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Misha Anand
बूंद बूंद है खुशियां यारा, बूंद बूंद सी कहानी। बूंद बूंद से सपने पूरे, बूंद बूंद है पानी।। बूंद बूंद की जिंदगानी, जितनी जीवन की बातें मानी। खामोशी है इस जीवन में जैसे आंखों में झलका पानी।। #World_Water_Day #जीवन की यही कहानी
mangalviras
सुरज संग चलते है हम सुरज संग ढल जातै है ः कहानी बस इस जिवन की इतनी ही है ः ना संग मै कुछ लातै है ना संग मै कुछ ले जातै है ः फिर भी गमंड तो देखो हम ना जाने किस बात पर कर जातै है ः ः।।मंगल विरास ।।ः ©mangalviras कहानी इस जिवन की
Parrkash Sarrma
🍀🌼☘️🌸❤️🌼🌺🌼🌸❤️ "धीरे धीरे उम्र कट जाती हैं! "जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है ! "कभी किसी की याद बहुत तड़पाती है! "और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है! "किनारो पे सागर के खजाने नहीं आते! "फिर जीवन में दोस्त पुराने नहीं आते ! "जी लो इन पलों को हंस के दोस्तो "फिर लौट के दोस्ती के जमाने नहीं आते!! Good evening 🍀🌼☘️🌸❤️🌼🌺🌼🌸❤️ तेरे संग यारा - https://goo.gl/9tSU88 ©Parrkash Sarrma जीवन की यही है कहानी आनी जानी ये दुनि #addiction
Govind Yadav
🌹*जब चलना नहीं आता था, तब कोई गिरने नहीं देता था..*🌺 🌻*और जब चलना सीख लिया तो, हर कोई गिराने में लगा है.... 🌷*यही जीवन की सच्चाई है*🌺 ©Govind Yadav यही जीवन की सच्चाई है
Baldatt Shah
## एक गांव में एक संत घर-घर जाकर भिक्षा मांगते और भगवान का भजन करते थे। एक बार महात्मा जी ने एक घर के बाहर भिक्षा के लिए आवाज लगाई घर से एक महिला महात्मा के लिए कुछ कंदमूल कुछ चावल लेकर आई और महात्मा जी के झोली में डाल दिया।महिला ने कहां महात्मा मुझे कुछ ज्ञान दीजिए फिर साधु जी ने कहा, तुम्हें ज्ञान में कल दूंगा। दूसरे दिन महात्मा जी ने पुनः उस घर के सामने भिक्षा के लिए आवाज लगाई उस दिन महिला ने महात्मा जी के लिए खीर बनाई थी जैसे ही महिला खीर का कटोरा लेकर बाहर आई महात्मा जी ने अपना कमंडल आगे किया। जैसे ही वह महिला की खीर डालने लगी तो उसने देखा कि कमंडल में गोबर और कुछ कूड़ा भरा है। महिला हाथ वहीं रुक गए। वह बोले महात्मा यह कमंडल तो गंदा है।फिर संत बोले हां, यह कमंडल गंदा है किंतु तुम इसमें खीर डाल दो फिर वह महिला बोली नहीं महात्मा तब तो खीर खराब हो जाएगी महिला बोली आप मुझे यह कमंडल दीजिए। मैं इसे धोकर शुद्ध कर देती हूं। फिर महात्मा बोले मतलब जब यह कमंडल साफ़ होगा तब तुम इसमें खीर डालोगी? स्त्री ने कहा, जी महात्मा ## फिर महात्मा जी बोले, मेरा यही ज्ञान है, जब तक हर भारतीय, भारत भूमि में रह रहे जिहादियों, राष्ट्रविरोधी सुवरो का पूर्ण रूप से वहिष्कार कर देश से बहार नहीं फेकता, तब तक राष्ट्र का वास्तविक विकास असंभव है, वह एक छलवा मात्रा है। ©Baldatt Shah यही है हम सब की कहानी
Pramod jindal
घुटनो से रेंगते रेंगते कब पैरो पर खड़ा हुआ तेरी ममता की छाव में ना जाने कब बड़ा हुआ काला टीका दूध मलाई आज भी सब कुछ वैसा हैं एक मैं ही मैं हूँ हर जगह प्यार ये तेरा कैसा हैं सीदा-सादा , भोला-भाला मैं ही सबसे अच्छा हूँ कितना भी हो जाऊं बड़ा माँ मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ कैसा था नन्हा बचपन वो माँ की गोद सुहाती है , देख देख कर बच्चों को वो फूली नहीं समाती है। ज़रा सी ठोकर लग जाती तो माँ दौड़ी हुई आती है , ज़ख्मों पर जब दवा लगाती आंसू अपने छुपाती है। जब भी कोई ज़िद करते तो प्यार से वो समझाती है, जब जब बच्चे रूठे उससे माँ उन्हें मनाती है। खेल खेलते जब भी कोई वो भी बच्चा बन जाती है , सवाल अगर कोई न आता टीचर बन के पढ़ाती है। सबसे आगे रहें हमेशा आस सदा ही लगाती है , तारीफ़ अगर कोई भी करता गर्व से वो इतराती है। होते अगर ज़रा उदास हम दोस्त तुरन्त बन जाती है , हँसते रोते बीता बचपन माँ ही तो बस साथी है। माँ के मन को समझ न पाये हम बच्चों की नादानी है , जीती है बच्चों की खातिर माँ की यही कहानी है। ©Pramod jindal माँ की यही कहानी है.....