Find the Latest Status about राजपूती पोशाक की फोटो from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, राजपूती पोशाक की फोटो.
Surendar Singh Hada
चोदर कम कर प्रधान यो सीकर ह ©Surendar Singh Hada राजपूती स्वेग
pratibha Singh thakur
कतरा कतरा बह जायें लहूं मेरें बदन का । मिटनें ना देगें नाम अपने पूर्वजों का। छेड़छाड़ हुआ जो हमारे राजपूती इतिहास से। सर कलम कर देगें तुम्हारे सारे वशं का। ©pratibha Singh thakur राजपूती इतिहास #peace
pratibha Singh thakur
शौर्यं से भरी गाथा हैं हमारी। तलवारों ने लिखा हैं इतिहास। खून से सीचा हैं धरा को हमनें। तब जाके बना यह राजपूती परिवार।। ।।जय भावानी जय राजपूताना।। ©pratibha Singh thakur राजपूती शान
fateh singh sodha
राजपूती कलम ss राजपूत की तलवार और कवि की कलम कभी कही झुकते नहीं जब गुण हो दोनों साथ में तो हम भी किसी से डरते नहीं और सच कहना हैं हमारी फ़ितरत झूठ हम कहते नहीं इन गोली बंदूको से डरके हम राजपूत जी सकते नहीं और अल्फाज़ो के खरे है इसलिए पिछे मुड़के देखते नहीं देह जाए या प्राण राजपूत पर गुरू बिन झूकते नहीं ।। ।। डर गया शो मर गया ।। "फतसा हिंदू करणसर" ©fateh singh sodha राजपूती कलम
Bharat Bhushan pathak
कैसे?इस पर विस्तारित चर्चा बाद में होगी,सबसे पहले तो छोटा सा संस्मरण संबंधित विषयवस्तु पर प्रस्तुत है:- हुआ यों कि एक बार बचपन मैं जब साइकिल चलाना सीख रहा था,तो अपने उस शरारती मित्र के कारण जो मुझे साइकिल सिखा रहा था के कारण मैं गिर गया।गिरने का कारण स्पष्ट था कि उसने कहा कि भाई तू आगे देख और पैडल मारने की कोशिश कर,पर किसे पता था कि बंधु ने 'एकला चलो रे' बताने की ठान रखी थी और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही ,एकला चलो का नारा बुलन्द करने वाले श्रीमान भारत भूषण जी क्षण भर में वसुंधरा का आलिंगन करते पाए गए और वसुंधरा ने भी स्नेह की बरसात करते हुए कुछ अधिक ही प्रेम कर दिया जिसके फलस्वरूप श्रीमान जी की पेन्ट ये दूरियाँ ये फासले अब नहीं गाते हुए पीछे और आगे फट चुकी थी,कमाल का नक्शा बनाते हुए फटी थी वो,उस जमाने में उसे छुपाते हुए किसी तरह घर वो पहुँचे और पेन्ट बदली पर आज ऐसा कुछ हो जाए तो लोग कहेंगे क्या बात है वाह बिल्कुल ट्रैण्डींग लूक! ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-२
Bharat Bhushan pathak
आज जब मेरी एक विद्यार्थी ने विद्यालय में यह बताया कि एक नामचीन अभिनेता जिनका नाम लेना जरूरी मैं समझता नहीं महिलाओं के परिधान में घूमते नज़र आ रहे हैं तो मैं दंग रह गया और सोचने पर विवश हो गया कि कितना विकास हमने वाकई कर लिया है। अब वो दिन भी दूर नहीं कि आज के लोग मरने से पहले भी विशेष अॉर्डर करते नज़र आएंगे कि मेरे मरने के बाद मैं थ्री पीस में हूँ,या स्पायरल होल वाली जींस हो इसका विशेष ख्याल रखा जाय। साथ ही अन्तिम विदाई देने वाले साथी भी इस बात पर विचार करते नज़र आएंगे कि उसने मरते वक्त ये पहना था तो मैं ये पहनूँ! बात अटपटी है मगर यथार्थ का दर्शन निहित है कि क्या आज के पोशाकें और उनके प्रति ऐसी पागलपन व विपरीत पोशाकों का सनकीपन विचारनीय नहीं है। कृपया अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखें भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-५