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Manish Jaipal
इस अटल युग के नेता थे अटल बिहारी वाजपेयी अटल जी के कारण ही भारत में अच्छी लोकतंत्रशाही अटल जी ना तो आस्तिक थे और ना ही नास्तिक पर वह जो भी थे वास्तविक थे देश के लिए अपना सर्वस्व त्याग दिया विश्व में भी मातृभाषा में भाषण दिया लोकतंत्र के उस जुमले में पक्ष विपक्ष दोनों के दिल में बना लिया अपना स्थान और भारत को बना दिया महान अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में दिया अपना योगदान वह जी भर के जी चले गए इस धरती से आसमान में बनके फरिश्ता मृत्यु को भी टाल दिया स्वतंत्रता दिवस के दिन देखकर जसन मां भारती का चले गए वह हमसे दूर अटल बिहारी वाजपेयी अटल बिहारी वाजपेयी
गौतम गुँजाल
राजनीति के महापंक में, खिला जो कमल हे। कमल वो अटल हे , या अटल ही कमल हे। पंक का एक दाग भी, लगने नही दिया है। त्याग तेज तप बल से, पंक को उज्जवल किया है। हिमालय सा हे अटल, द्वंद्व के सम्मुख अड़ा है। चिर कर सब घोर तम को, तेज बनकर वो खड़ा है। कर दिया तन राष्ट्र अर्पित, जीवन समर्पित कर दिया है। इहलोक से परलोक के उस, पथ पे वो अब चल दिया है। #अटल बिहारी वाजपेयी
knhaiyalal Sain
छोटे मन से कोई बङा नहीं हो ता टूटे मन से कोई खङा नहीं होता हार नहीं मानूँगा राहें नहीं ठानूगा काले के कपाल पर लिखता ही जाता हूँ गिते नया गाता हूँ ©knhaiyalal Sain अटल बिहारी वाजपेई की कविता
Kiran Ahir
वसुधा के वो पुजारी थे, जन जन के वो प्यारे थे.… हर पक्ष विपक्ष के ऊपर, भारत के अटल बिहारी थे.... कभी शांत, कभी प्रहारी थे, शत्रु भी उनसे हारे थे .... वो अटल रहे आजीवन भर, अपने संकल्प और वाणी पर.... सच्चे उनके हर वादे थे, और नेक उनके इरादे थे.... राहों में असंख्य कांटे थे, पर वो कब डरने वाले थे.... साहस और संयम की प्रतिमा, वो अद्भुत प्रतिभाशाली थे.... ©Kiran Ahir #अटल बिहारी वाजपेयी
Shantanu Tripathi
आओ फिर से दिया जलाएं भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़े-बुझी हुई बाती सुलगाएं आओ फिर से दिया जलाएं। हम पड़ाव को समझे मंजिल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल वर्तमान के मोंह जाल में आने वाला कल ना भुलाएं आओ फिर से दिया जलाएं। आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियां गलाएं आओ फिर से दिया जलाएं ©Shantanu Tripathi अटल बिहारी वाजपेई की कविता #letter
Shantanu Tripathi
आओ फिर से दिया जलाएं भरी दुपहरी में अंधियारा सूरज परछाई से हारा अंतरतम का नेह निचोड़े-बुझी हुई बाती सुलगाएं आओ फिर से दिया जलाएं। हम पड़ाव को समझे मंजिल लक्ष्य हुआ आंखों से ओझल वर्तमान के मोंह जाल में आने वाला कल ना भुलाएं आओ फिर से दिया जलाएं। आहुति बाकी यज्ञ अधूरा अपनों के विघ्नों ने घेरा अंतिम जय का वज्र बनाने नव दधीचि हड्डियां गलाएं आओ फिर से दिया जलाएं ©Shantanu Tripathi अटल बिहारी वाजपेई की कविता #letter
pawan kumar suman
बहुमुखी प्रतिभा के धनी अटल ************************************* हिंदी,हिन्दू,हिन्द को सही दिशा देने वाले, आजीवन अविवाहित रह सेवा करने वाले। राष्ट्रधर्म,पांचजन्य- वीर अर्जुन जैसे कई, हिंदी पत्रिकाओं का सम्पादन करने वाले। अग्नि-2,परमाणु परीक्षण कर भारत में विश्व देशों को अपना लोहा मनवाने वाले। युवाकाल में ही "हिन्दू तन - मन हिन्दू जीवन, रग-रग हिन्दू मेरा परिचय"कविता रचने वाले। संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देकर, हिंदुस्तान के पहले विदेश मंत्री कहलाने वाले। ओजस्वी,पटु वक्ता और सिद्ध हिंदी कवि बन, राजनीति में भी विजय पताका लहराने वाले। पहली कविता 'ताजमहल' लिखकर 'सुमन'. हुए अत्याचार पर कटु प्रतिक्रिया देने वाले। ✍️पवन'सुमन' बखरी,बेगू०,बिहार ©pawan kumar suman अटल बिहारी बाजपेयी