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Sethi Ji
।। ॐ नमो वासुदेव ।। हरि हरि बोल शुद्ध होंगे तेरे सारे काम दुनिया में हरि से ऊपर , ना दूजा कोई नाम राम कृष्णा वासुदेव काल्की है मेरे ही उपनाम करता हूँ हर भक्त की मदद , देता उसको आराम पुकारता जो भी मुझे दिल से , उसका हो जाता है कल्याण आता रहूंगा दुनिया में , करने नए युग का विनिर्माण 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 🙏 ©Sethi Ji भगवान वासुदेव के दस अवतार ।। मत्स्य कुर्मा वराह नरसिम्हा वामन परशुराम
AK__Alfaaz..
मानहुँ जानहुँ तू सुनहुँ कृपाला.., भजमन मोरे प्यारे कृष्ण गोपाला.., मईया धरा जै पड़हिं.., विपत्ति अति बलशाला.., प्रकट भयै बनहुँ प्रभु वाराह.., तबहुँ मोरे गिरधर बाँसुरी वाला.., रूप रखी अनन्त गुण साजा.., अतिविशिष्टा छवि विकराला.., जबहुँ धरै नरसिंह अवतार निराला.., पुत्र विरोचन,पौत्र प्रह्लाद ..बलि भुजबल दानी अतिमहाना.., छीन लीन्हौं जबहुँ बलि.., सिंहासन स्वर्ग स्वयं मनमाना.., भयै इंद्र सहित सब देव.., तबहुँ पू्र्ण विपन्ना,विपत्ति सब जाना.., कीज्हौं अरज तौ सबहुँ.., मोरे कमल नयन अभिरामा.., जानहुँ कै सब दयनीय स्थिति.., मोरे कान्हा.., बनि वामन पधारहुँ बलि धामा.., मोरे नंदलाला.., कर दीन्हौं उद्धार सर्व देवम्.., मोरे जगत कै पालनहारा.., रूप अनुपम पुरूषार्थ पुरूषोत्तम उदारा.., लीन्हौं जनम सिया-रामचंद्र जबहुँ.., तबहुँ भयो दशानन रावण वध अभिमाना.., अवतारी भयै हे कृष्ण मुरारी.., करहुँ संहार जब कंस दुराचारी.., होई गयै कान्हा मेरो तबहुँ चक्र सुदर्शन धारी.., हमने आज अपनी इस रचना मे प्रभु विष्णु के दस अवतारों मे से कुछ अवतारों की संक्षिप्त व्याख्या अपने शब्दों मे करने की कोशिश की है..हो सकता है भा
Abhay Bhadouriya
श्री राम कथा भाग- 2 (Read in caption) राम कथा भाग- 2 बैकुंठ पहुंचे जो देवता देखा दृश्य विशेष शेषनाग की शैया पर, ध्यान कर रहे परमेश प्रजापति ने इंद्र से कहीं अनोखी बात सब देवो
~Bhavi
मेरे कान्हा.... कान्हा का प्यार,कान्हा का दुलार.. मुबारक़ हो आपको जन्माष्टमी का पावन त्योहार।। मेरे कान्हा अद्भुत ,विशाल, अनुपम, अद्वितीय सुंदरता की पावन छवि हैं।मेरे कान्हा की जितनी भी तारीफ़ की जाए,वह हमेशा उनके कारनामों से कहीं कम है। हिन्दू जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद की कृष्णपक्ष की अष्टमी के दिन बहुत ही हर्षोल्लास के साथ पूरे भारत वर्ष में मनाते हैं।यह पावन पर्व मध्यरात्रि में आयोजित किया जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण अंधेरे में पैदा हुए थे।श्रीकृष्ण श्री विष्णु के दस अवतारों में से आठवां अवतार हैं।उनके जैसा लीलाधारी इस विश्व में कोई नहीं,उन्होंने अपने जन्म से ही लीलाओं का मंचन आरम्भ कर दिया था,और सदैव अनेकों लीलाओं द्वारा विश्व का कल्याण किया।वह सोलह कलाओं में निपुण थे तभी उन्हें "लीलाधारी"कहा जाता था।श्रीकृष्ण अपनी अनेक लीलाओं का कारण सुप्रसिद्ध रहे हैं,वह बचपन में ही नहाते वक़्त गोपियों के कपड़े उठाकर भाग जाते थे, अपने दोस्तों के संग गोपियों की मटकी फोड़ कर माखन खा जाते थे,उन्होंने कालिया नाग जैसे असुर राक्षस का पल में अंत किया,ऐसे अनेकों कहानियों से उनकी गाथाएं भरी पड़ी हैं।उनके गुणों में सुदामा सी पावन मित्रता,वीरता,रंगलीला, रासलीला, अलौकिक प्रेम जैसे अनेकों गुण विद्यमान थे। ©bhawna gupta कान्हा का प्यार,कान्हा का दुलार.. मुबारक़ हो आपको जन्माष्टमी का पावन त्योहार।। मेरे कान्हा अद्भुत ,विशाल, अनुपम, अद्वितीय सुंदरता की पावन छव
N S Yadav GoldMine
{Bolo Ji Radhey Radhey} अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाला है । पूर्वकाल मे देवता और असुरो मे घोर संग्राम हुआ । उसमे देत्यों ने देवताओ को परास्त कर दिया । तब देवता त्राहि-त्राहि पुकारते हुये भगवान की शरण मे गए । भगवान माया-मोह रूप मे आकार राजा शुद्धोधन के पुत्र हुये । उन्होने देत्यों को मोहित किया और उनसे वेदिक धर्म का परित्याग करा दिया । वे बुद्ध के अनुयाई देत्य " बोद्ध " कहलाए । फिर उन्होने दूसरे लोगों से वेद-धर्म का परित्याग करा दिया ।इसके बाद माया-मोह ही ' आर्हत ' रूप से प्रगत हुआ । उसने दूसरों को भी ' आर्हत ' बनाया । इस प्रकार उनके अनुयायी वेद-धर्म से वंचित होकर पाखंडी बन गए । उन्होने नर्क मे ले जाने वाले कर्म करना आरंभ कर दिया । वे सब-के-सब कलियुग के अंत मे वर्ण संकर होंगे और नीच पुरुषों से दान लेंगे । इतना ही नही , वे लोग डाकू और दुराचारी भी होंगे । वाजसनेय ( वृहदारण्यक ) -मात्र ही वेद कहलाएगा । वेद की दस पाँच शाखे ही प्रमाणभूत मानी जाएंगी । धर्म का चोला पहने हुये सब लोग अधर्म मे ही रुची रखने वाले होंगे । राजारूपधारी मलेच्छ ( मुसालेबीमान और इसाया ) मनुष्यो का ही भक्षण करेंगे । तदन्तर भगवान कल्कि प्रगट होंगे । वे श्री विष्णुयशा के पुत्र रूप मे अवतीर्ण हों याज्ञवलक्य को अपना पुरोहित बनाएँगे । उन्हे अस्त्र-शस्त्र विदध्या का पूर्ण ज्ञान होगा । वे हाथ मे अस्त्र लेकर मलेच्च्योन का संहार ( मुसालेबीमान और इसाया ) कर देंगे । तथा चरो वर्णो और समस्त आश्रमो मे शास्त्रीय मर्यादा साथपित करेंगे । समस्त प्रजा को धर्म के उत्तम मार्ग मे लगाएंगे । इसके बाद श्री हरी कल्कि तूप का परित्याग करके अपने धाम चले जाएंगे । फिर तो पूर्ववत सतयुग का साम्राज्य होगा । साधुश्रेष्ठ ! सभी वर्ण और आश्रम के लोग अपने-अपने धर्म मे दृद्तापूर्वक लग जाएंगे । इस प्रकार सम्पूर्ण कल्पो और मन्वंतरों मे श्री हरी के अवतार होते हैं । उनमे स ए कुछ हो चुके हैं और कुछ आगे होने वाले हैं । उन सबकी कोई नियत संख्या नही है । जो मनुष्य श्री विष्णु के अंशावतार तथा पूर्ण अवतार सहित दस अवतारों के चरित्र का पाठ अथवा श्रवण करता है , वह सम्पूर्ण कामनाओ को प्राप्त कर लेता है । तथा निर्मल हृदय होकर परिवार सहित स्वर्ग को जाता है । इस प्रकार अवतार लेकर श्री हरी धर्म की व्यवस्था का निराकरण करते हैं । वे ही जगे की श्रष्टी आदी के कारण हैं । ।। ८ इस प्रकार आदी आग्नेय महापुराण मे ' बुद्ध तथा कल्कि -इन दो अवतारो का वर्णन नामक सोलहवा अध्याय समाप्त हुआ ।। १६ । । ©N S Yadav GoldMine #Missing {Bolo Ji Radhey Radhey} अग्निदेव कहते हैं :- अब में बुद्ध अवतार का वर्णन करूंगा ,जो पड़ने और सुनाने वाले के मनोरथ को सिद्ध करने वाल
Kalpana Srivastava
हे प्रभु श्री राम अब तो लो अवतार एक मायावी को मार कर सतयुग का किया उद्धार एक मायावी फिर आया है करने कलयुग का संहार कब लोगे अवतार प्रभु अब तो इंसान भी करने लगा है त्राहिमाम क्षमा दान देकर सबको अब तो करो कल्याण ©kalpana srivastava #अवतार
somnath gawade
बायको स्वतः ला 'लक्ष्मी' समजत असेल तर नवऱ्याने 'विष्णू' रूप धारण करावे.🤣😂 #अवतार
Parasram Arora
इस धरती पर ईश्वर 9 बार अवतार ले चुका हैँ l लेकिन ज़रा अपने आस पास और दूर दूर तक नज़र दौड़ाइए क्या उसके आगमन से दुनिया मे कोई ख़ास परिवर्तन आया हैँ? अगर आप अपनी जिन्दगी स्वयं जीना नहीं सीखोगे तो 10वी बार भी भगवान अवतार लेकर आये तो कोई फर्क पड़ने वाला नहीं हैँ महान लोग 10 हज़ार बार भी आये तब भी कुछ होने वाला नहीं हैँ अवतार......