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Trilok Yadav Atwei
ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं #newyear2021 #चैत्र मास #नवसंबत्सर ©Trilok Yadav ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,है अपना ये त्यौहार नहीं #newyear 2021 #चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा #नवसंबत्सर @Trilok yadav #bye2020 roli y
Nisheeth pandey
*** कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है । इस परिप्रेक्ष्य मे राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता.. ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं चंद मास अभी इंतज़ार करो निज मन में तनिक विचार करो नये साल नया कुछ हो तो सही क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही उल्लास मंद है जन -मन का आयी है अभी बहार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो प्रकृति दुल्हन का रूप धार जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय गान सुनाया जायेगा युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध आर्यों की कीर्ति सदा -सदा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अनमोल विरासत के धनिकों को चाहिये कोई उधार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ~ रामधारीसिंह दिनकर ©Nisheeth pandey *** कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है । इस परिप्रेक्ष्य मे राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह
Nisheeth pandey
*** कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है । इस परिप्रेक्ष्य मे राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह " दिनकर " जी की कविता.. ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये व्यवहार नहीं धरा ठिठुरती है सर्दी से आकाश में कोहरा गहरा है बाग़ बाज़ारों की सरहद पर सर्द हवा का पहरा है सूना है प्रकृति का आँगन कुछ रंग नहीं , उमंग नहीं हर कोई है घर में दुबका हुआ नव वर्ष का ये कोई ढंग नहीं चंद मास अभी इंतज़ार करो निज मन में तनिक विचार करो नये साल नया कुछ हो तो सही क्यों नक़ल में सारी अक्ल बही उल्लास मंद है जन -मन का आयी है अभी बहार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो प्रकृति दुल्हन का रूप धार जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी तब चैत्र शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय गान सुनाया जायेगा युक्ति – प्रमाण से स्वयंसिद्ध नव वर्ष हमारा हो प्रसिद्ध आर्यों की कीर्ति सदा -सदा नव वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा अनमोल विरासत के धनिकों को चाहिये कोई उधार नहीं ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं है अपनी ये तो रीत नहीं है अपना ये त्यौहार नहीं ~ रामधारीसिंह दिनकर ©Nisheeth pandey *** कुछ मित्रों ने अभी से नव वर्ष की अग्रिम शुभकामना की प्रक्रिया प्रारम्भ कर दिया है । इस परिप्रेक्ष्य मे राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह
Divyanshu Pathak
ये धुंध कुहासा छंटने दो रातों का राज्य सिमटने दो प्रकृति का रूप निखरने दो फागुन का रंग बिखरने दो, प्रकृति दुल्हन का रूप धर जब स्नेह – सुधा बरसायेगी शस्य – श्यामला धरती माता घर -घर खुशहाली लायेगी, तब चैत्र-शुक्ल की प्रथम तिथि नव वर्ष मनाया जायेगा आर्यावर्त की पुण्य भूमि पर जय-गान सुनाया जायेगा... नव संवत्सर (२०७६) ६ अप्रैल २०१९ पर हार्दिक बधाई एवं मंगलकामनाए मैं आप सब के समक्ष राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह ” दिनकर ” जी की कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ । ये नव वर्ष हमे स्वीकार नहीं है अपना ये त्य
Anil Shukla
श्रद्धेय *रामधारी सिंह " दिनकर " जी* की कविता:- *ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं,* है अपना ये त्यौहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना य
Dilip Kumar
पूस का महीना हर तरफ ओसों की बौछार। आसमान में रंग बिरंगी पतंगों की भरमार। तिलकुट की मिठास और अपनो का प्यार। मुबारक हो सबको खिचड़ी का ये त्यौहार। @दिलीप✍️ ©Dilip Kumar खिचड़ी का ये त्यौहार
Israr Alvi
Dil Shayari दिल की गलियों को वो कुछ यू सजाया करते हैं खुद भी रोते हैं और हमें भी रुलाया करते हैं झूठ बोलती फिरती है वो दुनिया से कहती है हम मोहब्बत दिल से निभाया करते हैं हकीकत है ये सपना नहीं है कौन कहता है ये अपना नहीं है #Navya #sharma Lumbini Shejul Harshleen Kaur irslan khan Ritika suryavanshi
मनुस्मृति त्रिपाठी
शहर की भीड़ कितनी भीड़ है इस दुनियां में पर क्या कोई एक भी नही है अपना जिसके लिए जी सकूं जिसको ले कर देख सकूं अपना होने का सपना नर्गिस बेनूरी खज़ा कोई नहीं है अपना