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Shiv Sankar
जाए के पहली एक बात सुन ले यादव जी, हमर गाय ला कौन दूही मोर मयारू टूरा
ASR Ajeesh Ogrey
नजर ले न मैं तोर से कोई उम्मीद रखव दिल लगाय के न तै मोर तीर देख गलत-अंदाज नजर ले,, न मोर दिल के धड़कन लड़खडाही मोर बात से न जाहिर होवय तोर कसमकश के राज नजर ले,,,, ,,,,,,,,, ASR AJEESH OGREY,,,,,,,,, मयारू के नजर
Yogita Sahu
दाई ददा के मया सूत उठ के बड़े बिहिनिया संग धारके खेत मैं जांव दाई ददा के सेवा कराई सुन्दर जस ला मै हा पांव अईस मोर उपर कोनो आफत मोर सर मा हाथ तै रखथस वो सखा सहेली बनके मोर सबो समस्या ला मोर सुलझाथस वो ददा तोर मया ए दुनिया के कोनो जगा नई मिले गा दुलौरिन बेटी कही कही के मोरो मन ला तैहा मोहे गा दुनिया भर के खूशी ला मोर अछरा मा लान के देथव दुःख दरद ला सहिके मोर बर मया ला हो सकेलथव मोर दाई ददा मोर साथ हे का बढ़िहा भाग मै पांव जय हो दाई ददा हो तोर दुनियां भर मा मैं चिल्ल्लाव अतना खुशनसीब वाली मैहा तूहर छईहा ला मै पांव अब्बड़ मयारु मोर दाई ददा तुहर दुलौरीन बेटी आंव ©Yogita Sahu अब्बड मयारू मोर दाई दादा तुहार दूलौरिन बेटी आव
Sanjeev Jha
देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना जैसे कोई कराह हो या हो प्रसव-वेदना कचरे कई नालों से उतरते हुए देखा शौचालयों के मुंह का न है कोई लेखा मां बचपन में धोती थी अब कब तक धुलाना देखा, गंगा को तकलीफ सह कर बहना ©संजीव #गंगा
प्रवीण कुमार
ना भूलूंगा भागीरथी मैं यह उपकार तेरा । मुझअधम पापी को तुमने दिया निकट बसेरा ।। क्या महिमा मैं गाऊँ तुम्हारी गा ना पाया कोई। निजी निर्मल पावन जल से तुम सब के पाप धोई।। क्यों न हो यह महिमा तेरी प्रकटी विष्णुपद से। जिन चरणों का आश्रय लेकर तरते लोग भव हैं से।। कृतकृत्य हुआ उपकार से तेरे मां भगवती हे गंगे। निज चरणों से दूर न करना रखना अपने संगें।। विनती तुझसे एक और है कृपा तू इतनी कर दे। जिन चरणों से प्रकटी मां तुम उन चरणों में धार दें ।। "अमित "वंदन करता हूं मां चरणों में मैं तेरे। हर ले मैयां जितने भी हैं दुरितों को तू मेरे।। विद्यार्थी अमितोपाध्यायः गंगा
ranjit winner
सनुो मझुे तुम फिर याद आयी ., शाम ढले इक चिट्ठी आयी .… पता तुम्हे मालमू न था,. फिर मझु तक कैसे पहुँचायी ,,, सनुो मझुे तुम फिर याद आयी .. खत में मेरा नाम लिखा है., साथ में ये पगैाम लिखा है… तमु भी मझुे भलू न पायी ,. याद तुम्हे भी मेरीआयी ., आगे तमु कुछ यूँ लिखती हो., तुम्हे पता है कब कब आयी ??? जब जब तमुने चाँद को देखा ., जब भी तमुने शमा जलायी ,.. जब जब तमु बारिश में भीगी,. और तब भी जब भीग न पायी .,, याद तुम्हे भी मेरी आयी ,. जब जब तमु को माँ ने डाँटा,. और तब भी जब आखँ भर आयी ., जब जब तमु उलझन में थी., और जब भी तमुको नींद न आयी ., सबुह भी आयी,. शाम भी आयी,. जब जब तमु ने चाय बनायी,. याद तुम्हे भी मेरी आयी , सारे जग से बात छुपायी,, पर खदु को फुसला न पायी तमु भी मझे भलू न पायी,,.. पता तुम्हे उस खत से मिला, जो गंगा में तुम बहा न पायी और फिर ये चिट्ठी भिजवाई ..जीत #गंगा