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DR. LAVKESH GANDHI
भीड़ में कहीं छिप जाता है लोकतंत्र तब भीड़तंत्र बन जाता है भेड़िया तंत्र बिना किसी उद्देश्य के अनवरत चलता रहता है भीड़तंत्र तब लोकतंत्र को शर्मिंदा करता है भीड़तंत्र ©DR. LAVKESH GANDHI भीड़तंत्र #Bheed
Kalpana Srivastava
मन से पीड़ित इन्सान को कभी छेड़ना मत, क्यूंकि वो मुंह से तो कुछ नहीं कहता पर आत्मा उसकी रो रोकर बद्दुआएं देती है.. ©kalpana srivastava #पीड़ित #Drown
Ravi Aftab
तुम इलाज़ के अभाव में, मार सकते हो बेशक! दुखियों व पीड़ितों को, मग़र तुम नहीं मार सकते, उनके दु:ख को। तुम लाठियों व गोलियों से, मार सकते हो बेशक! भूखों की जान, मग़र तुम नहीं मार सकते, उनके भूख को। #दुखी #पीड़ित #भूख_मौत #लाठी_गोली_सियासत
Kumar Deprive
कुत्तों को मिले दूध भात, 😼😼😼😼😼😼😼 भूखे बालक ललचाते हैं। 🙇🙇🙇🙇🙇🙇🙇 मां की तन से लिपटकर, 🛌🛌🛌🛌🛌🛌🛌 रो रो कर रात बिताते हैं।। 😰😰😰😰😰😰😰 #भूख से पीड़ित लोग
Tushar Singh
मोहब्बत को ' मुसाफिर ' इतना पाख़ ना समझ, मॏकदे में दिखते है मुझे अफ़सुर्दा आशिक़ अक्सर। अ़फसुर्दा = सताए हुए, पीड़ित। पाख़ = पवित्र, साफ़।
Ek villain
देश में धन करो हत्या करो पत्थरबाजी करो राष्ट्रीय संपत्ति को आग के हवाले करो लोगों के घर के अंदर बंद करके जिंदा लगा दो इतने से भी मन ना भरे तो सड़क पर अवरुद्ध कर बैठ जाओ और जब प्रशासन कोई कार्रवाई करे तो पेट दुख बता कर अपने आप को बचा लो यह आज देश के अंदर एक फैशन सा बन गया लोग वारदात तो कर देते हैं लेकिन जब धन पाने की बारी आती है तो बड़ी आसानी से कह देते कि मुझे प्रशासन द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा है यही उनका आज का सबसे बड़ा कारागार उपाय बन गया है कुछ ऐसे ही मुट्ठी भर लोग समय की ताकत में रहते हैं कि कोई दंगा हो और अपने हाथ की सफाई करें ऐसे लोग दंगा तो बड़ी खुशी के साथ करते लेकिन जब प्रशासन का डंडा चलना शुरू हो जाए तो यह लोग बड़े ©Ek villain #पीड़ित बनकर पेश होने की आदत #City
DIPESH.....
वो मासूम सी नाजुक बच्ची, एक आँगन की कली थी वो। माँ बाप की आँख का तारा थी, अरमानो से पली थी वो।। जिसकी मासूम अदाओ से, माँ बाप का दिन बन जाता था। जिसकी एक मुस्कान के आगे, पत्थर भी मोम बन जाता था।। वो छोटी सी बच्ची थी, ढंग से बोल ना पाती थी। देख के जिसकी मासूमियत, उदासी मुस्कान बन जाती थी।। जिसने जीवन के केवल, पांच बसंत ही देख़े थे। उसपे ये अन्याय हुआ, ये कैसे विधि के लिखे थे।। एक पांच सालकी बच्ची पे, ये कैसा अत्याचार हुआ। एक बच्ची को बचा सके ना, कैसा मुल्क लाचार हुआ।। उस बच्ची पे जुल्म हुआ, वो कितनी रोई होगी। मेरा कलेजा फट जाता है,तो माँ कैसे सोयी होगी।। जिस मासूम को देखके मन में, प्यार उमड़ के आता है। देख उसी को मन में कुछ के, हैवान उत्तर क्यों आता है।। कपड़ो के कारण होते रेप, जो कहे उन्हें बतलाऊ मै। आखिर पांच साल की बच्ची कोा, साड़ी कैसे पहनाऊँ मै।। गर अब भी हम ना सुधरे तो, एक दिन ऐसा आएगा। इस देश को बेटी देने मे, भगवान भी जब घबराएगा।। एक मासूम बलात्कार पीड़ित बच्ची का दर्द...