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Aman indian lyricist
सो रहे हैं चैन से वो हम बेचैन से रात गुजारे हैं बरस रही है मूसलसल नजर अब तो बस..... यादो के सहारे हैं ©Aman indian lyricist #aman_indian_lyricist #amanindian114 तड़पाती यादें और तड़पती रातें
के. शर्मा
वो मेरा पागलपन तुझसे बिछड़ने वाला... ©Krishnawatar Vishwakarma तड़पती कलम #शायरी #विचार #thought
Swapnal Sheth
रेत से पूछो क्या होती है तपन गर्म तो अंगारे भी होते है चल के देखो कभी इन तड़पते रास्तो पे तन्हा तो इंसान भी होते है ©Swapnal Sheth तड़पते रास्ते|शायरी|shayari #Shayari #Love #शायरी #प्यार #Nojoto
Prem Narayan Shrivastava
बाद मुद्दत आज अचानक कैसे मिल गए ये कभी हमने सोचा न था देख कर तुझे हमने मर्ज मिटा दिया लगता है दर्द ए दिल खुद में मगरुर होने लगा है नाज़ ओ अदा तेरा देख कर मैंने अपना दर्द सुना दिया दर्द सुन के तुझको न हुआ मुझ पे यकीं हमने भी अश्क सामने तेरे गिरा के अब अपना फ़र्ज़ निभा दिया पहले दोस्ती फिर दुश्मनी करना शौक है तेरा हमने इस बार दूरी तुझसे बढ़ा कर अब अपना दर्द मिटा दिया वफा के नाम पे बेवफाई तेरी आदतों में शुमार है क्या करूं मैंने भी सितम सह कर अपना कर्ज मिटा दिया 🙏🙏मेरी स्वरचित नई ग़ज़ल तड़पती तमन्ना🙏🙏 ©Prem Narayan Shrivastava #तड़पती तमन्ना
Shivani Singh
हम रूठ जाएंगे तो, फिर मनाएगा कौन.... आज दरारें है, कल खाई है, फिर इनको भरेगा कौन.... हम चुप हो जाएंगे तो, फिर इस चुप्पी को तोड़ेगा कौन.... छोटी छोटी बातों को लगा लोगे दिल से तो फिर रिश्ता निभाएगा कौन.... अगर इतनी नाराज़गी रहेगी तो माफ़ कर बड़प्पन दिखाएगा कौन.... जिंदगी नहीं मिलती हमेशा के लिए, कल को कोई एक ना रहा तो फिर पछताएगा कौन.... ©Shivani Singh तड़पती कलम
Kumar kayal Laxman Thakur
यू मिला दे मुझे मेरे दिल को सुकून मिल जाएगा दो दिल तरपता हैं वर्षो से दो दिल मिलकर एक हो जाएगा ©Kumar kayal Laxman Thakur दो दिल तड़पता है शायरी #findsomeone
Om Prakash Gupta,Retired Lecturer(Maths)
एक हूक उठती है,दिल में फिर से उसे सुनने के लिए, लरजती कभी मनौव्वल में, जानी पहचानी सी आवाज टटोल रही अब गुमनामी में, साया हो करती थी आगाज। पक्ष लेती मेरा,हर नादानी में, अब स्तब्ध हो गया मेरा घर, निशब्दता छा गई, आंगन में, आतुर होती थी, वह आवाज़ किलकारी की झलक पाने में, जाने कहां खो गयी है , वो मां। तड़पती होगी कहीं, तडपन में, मेरे रोने पे रोते होंगे पा अपने, छाते आसमां सा मेरे जेहन में, समाते थे ज़र्रे ज़र्रे में ,धरा पर, जोर से हुंकार भरते हैं हवा में, जो कमजोर होते हम साहस से। ओमप्रकाश गुप्ता ©Om Prakash Gupta,Retired Lecturer(Maths) तड़पती होगी, कहीं......
Suraj Yadav