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sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3
कौन सदी का नक़्शा लाए हो... सारा दिल उसके क़ब्ज़ॆं मॆं है..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 नक़्शा
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हम कहा से आए है ये मालूम तो हो... उसकी हथेली मिले तो नक़्शा पूरा हो..। - ख़ब्तुल संदीप बडवाईक ©sandeep badwaik(ख़ब्तुल) 9764984139 instagram id: Sandeep.badwaik.3 नक़्शा
Sachin Thakre
इंतज़ार के सिवा कोई रास्ता नजर नहीं आता थक गए हम उनके नक़्शे - ए - पा ढूंढ़ते ढूंढ़ते - सचिन नक़्शे -ए- ढूंढते ढुंढते - सचिन
Sachin Thakre
इंतज़ार के सिवा कोई रास्ता नजर नहीं आता थक गए हम उनके नक़्शे - ए - पा ढूंढ़ते ढूंढ़ते - सचिन नक़्शे -ए- ढूंढते ढुंढते - सचिन
Nêhal Jêêt
प्यार ने सहेज कर रखा मुझे.. हर शख़्स रहम दिल मिला मुझे.. मैं अपनी मंजिल से कैसे ओझल होता, खुदा खुद दिखाता है नक़्श-ए-पा मुझे.. दोस्ती तो दोस्ती, दुश्मनी तो दुश्मनी, बीच का खेल बिल्कुल भी नहीं आता मुझे.. तू तन्हाइयों की फौज क्यों ना ले आ चाहे, मुझ ही से अलग करना अब नहीं आसां, मुझे..!! नक़्श-ए-पा; पैरों के निशान
PARBHASH KMUAR
दोस्त ने दिल को तोड़ के नक़्श-ए-वफ़ा मिटा दिया समझे थे हम जिसे ख़लील काबा उसी ने ढा दिया ©PARBHASH KMUAR दोस्त ने दिल को तोड़ के नक़्श-ए-वफ़ा मिटा दिया
Santosh Sinha
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई !!
Rishu
नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए, इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई..। Rishu नक़्शा उठा के कोई नया शहर ढूँढिए इस शहर में तो सब से मुलाक़ात हो गई
कुमार_सुनील
#FourLinePoetry धूप के साथ गया, साथ निभाने वाला अब कहाँ आएगा वो, लौट के आने वाला रेत पर छोड़ गया, नक़्श हज़ारों अपने किसी पागल की तरह, नक़्श मिटाने वाला ©sunil kumar धूप के साथ गया, साथ निभाने वाला अब कहाँ आएगा वो, लौट के आने वाला रेत पर छोड़ गया, नक़्श हज़ारों अपने किसी पागल की तरह, नक़्श मिटाने वाला #
Parastish
मेरी ख़्वाहिशों को भी इक जहाँ मिल जाता मैं जहाँ ठहरी रही तू अगर वहाँ मिल जाता मुश्किल होता सफ़र या पुर ख़ार होती डगर तू साथ होता अगर तो ग़म कहाँ मिल जाता न खोती ही मंजिल और न भटकती मैं राहें तू साथ चलता तो नक़्शो-निशाँ मिल जाता तुम मेरी भी जानिब जो रखते अपने क़दम चिराग़ अँधेरे को मानो मेरी जाँ मिल जाता नादां हो परस्तिश' कि चाह-ए-क़ल्ब की थी इक जुगनू को कैसे पूरा आसमाँ मिल जाता ©Parastish पुर-ख़ार - काँटों भरी नक़्शो-निशाँ - नक्शा, चिन्ह जानिब - तरफ़ चाह-ए-क़ल्ब -चाँद की चाह #parastish #Poetry #Shayari #nojotohindi