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vishnu prabhakar singh

केवल संवादहीनता से अक्सर परिवार बहरा हो जाता है। अक्सर जैसा सोचते हैं वैसा होता नहीं। #अक्सर #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaboratin #musings #yqbaba #विप्रणु

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पहचानी पहचानी स्मृति
अनदेखा कर बढ़ जाता हूँ
उलझी उलझी भावनाओ में
स्पष्ट नहीं हो पाता खूनी रिश्ते।
कभी कभी अनोखी निकटता
व्यस्ता के भेंट चढ़ा देता हूँ
ख़ुशी ख़ुशी कथित अनुभव में
साबित नहीं हो पाता खुनी रिश्ते।
कैसी कैसी महत्वाकांक्षा
सम्पन्नता से स्वार्थ छुपा लेता हूँ
छोटी छोटी आघातों के बवंडर में
लौटा नहीं पता खुनी रिश्ते।




 केवल संवादहीनता से अक्सर परिवार बहरा हो जाता है।
अक्सर जैसा सोचते हैं वैसा होता नहीं।
#अक्सर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaboratin

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी खाई फिर भरेगा #poem #walkingalone

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क्यों आ जाती है संवाद हीनता
अचानक रिश्तो के दरमियां
जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए
और उग आई है खामोशियां
आज दरार है कल होगी खाई
फिर भरेगा कौन
मैं भी चुप तुम भी चुप 
चुप्पी को तोड़ेगा  कौन
तुम भी सही मैं भी सही 
फिर गलत कौन
कल तक यहाँ संवादों की
खुली आवाजाही थी
मगर आज सारे रास्ते बंद हो गए
हर एक चुप्पी का अर्थ है खामोशी
मगर यह खामोशी 
मासूम और बेगुनाह नहीं है
हवा में साजिश की तरह घुली है
जिसने संवादहीनता के बीज बोए हैं
चारों ओर पसरी संवादहीनता
छीजते हुए मानवीय संबंध
गहराते अवसाद भरे सन्नाटे
उपेक्षा, तिरस्कार और अजनबीपन 
ऐसी महानगरीय बीमारियां हैं, 
जिस की गिरफ्त में सारा 
समाज बीमार नजर आता है
ऐसे में संवाद ही मरहम है।।

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) क्यों आ जाती है संवाद हीनता
अचानक रिश्तो के दरमियां
जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए
और उग आई है खामोशियां
आज दरार है कल होगी खाई
फिर भरेगा

मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *

खामोशिया : क्यों आ जाती है संवाद हीनता अचानक रिश्तो के दरमियां जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां आज दरार है कल होगी #खामोशियाँ #Life_experience

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खामोशिया :

क्यों आ जाती है संवाद हीनता  अचानक रिश्तो के दरमियां
जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां
आज दरार है कल होगी खाई फिर भरेगा कौन ?
मैं भी चुप तुम भी चुप  चुप्पी को तोड़ेगा  कौन ?
तुम भी सही मैं भी सही  फिर गलत कौन ?
कल तक यहाँ संवादों की खुली आवाजाही थी
मगर आज सारे रास्ते बंद हो गए हर एक चुप्पी का अर्थ है खामोशी
मगर यह खामोशी  मासूम और बेगुनाह नहीं है
हवा में साजिश की तरह घुली है जिसने संवादहीनता के बीज बोए हैं
चारों ओर पसरी संवादहीनता जुझ्ते हुए मानवीय संबंध
गहराते अवसाद भरे सन्नाटे उपेक्षा, तिरस्कार और अजनबीपन 
ऐसी महानगरीय बीमारियां हैं,  जिस की गिरफ्त में सारा 
समाज बीमार नजर आता है ऐसे में संवाद ही मरहम है
मगर सब के मन मे ये सवाल है कि 
ये मरहम लगाये कौन?

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) खामोशिया :

क्यों आ जाती है संवाद हीनता  अचानक रिश्तो के दरमियां
जैसे किसी ने चुप्पी के बीज बो दिए और उग आई है खामोशियां
आज दरार है कल होगी

Sunita D Prasad

#भाषा के दुःख..... ऐसा नहीं था कि हम एक-दूसरे के दुःख समझ पाने में अक्षम थे पर संवादहीनता के चलते समझ की भाँति ही #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#भाषा के दुःख.....

ऐसा नहीं था 
कि हम एक-दूसरे के दुःख 
समझ पाने में अक्षम थे
पर  संवादहीनता के चलते 
समझ की भाँति ही
हमारी भाषा भी कम पड़ गई।

अभिव्यक्ति में विफलता ही शायद 
भाषा का असाध्य दुःख रहा
जिसे  समझ पाना
चित्र से बाहर बह आए रंगों को 
पुनः उसकी परिरेखाओं में समेटने जितना असंभव है।

क्या भाषा के रहते भाषाविहीन हो जाना
किसी त्रासदी से कम है!

त्रासदियाँ 
केवल घटनाओं के घटने से ही नहीं 
बल्कि अपेक्षित के अघटित होने से भी हुईं।

तुम्हारे  स्पर्श भी किसी अघटित घटना की भाँति
देह से अधिक मेरी भाषा में घुले हैं

मैं  स्वयं को भाषा से पूर्व की कोई कविता पाती हूँ
जिसका सबसे बड़ा दुःख 
भाषा के अभाव में अव्यक्त रह जाना है।।
--सुनीता डी प्रसाद💐💐
 
#भाषा के दुःख.....

ऐसा नहीं था 
कि हम एक-दूसरे के दुःख 
समझ पाने में अक्षम थे
पर  संवादहीनता के चलते 
समझ की भाँति ही

Kulbhushan Arora

Dedicating a #testimonial to स्वस्ति *पवित्रा* पापा के लिए पत्र लिखने में जो भावनातमकता का परिचय दिया तुमने, सराहनीय है। स्वाभाविक है कि बह #yqdidi #yqquotes #yqletter #yqकुलभूषणदीप #yqउत्तर

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 Dedicating a #testimonial to स्वस्ति 
*पवित्रा*
पापा के लिए पत्र लिखने में जो भावनातमकता का परिचय दिया तुमने, सराहनीय है। स्वाभाविक है कि बह

Parasram Arora

संवेनहीनता.......

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जीवन  क़े  दूरदर्शन  पर 
भावनात्मक  दृश्य  मेरी  आँखों को  पहले 
धुंधला  कर   देते  थे  क्योंकि  
भावविह्लल   होकर  आँखे बहने  लगती थीं 
लेकिन अब ऐसा   नहीं  है.... कदाचित 
भावनाओं  ने  अपना   गला    घोंट    दिया है 
और  आँखों  की  तरलता  भी  वाष्पीभूत    हो कर 
आकाशीय  हो  चुकी  है 
लेकिन दूरदर्शन . तो  आज भी  अपने  सभी 
चैनलों  पर दुःखद   सुखद    कार्यक्रम 
जारी  रखे  हुए  है   लेकिन  आँखे   अब 
नम होने से  परहेज़  करने  लगी है संवेनहीनता.......
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