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Vivek Kumar Singh
क्यों सोंचूँ, क्यों आँख भरूँ? जो हो गई थी गलती मुझसे, कर याद क्यों विलाप करूँ? क्यों सोंचूँ, क्यों आँख भरूँ? जो ग़म के बादल छाए हैं, कुछ मंज़र जो याद आए हैं। दिल में रखकर उनको क्यों, मैं खुद को और परेशान करूँ? क्यों सोंचूँ, क्यों आँख भरूँ? जो हो गई गलती, हो गई। तो क्या मेरी किस्मत सो गई? ले गलतियों से सबक अपनी, क्यों न नई शुरुआत करूँ? क्यों सोंचूँ, क्यों आँख भरूँ? क्यों सोंचूँ, क्यों आँख भरूँ? #yqbaba #yqdidi #yqhindi #yqbhaijan #yqmuzaffarpur #vks
बेkhouf Lekhak
हम कुछ भी तो नही तुमने जो किया वो गहरा समंदर हैं सदियों तक उसकी गहराई नही देखी जा सकती तुम सादगी की अनोखी मूर्त सादगी और कला का वो जोड़ जिसपे भगवान की असीम कृपा थी ये दौर सुहाना था। ©बेkhouf Lekhak आँख नम है #LataMangeshkar
(fb id)Pandit Mudit Sharma
तुझे देखा आज इतने दिनों बाद कम्बखत दिल और आँख दोनों भर आये आँख भर आई है
Sanjay Ni_ra_la
हर शाम रोज यूँ ही गूजर जाती है तेरी कमी दिल को अखर जाती है सारे अरमान दफ्न हो जाते सीने में नींद आँखों में न कहीं नजर आती है ज़ज्बात एहसास रह जाते हैं मेरे धरे कसक सीने में बनकर उभर जाती है ख्वाब सारे मेरे पड़ जाते हैं धुंधले अंधेरी रात दामन में पसर जाती है इंतजार सहर का हो जाता मुश्किल सोचकर निराला आँख भर जाती है ©Sanjay Ni_ra_la आँख भर जाती है
Akhil Sharma
आज फिर उसकी CaLL आई फिर थोड़ी सी बात हुई रो दिया था मैं NEeNd tuTi or... ... Bs....cehre pe ek hi Swal.. tha.. fir वही SaPna ye.. सपने कितना अजीब होते हैं... ©Akhil Sharma dil ko baat ऐसे दिल की बात है स्टार्ट तुम छोड़ गई है स्टेट क्या हुआ है स्टाइल कैसे है तक ऐसे ऐसे कैसे क्यों हुआ है स्टाइल है स्टाइल है स्टाइ
Mastraj Gond
जुबान खामोश और आँखों में नमी होगी यही बस मेरी दास्ताने जिंदगी होगी भरने को तो हर जख्म भर जायेगा कैसे भरेगी वो जगह जहाँ तेरी कमी होगी ©Mastraj Gond जुबान खामोश है आँख नम है
CalmKazi
//आँख लग जाती है// घर से निकलते, ताले में चाभी घुमाते ही; लगता है मेरी ख्वाहिशों को भी बंद कर आगे बढ़ता हूँ, हर सुबह, एक नए दिन की तलाश में।। फिर सोचता हूँ घर वापस आ कर, अब कुछ किया जाए उन सोते हुए सपनों का। पर क्या करूँ; उन्हें उठा कर संजोने में ही आँख लग जाती है।। आँख लग जाती है #CalmKaziWrites
Arun kumar
kyu meri jindagi me itna kathin sawal deti hai tu bo ankh me cubhne bala tukda hai jo kabhi bhi ankho se ansu nikal deti hai my thought( love effection) आँख का टूकड़ा है वो
HP
आँखें एक सीधी लड़की जल में टेड़ी मालूम होती है। रात्रि में मार्ग में पड़ी हुई रस्सी काला सर्प प्रतीत होती है। तेज धूप में दूर पर चमकीली रेत पानी से भरा हुआ तालाब मालूम होती है। अत्यन्त दूरी पर स्थित पर्वत श्रेणियाँ बिल्कुल निकट दिखती हैं। डरा हुआ व्यक्ति छाया को भूत समझता है। सिनेमा के पर्दे पर तसवीरें चलती फिरती मालूम होती हैं। सुन्दर पुरुष के साथ खड़ा हुआ कुरूप आदमी और भी बदसूरत मालूम होता है। चावल बेचने वाले ज्यादातर चावल काले कम्बल पर डाल कर उनकी खराबी को दबा देते हैं, यह सब नेत्रों का भ्रम है। दृष्टि आँख मिचौनी खेलती है।