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SHIVANGI👑
अब वक़्त है बदल जाने का... खुद का हुनर दिखाने का.... ना मुंह ताक इस जमाने का... हौसला भी है सामने मंजिल भी है.. ख़ुद के रास्ते बनाकर हाथों से हाथ मिलाने का... के यही वक़्त है हिम्मत के दम पर "आत्मनिर्भर" बन जाने का.... स्वदेशी अपनाए देश बचाएं #स्वदेशी
Manish Kumar Savita
सांकेतिक भाषा में मोदी जी ने ये समझाने की कोशिश की है कि विदेशी बहिष्कार मतलब कांग्रेस का बहिष्कार करना है और स्वदेशी अपनाओ मतलब बी.जे.पी. को अपनाना है बाकी आप खुद समझदार है।। #Manish Kumar Savita #स्वदेशी
Ek villain
आखिरकार दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसान आंदोलन समाप्त हो गया है पंजाब हरियाणा और पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ किसान संगठनों ने अपनी हठधर्मिता में मोदी सरकार को इस तरह के विवश कर दिया कि कृषि और किसानों के लिए व्यापक रूप से लाभकारी उन तीनों कानूनों को वापस ले लिया जाए तो जो सुधार के लिए लिहाज और कांता का कार्य माना गए हैं यह आंदोलन आवश्यकता से अधिक लंबा खींचा और इसे संसद लोकतंत्र और शासन को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए चंद समूह की ओर से इस आंदोलन का इस्तेमाल मोदी सरकार की किरकिरी करने की सर के रूप में किया गया यह किसान संगठनों की जिद ही थी कि उन्होंने तब भी अपना आंदोलन जारी रखा जब केंद्र सरकार ने नए कृषि कानूनों को कि दयावान को डेढ़ वर्ष के लिए स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इन पर रोक लगा दी थी किसान संगठन इन तीनों कानूनों की वापसी पर अड़े रहे जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने के कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया और किसान संगठनों से अपील की कि वह वापस घर चले जाएं तब भी आंदोलन समाप्त नहीं किया गया इसकी वजह किसान संगठन ने पांच नहीं मांगे जोड़ दी जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एम एस पी और समिति का गठन आंदोलन के दौरान कथित रूप से जान गवाने वाले किसानों की परिवार को मुआवजा प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मामले की वापसी बिजली सन बिजली संशोधन आगे ना बढ़ाए और प्रदूषण के तहत पराली जलाने को लेकर किसानों को कोई सख्त कदम ना उठाएं की बात शामिल थी इसमें एमएसपी का संबंध और रद्द किए गए कानूनों से है लेकिन शेष मांगे जो जबरदस्ती का ही प्रतीक है इन संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर जैसे रवैया दिखाया है वही कुल मिलाकर किसानों का अहित करने वाला है ही है एमएसपी पर लगभग हर विशेष ने यही कहा है कि अगर इस कानून गारंटी दी जाए तो सरकार पूरी तरह देश में किसानों की फसल खरीदने के लिए बाध्य होगी और इसका अनंते विपरीत प्रभाव सरकार के खजाने पर पड़ेगा इसी तरह बिजली संशोधन बिल को प्रभावित कर देने की मांग भी उचित नहीं की जा सकती क्योंकि पंजाब और हरियाणा में ट्यूबवेल चला कर धान की खेती की जा रही है इसके चलते भूजल स्तर चिंताजनक तरीके से नीचे जा रहा है इसका सबसे अधिक कमाया जा यह चित्र है भूख देंगे मुफ्त बिजली का फायदा उठा रहा है किसान यह बड़ी और रहने वाली तस्वीर देखने के लिए तैयार नहीं दुश्मन की रोकथाम वाले किसानों में संशोधन की मांग और किसानों को इस चुनौती से पूरी तरह मुक्त कर देने की अपेक्षा का भी कोई औचित्य नहीं पराली जलाने की समस्या तंत्रिका अमीर है इसके चलते उत्तर भारत के रूप में एक बड़ा इलाका हर सर्दियां आरंभ होते ही खतरनाक प्रदूषण की चपेट में आ जाता है प्रदूषण के इस बड़े कारण से किसान भलीभांति परिचित और स्वयं भी इससे प्रभावित है ©Ek villain # अनावश्यक आंदोलन का अंत #TuruLob