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Srinivas
#GuruNanakJayanti खुद में गुरु हो जाना: जब मैं एक बच्चा था, तो मैं एक बड़े लोगों के तरह शाक्त होने की कोशिश कर रहा था, जैसे-जैसे मैं बड़ी होती गई, मैंने एक बच्चे की तरह कोमल बनना सीखा। ©Srinivas Mishra I was trying to be as strong as an adult when I was a kid, as I grew older, I learned to be as gentle as a child. खुद में गुरु हो जाना: ज
बेबाक writer
Vandna Sood Topa
#काबुलीवाला भाग6 #काबुलीवाला मेरे माता पिता ने मेरी पढ़ाई खत्म होने के बाद मेरी शादी गाँव के मुखिया की बेटी से कर दी थी।मेरी पत्नी पढ़ी लिखी और मेरी माँ
भाग्य श्री बैरागी
"अभिलाषा" मेरी माँ की,"किस्सा" बड़ा सुहाना हैं, दुनिया प्रेम के बदले प्रेम माँगे,प्रेम ना माँगे बदले में, माँ की महानता का ना कोई ठिकाना हैं,। हृदय बसाये फूलों की महक, माँ की ममता और "मातृत्व" करदे सदा क्षमा। एक "गुज़ारिश" मालिक माँ की फीकी न हो चहक। कई सपने पालित हुए,कोख में ना केवल एक बच्चा था, माँ ने हजार प्रयत्न किए सब अभिलाषा पूरी हों, तेरी हर औलाद अपने मे श्रेष्ठ हैं,माँ तेरा हर सपना ही सच्चा था। हुए "अजनबी" जो पराये जग हेतु उसमें तेरा ना कोई दोष हैं, मस्त हैं मद वाले हाथी से,इनका जीवन तेरा हाथ भूलना द्वेष हैं, तू ना सोच तेरी त्रुटि कोई,इन्हें अपना ही नहीं होश हैं। माँ की मातृत्व की कहाँ कोई मिसाल हैं? माँ अपने में समेटा सारा संसार संसार हैं, माँ तेरे होने से हम हैं वर्ना बेदिशा से हम सवाल हैं। तूने सोचा हम,सफल हो तुझे गौरव का हार पहनायेंगे, जब छोटे थे खुश हो कर गले लगते थे,ऐसे ही गले लगायेंगे। माँ तेरी दुनिया बड़ी सुहानी हैं,हम लौटकर तेरी गोद में सोएंगे। टीम काव्यांजलि के लिए कोरा कागज की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए आठवें दिन के शब्द सभी को शुभकामनाएँ "अभिलाषा" मेरी माँ की,"किस्सा" ब
Anamika Nautiyal
टीम-काव्यांजलि द्वारा कोरा काग़ज़ की प्रतियोगिता हम लिखते रहेंगे के लिए आठवें दिवस की रचना जिसका शीर्षक है :- आख़िरी ख़्वाहिश सौभाग्य मि
Rohit verma
मै इस वक्त रात के अघोश` पे गमों के चादर तले कलम की नोक सी चुभती तन्हाइयों में बैठ कर लिख रहा हूं""/नज़्म वो नज़्म" जिसके लफ्जो में सुकूं नाम का कोई जिक्र ही नहीं वो सुकूं जो चंद खुशियों का लालच देकर भरे जख्मों को निचोरे हैं, वो जख्म जिसके टिश से अगर दर्द महसूस किया जाए। तो दर्द को भी दर्द होता है,,, चलिए लिखते हैं !!!!!! ये कहानी एक बच्चे की है'' थोड़ा पागल सा मासूम सा जिसके अभी दूध के दांत भी नहीं गए थे, अपने मुस्कुराहटों से दिलो को जीतने वाला खुशमिजाज रहने वाला वो बच्चा। जिसकी जिंदगी अभी अपना पहला कदम बढ़ाया ही था कि! उसके हौसले की पर को हालातो के तलवार से काट दिया जाता है। वो कहते है ना प्राकृतिक किसी को नहीं छोड़ती बच्चा हो बरा हो गरीब हो आमिर हो भगाती सबको है, एक ऐसा ही वक़्त उस बच्चे की जिंदगी में आया और उसे भी भागना पड़ा ##यही"" रोटी कपड़ा और मकान ##एक##था##बच्चा##
Punit Raja "बेबाक"
देखने में बच्चा था, सोचने में कच्चा था। पर वक़्त वो कितना अच्छा था, जब प्यार बिल्कुल सच्चा था। देखने में बच्चा था, सोचने में कच्चा था। पर वक़्त वो कितना अच्छा था, जब प्यार बिल्कुल सच्चा था। #punutraja #firstlove #nojoto
Sanju
बच्चा-क्या चचा काहे उखड़े उखड़े है? चचा- कुछ नहीं बेटा ए बस JCB का कमाल है!!!! बच्चा चच्चा
NEERAJ SIINGH
वो इश्क अच्छा था जब दिल बच्चा था दिनभर बेकरार सच्चा था देखकर उसे बेसुध कच्चा था वो इश्क अच्छा था जब दिल बच्चा था कोई ख्वाहिश ना थी बस हर तरफ तेरा दौर सच्चा था हर चीज बनी होती थी जज्बातों से हर तोहफा बड़ा बच्चा था तूम भी बड़े मासूम थे मोहब्बत से पड़ा वास्ता तुम्हारा भी कच्चा था वो इश्क अच्छा था जब दिल बच्चा था वो इश्क अच्छा था जब दिल बच्चा था दिनभर बेकरार सच्चा था देखकर उसे बेसुध कच्चा था वो इश्क अच्छा था जब दिल बच्चा था कोई ख्वाहिश ना थी बस हर तर