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sree
आठवणीचा ओघ आज , तिच्या डोळ्यातून वाहिला.. भाऊराया गत वर्षी आलता, ह्या वर्षी वाट चुकला..! आज राखी पूणवेला मायेचा खरा अर्थ उलगडला.. फोनवर बोलताना भाऊराया हुंदका गिळत राहीला..! प्रेम,राग,रुसवा,मत्सर चा मिलाप नाजुक दोऱ्यात बांधला.. बहीण भावाच्या पवित्र नात्याचा आशय कवितेत मांडला..! - ® श्रीकांत कांबळे आठवणीचा ओघ आज , तिच्या डोळ्यातून वाहिला.. भाऊराया गत वर्षी आलता, ह्या वर्षी वाट चुकला..! आज राखी पूणवेला मायेचा खरा अर्थ उलगडला.. फोनवर बोल
Shree
हो! अहम् है वहम है या खुदा का रहम, बन बैठा गोधूलि.. सांझों के इंतजार का मर्म है! मगरुर मंद-मंद गुरुर खुशबू बन इतरा रहा, पूर्वैया पगला रही, अंजुरी भर-भर ख़्वाब ढ़लके, पलकें औंघा रहीं। सृष्टि के सृजन में, वृष्टि के वर्णन में, दृष्टि के मनन में, जिधर पौ फटे नारंगी, श्री एक प्राण तुम पे वार रही। **** हो! अहम् है वहम है या खुदा का रहम, बन बैठा गोधूलि.. सांझों के इंतजार का मर्म है! मलकियत सी हमारी
BRIJESH KUMAR
घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, घर से निकल कर घर लौट आता हूँ न जानें मैं, हर रोज़ क्यों? चौख़ट पार निकल जाता हूँ हाँ, पापी पेट के लिए दो बख़त की रोटी जुटाता हूँ इसलिए घर ए दहलीज़ से बाहर जाता हूँ चंद कौड़ियों के लिए बनिए का बोझा उठाता हूँ घर के मेरे भगवान खुश रहें इसी कारण मै मिलों दूर जाता हूँ शाम को लौटते वक्त लिफ़ाफ़ों में किसी चेहरे की मुस्कुराहट बंद कर के ले आता हूँ घर से निकल कर रोज़ घर लौट आता हूँ ब्रजेश कुमार...✍ ०९/०७/२०१९ ०८:४५ पूर्वा: घर से निकल कर घर लौट आता हूँ न जानें मैं, हर रोज़ क्यों? चौख़ट पार निकल जाता हूँ हाँ, पापी पेट के लिए दो बख़त की रोटी जुटाता हूँ
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
बोल रहा मुंडेर पर , निशिदिन मेरे काग । कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १ सावन से पहले सजन , आ जाना इस बार । कब तक करती मैं रहूँ , यह विरहन शृंगार ।। २ पिया यही अनुराग तो , है मेरा शृंगार । बिन तेरे झूठा लगे , मुझको यह संसार ।। ३ मिले पिता अनुराग जो , बच्चे हो सम्पन्न । घर आँगन खुशियां खिलें , देखो सभी प्रसन्न ।। ४ सावन के झूले पड़े , पूर्वा चले बयार । नैना प्यासे दीद को , आ जाओ भरतार ।। ५ आज उसी अनुराग से , भर दो मेरी माँग । खिल जाऊँ बनके कली , दूँ कोयल सी बाँग ।। ६ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR बोल रहा मुंडेर पर , निशिदिन मेरे काग । कहता जीवन भर मिले , तुझे सजन अनुराग ।। १ सावन से पहले सजन , आ जाना इस बार । कब तक करती म
Anita Saini
ना चाहे म्हानै मिश्री मेवा..! देवौ म्हानै थोड़ोसो बखत करो बस इतनी सेवा... !! जब बी म्हानै थारी होवै जरूत... खड़या सिरहाने थानै पावा...!! याई होवै मां बाप री सांची सेवा..!! खम्मा घणी सा पितृपक्ष समाप्त हो चुक्यो है अर देवीपक्ष सरु होबाळो है। पितृपक्ष रे मांय सब लोग लुगायां ने अपने बडेरा रो पूर्वजा रो श्राद्ध किय
Arpit Singh
#क्योंकि_मैं_वसंत_हूँ #naturediariesbyarpit #nature #वसंत(Same Mentioned below👇) #poetry #yqbaba #yqdidi
RajSri(My Sweet cute Baby})
🚩श्री गणेशाय नम:🚩 📜 दैनिक पंचांग 📜 ☀ 13 - Jun - 2019 ☀ पंचांग 🔅 तिथि एकादशी 16:50:45 🔅 नक्षत्र चित्रा 10:55:33
अशेष_शून्य
संसार की सबसे सशक्त स्त्रियां निभाती हैं एक पिता का किरदार। वहीं संसार के सबसे कोमल पुरुष हृदय से मां बन जाते हैं ।। ~©अंजली राय एक स्त्री मातृत्व को नौ माह तक अपने रक्त के एक एक कतरे से सींचती है। अपनी हड्डियों के एक एक टुकड़े को बिखेर देती है एक नए ढांचे के निर्माण
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
राधे राधे कृष्ण ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust देव प्रबोधिनी एकादशी व्रत आज है। कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। इसे देवोत्थान एकादशी, देवउठनी ग्यारस, प्
DURGESH AWASTHI OFFICIAL
गुप्त नवरात्रि ©Surbhi Gau Seva Sanstan #सनातन_समाज_के_मौलिक_जातीय_तत्त्व।। १. सनातन समाज में वर्ण चार ही होते हैं, पाँचवाँ वर्ण नहीं होता। ब्राह्मण, क्षत्रिय व वैश्य ये तीनों “द्व