकत बढ़ाने के लिए आदमी कर्ज लेने लगा है दूसरों से, और एक बार इंसान कर्ज के नीचे दब गया तो फिर कभी ना उठ पाया, धीरे-धीरे वह खो देगा अपनी जमा हुई पूंजी भी, आखिर में नौबत आएगी की अपने जान से भी प्यारा अपना घर भी बेचना पड़ेगा। लेकिन इंसान जरा समझ ऐसी झूठी शान का क्या मतलब के शान के लिए तू अपना सब कुछ गवा दे, और थोड़े वक़्त की लोगों की वाह-वाह के लिए तू अपने खुद को और अपने परिवार को संकट में डाल रहा है।
जरा चिंतन करना चाहिए कि हमारे पास जितना होता है उतने में ही खुश रहना चाहिए, आखिर में हम भी तो इंसान ही है, सब को एक जैसी जिंदगी मिले ऐसा कभी मुमकिन नहीं।  रचना क्रमांक :-2

#collabwithकोराकाग़ज़
#कोराकाग़ज़
#kkpc25
#विशेषप्रतियोगिता
#झूठीशान

Ramchandra Kundlik Waghmare

सारथी तंबाखू व्यसनमुक्ती प्रकल्प यशोगाथा क्रमांक ३ #storytelling

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