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Bhamu Ji official
आगे बढ़ना है . तो सीखना बंद ना करें आवश्यकता आविष्कार की जननी ' है , तो दर्द निश्चित रूप से सीखने का जनक है । आगे बढ़ने के लिए आपको कुछ चीजें सीखमी होंगी तो कुछ भूलनी भी होंगी । आपका भविष्य काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि इस पल के बाद आप क्या नया सीखते हैं और करते हैं । विचार दर विचार , कार्य दर कार्य , अपनी कोशिशों से सचमुच सुंदर चीजों को हासिल करना सीखेंगे । ©Bhamu Ji official . द मैजिक आफ थिकिग बिग #together
Prince Yadav
कुछ भी हो यार लाइफ में...मगर हमारी किश्मत बुरी नही होती क्यूं की किश्मत तो जो भी है जेसी भी है किश्मत तो किश्मत है बस हम अपने खराब हालातो की वजह से हम अपनी किश्मत को ये कह कर कोशते है की मेरी किस्मत ही खराब है बाकी किश्मत किसी की खराब नहीं होती खराब तो उसके हालात हालात होते है और हालात एक दिन सब के थिक हो जाते है। ©Prince Yadav किश्मत किसी की खराब नही होती खराब तो उसके हालात होते है और एक दिन हालात थिक हो ही जाते है। #Loneliness
Anjali Ani Sharma
मैं वजह बनना चाहता हूं तुम्हारे मुस्कुराने की । तुम्हे मुझसे प्यार हुआ तो थिक , नही तो ,कभी कोशिश नही करूंगा तुम्हे रिझाने की ।। ❤️❤️❤️❤️ ©Anjali Ani Sharma मैं वजह बनना चाहता हूं तुम्हारे मुस्कुराने की । तुम्हे मुझसे प्यार हुआ तो थिक , नही तो ,कभी कोशिश नही करूंगा तुम्हे रिझाने की ।। #anjalian
Dehati Jay Singh
आज बहुत दुख के साथ बताना पढ़ रहा है की आज 23/09/2022 को हमारी बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया हैपढ़ रहा है की आज 23/09/2022 को हमारी बहुत ज्यादा तबियत खराब हो गई है जिसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है आपका अपना देहाती जय सिंह .... ©Dehati Jay Singh ऐप सभी से गुजरिश है की ऐप सब हमारे थिक होने के लिए भगवान से प्रार्थना कर ऐप का अपना देहाती जय सिंह .... Lalit Saxena R Ojha Anshu writer De
Geetashri Alagundagi
सच कहूँ तो , तुम्हे अकेले देख मुझे तकलीफ़ होती है, देखती हूँ मै तुम्हे हसते हुए पर तुम्हारी हँसी के पिछे छिपा गम भी पेहचान लेती हूँ, सोचती हू
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
वो रात जो दिलो दीमाग से कभी निकल नहीं सकता और वो दिन जो कभी गुजर नहीं सकता मनो जैसे जिंदगी थम सी गयी सब खत्म होगया हो. चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को पल पल मरते देख रहा हूँ रचा है बचपन की आँखों में खिला खिला सा माँ का रूप जैसे जाड़े के मौसम में नरम गरम मखमल सी धूप धीरे धीरे सपनों के इस रूप को खोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को पल पल मरते देख रहा हूँ……… छूट छूट गया है धीरे धीरे माँ के हाथ का खाना भी छीन लिया है वक्त ने उसकी बातों भरा खजाना भी घर की मालकिन को घर के कोने में तकलिफ़ो से सोते देख रहा हूँ चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ……… बेबस होके अपनी माँ को पल पल मरते देख रहा हूँ….. उस पल मे भि मुझसे केहती हर पल सब थिक हो रहा है चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को पल पल मरते देख रहा हूँ जब जब वो दर्द मे तड़पे आखे बन्द कर लेती थी मुह से बिन कहे सब कुछ आँखो से केह देती थी उस पल मे चुपके चुपके मन ही मन में खुद को रोते देख रहा हूँ बेबस होके अपनी माँ को पल पल मरते देख रहा हूँ तुम्हारि कमी कभी पुरी नहीं होसकती माँ ©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) वो रात जो दिलो दीमाग से कभी निकल नहीं सकता और वो दिन जो कभी गुजर नहीं सकता मनो जैसे जिंदगी थम सी गयी सब खत्म होगया हो. चुपके चुपके मन
dev
जीतना जरूरी है क्यूंकि इस को देख कर एहसास हुआ यह खुद टिक टिक कहती है पर खुद टिकती नहीं और दूसरों को भी टिकने नहीं देती टिक टिक