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Amit Tripathi

मेरे बचपन का बूढ़ा बरगद‬ मेरे बुढ़ापे में भी बूढ़ा है खड़ा है भीष्म सा पता नहीं किस प्रतिज्ञा के निर्वहन में लताएँ लटक रही थी नीचे छूने को ज #अमित

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मेरे बचपन का बूढ़ा बरगद‬
मेरे बुढ़ापे में भी बूढ़ा है
खड़ा है भीष्म सा
पता नहीं किस प्रतिज्ञा के निर्वहन में
लताएँ लटक रही थी नीचे
छूने को ज

✍️ लिकेश ठाकुर

टूटते अरमां गिरते आँसू, कैसे ख्वाब सजाएँ, एक पल में बिखर गया सब, अब किधर जाएँ। रूह भी मुझसे पूछ रहीं, क्यों तूने इतने, खुद से स्वप्न सजाएँ, #कविता

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टूटते अरमां गिरते आँसू,
कैसे ख्वाब सजाएँ,
एक पल में बिखर गया सब,
अब किधर जाएँ।

रूह भी मुझसे पूछ रहीं,
क्यों तूने इतने,
खुद से स्वप्न सजाएँ,
जोश मेरा गिरता उठता,
अब किधर जाएँ।

संघर्षों की राहों में,
कूद पड़ी लताएँ,
आकांक्षाओं से जुड़े भाव तो,
मंज़िल पर चढ़ जाएँ।
उठी राह में गम की आँधी,
अब किधर जाएँ।

चलना तो रीत यहीं हैं,
जज्बातों को खुद जगाएँ,
हर्षित जीवन सुखद भाव तो,
मन बंजारा सा बन जाएँ।
उलझनों में फँसी ज़िंदगी,
अब किधर जाएँ।। टूटते अरमां गिरते आँसू,
कैसे ख्वाब सजाएँ,
एक पल में बिखर गया सब,
अब किधर जाएँ।

रूह भी मुझसे पूछ रहीं,
क्यों तूने इतने,
खुद से स्वप्न सजाएँ,

ABHAY Chaurey Harda M P

*वादियां बुला रही* सावन भी बरस चुका है जहाँ कुदरत भी अपना रंग दिखा रही आकर देखो खूबसूरत समां धरती की वादियां बुला रही ।। 1 ओढकर चादर वो #कविता

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✍️ लिकेश ठाकुर

Lockdown2.0 D2poem2.2 #श्रृंगार हे तरुणी, प्रदीप प्रिया तू लतिका रूपी, हरिप्रिया तुम कुछ खास हो, तुझसे ही नर नारायण ऊपजे, तू सृष्टि रचित #कविता

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Lockdown2.0 D2#poem2.2 #श्रृंगार 
हे तरुणी,

प्रदीप प्रिया तू लतिका रूपी,
हरिप्रिया तुम कुछ खास हो,
तुझसे ही नर नारायण ऊपजे,
तू सृष्टि रचित विधान हो।
नाराच धनुष पर चढ़ी प्रत्यंचा,
प्रभुता प्रखर ससम्मान हो।
तू वारिद सी जब गरज उठे,
तीव्र तड़ित उठी चाल हो।
व्योम में उमड़े आलोक सी,
प्रकृति का प्रदत उपहार हो।।
✍️कवि लिकेश ठाकुर
*तरुणी-सुन्दरी;प्रदीप-प्रकाश;लतिका-लताएँ;हरिप्रिया-कमला;नाराच-तीर;प्रत्यंचा-धनुष की डोरी;वारिद-बादल;तड़ित-बिजली;व्योम-आकाश;आलोक-उजाला Lockdown2.0 D2#poem2.2 #श्रृंगार 
हे तरुणी,

प्रदीप प्रिया तू लतिका रूपी,
हरिप्रिया तुम कुछ खास हो,
तुझसे ही नर नारायण ऊपजे,
तू सृष्टि रचित

Insprational Qoute

कलकल करती बदली पिया देखो आज कुछ कह रही, सावन की रुत अब चारों दिशाओं में सरसर बह रही, नैनो की शिरोरेखा सुरमई हुई, रंग रूप के श्रृंगार में #प्रेम #कविता #गीतिकाव्य

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"पियामिलन गीतिकाव्य"


सम्पूर्ण रचना अनुशीर्षक में पढ़ियेगा। कलकल करती बदली पिया देखो आज कुछ कह रही,
सावन की  रुत  अब चारों दिशाओं में सरसर बह रही,

नैनो की शिरोरेखा सुरमई हुई,
 रंग रूप के श्रृंगार में

Insprational Qoute

विषय:-#हुस्न की जादूगरी(राधा कृष्ण संवाद) 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 कृष्ण:- बोलो ये हुस्न की जादूगरी है या नजरों का फेर राधे, जब से पाया है तेरा साथ #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #रमज़ान_कोराकाग़ज़ #kkr2021 #kkहुस्नकीजादूगरी #Nishakamwal

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✍️निशा कमवाल विषय:-#हुस्न की जादूगरी(राधा कृष्ण संवाद)
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
कृष्ण:-
बोलो ये हुस्न की जादूगरी है  या नजरों का  फेर राधे,
जब से पाया है तेरा साथ

Insprational Qoute

रचना:-05 विधा-संवाद विषय:-(राधा कृष्ण संवाद) 🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻 कृष्ण:- बोलो ये हुस्न की जादूगरी है या नजरों का फेर राधे, जब से पाया है तेरा #कोराकागज #विशेषप्रतियोगिता #KKकविसम्मेलन #collabwithकोराकागज #kknishakamwal

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..... रचना:-05
विधा-संवाद
विषय:-(राधा कृष्ण संवाद)
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻
कृष्ण:-
बोलो ये हुस्न की जादूगरी है  या नजरों का  फेर राधे,
जब से पाया है तेरा

Abhijeet

आइये घुमा रहा हूँ आपको शहर और गाँव में। फर्क है सिर्फ इतना, जैसे दोपहर और छावं में। है छटा बिखरी हुई गाँव का, सब अनमोल है। शहर का तो कुछ #Poetry

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आइये घुमा रहा हूँ आपको  शहर और गाँव में।
फर्क है सिर्फ इतना, जैसे दोपहर और छावं में।

है छटा बिखरी हुई  गाँव का,  सब अनमोल है।
शहर का तो कुछ

Insprational Qoute

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी! नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही....... कलकल करती बदली आज पिया क #महादेवी_वर्मा #restzone #rzछायावाद #rzहिंदीकाव्यसम्मेलन

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कवयित्री:- महादेवी वर्मा
कविता -सांध्यगीत( सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!)
प्रथम पंक्ति -  सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!
अंतिम पंक्ति - दुख से, रीति जीवन-गगरी।

सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

सम्पूर्ण कविता अनुशीर्षक में पढ़े😊
 सखि मैं हूँ अमर सुहाग भरी!विरह के रंग से रंगी लाल हरी!
नित नित पिया को बुलावा भेज,मानो तन मन से मैं हार रही.......

कलकल करती बदली आज पिया क

Vidhi

कभी एक अभावग्रस्त बेटे ने कर्ज़ लिया था अपनी मेहनत से चाँद तारे तक पहुँचने की जिद करता था किस्मत उसकी कुछ खट्टी थी, थोड़ी मीठी थी चाँद की बस्त #Family #yqbaba #yqdidi #loan

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कभी एक अभावग्रस्त बेटे ने कर्ज़ लिया था

(कैप्शन में पूरी कविता) कभी एक अभावग्रस्त बेटे ने कर्ज़ लिया था
अपनी मेहनत से चाँद तारे तक पहुँचने की जिद करता था
किस्मत उसकी कुछ खट्टी थी, थोड़ी मीठी थी
चाँद की बस्त
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