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Shubham Bhardwaj
चाँद भी देखूँ तो तेरा चेहरा नजर आता है। ऐ मोहब्बत, हर तरफ तेरा पहरा नजर आता है।। ©Shubham Bhardwaj #चंदा #भी #देखूं #तो #तेरा
Ravi Ravi
तुम हो पूर्णिमा की चाँद जैसी तुम पे तो रौशनी मेरी ही पड़ी है मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा मोहब्बत अपनी अभी नई है।-2 तेरे होठों पे जो रंग खिला है मेरी ही तो लाली पड़ी है, तेरी हाथों में जो मेहंदी रची है, उसमे भी तो मेरी छवि है। मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा.. मोहब्बत अपनी अभी .. बिन आमावस्या कहाँ गये तुम, क्या अम्बुद के पीछे छुप गये तुम। सुन ओ जलधर उन्हें मना लो,अपनी मेघों की छाया देदो शायद मुझसे जाली हुई हैं। मैं रवि हूँ,तुम हो चंदा.. मोहब्बत अपनी अभी .. चंदा ##चंदा
Anamika
प्रवाह जिंदगी चल रही होती है,पर ये निगोड़ी यादें भी न जीवन को धप्पा कहकर सब बिसरा निचोड़ कर परोस ही देती है .. चमकते क्षण.. लाखों की भीड़ में चुनिंदा शख्स ऐसा होता हैं कि हम उनसे शायद इस कदर खुद को जोड़ लेते हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी अपने प्रेम के हिस्से को उससे नहीं निकाल पाते.. बीतती उम्र और बंद मुट्ठी में फिसलती रेत .. भला कब तक ठहरेगी.. खैर कुछ पल जिये है अनछुए एहसास के ,तो बस उन्हीं पलों के एकतरफा अधूरे ख्वाब को पूर्ण करने के लिए मैं अलसाई नींदों में टिमटिमाते जुगनुओं की रोशनी देखकर अपने डगमगाते पांवों से कर लेती हूं प्रीत का नृतन.. #पुरानीयादोंकीचादर #डायरीकेपन्नोंसे चंदा रे चंदा रे कभी तो जमीं पर आ(गीत)
nisha Kharatshinde
संसारी ती नार जळतो उरी विस्तव झेलून रोज वार पेटून शांत होते संसारी ती नार नात्यात श्र्वास भरण्या ती मोगरा फुलविते ओवून फूल एक एक ती अंगणी सजविते त्या श्र्वासास छेडण्यास होई मोगरा अतूर हुंदक्यात रात्र दाटे का मोगरा मजबूर? ती पणती होऊन जळते अन् आस तेवते उरी या पंखास बळ देण्या रोज स्वप्नी येई परी ✍️निशा खरात/शिंदे ©nisha Kharatshinde संसारी ती नार
HANAMANT YADAV (कवीराज)
नार अलवार... नटराज राज वेस अहीरी रोखली नजर अशी गहीरी करी कंगण खण खण खण कंठी माळ मनी मोहन काळाभोर केश सांभर वर बिंदीची झालर नथ नाकीची अनुवार मोगर्याचा वेणी हार अशी मी नार.... नार अलवार... रंग गुलाब जणू कोवळा लावण्याचा जणू सोहळा नववार घननीळ निळा देहाचा फुलला मळा काळजा लागती ठेच अति साजीरा गोजीरा नाच घायाळ करी यौवन झेपावतो हा मदन तुम्ही सरकार... अशी मी नार..... नार अलवार..... कवीराज लावनी , नार अलवार....
Ankit Sune
नशा वही है, पर ना जाने क्यू अब चढ़ता नहीं है. त्योहारों की रंगत मे अब वो पहले जैसे रंग नहीं है. कुदरत का ये कैसा दस्तूर है. नुसरत तो है, पर अब उसमे पहले जैसा नूर नहीं है. त्यौहारो मे अब पहले जैसी बात कहा.
PlYUSH KUMAR JHA
चाँद ना चांद चाहिए ना फलक चाहिए मुझे बस तेरी एक झलक चाहिए ।।। चंदा ।।
BANDHETIYA OFFICIAL
धंधा हमेशा रहा है, धांधली हमेशा रही है। कभी मुखड़ा,कभी मुद्रा, चंदा हमेशा रहा है, चांदनी हमेशा रही है। ©BANDHETIYA OFFICIAL #चंदा