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Vishw Shanti Sanatan Seva Trust

पूर्णिमा तिथि पर विश्वशांति सनातन सेवा परिवार के तत्वाधान में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि की तरह इस पूर्णिमा तिथि पर भी विश्व के मंगल के लिए यज्ञ #जानकारी

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ओम नमो यज्ञ नारायण

©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust पूर्णिमा तिथि पर विश्वशांति सनातन सेवा परिवार के तत्वाधान में प्रत्येक पूर्णिमा तिथि की तरह इस पूर्णिमा तिथि पर भी विश्व के मंगल के लिए यज्ञ

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !! अर्थात-: हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की उत् #yqbaba #yqdidi #shreekrishna #yourquotebaba #janmashtami #yourquotedidi #vs❤❤

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अर्थात-:
हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की उत्पत्ति के 
कारण! हे दैहिक, दैविक और भौतिक तीनो 
तापों का विनाश करने वाले महाप्रभु! हे श्रीकृष्ण! 
आपको कोटि कोटि नमन. हे लीलाधर! 
हे मुरलीधर! ...संसार आपकी लीलामात्र 
का प्रतिबिंब है. हे योगेश्वर!आप अनन्त ऐश्वर्य, 
अनन्त बल, अनन्त यश, अनन्त श्री 
के स्वामी हैं लेकिन इसके साथ साथ 
आप अनंत ज्ञान और अनंत वैराग्य के 
भी दाता हैं. हे योगिराज कृष्ण! आपके 
महान गीता ज्ञान का आलोक आज तक 
हमारा पथप्रदर्शक है लेकिन हम मर्त्य 
प्राणी आपके इस अपार सामर्थ्य को 
भूलकर उस माया में डूबे हुए हैं जो हमें 
आपके वास्तविक स्वरुप का भान नहीं होने देती है. हे अनंत कोटि ब्रह्मांड के स्वामी! इस बार जन्माष्टमी पर हम भक्तजन आपके योद्धा कृष्ण, नीतीज्ञ केशव, योगिराज माधव स्वरुप की शपथ लेते हैं, कि हम सदैव आपके चरणकमलों का अनुगमन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलेंगे...
                         🏵🏵🙏जय जय श्री कृष्णा🙏🏵🏵
__Vibhor vashishtha Vs
 Meri Diary #Vs❤❤
सच्चिदानंद रूपाय विश्वोत्पत्यादिहेतवे! 
तापत्रय विनाशाय श्री कृष्णाय वयं नम: !!
अर्थात-:
हे सत् चित्त आनंद!हे संसार की 
उत्

Pramod Kumar

*श्रावण मास शिव तत्व* *भगवान शिव का स्वरूप देखने में बड़ा ही प्रतीकात्मक और सन्देशप्रद है। हाथों में त्रिशूल यानि तीनों ताप दैहिक, द #Happiness #God #Shiva

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*श्रावण मास शिव तत्व*
         *भगवान शिव का स्वरूप देखने में बड़ा ही प्रतीकात्मक और सन्देशप्रद है। हाथों में त्रिशूल यानि तीनों ताप दैहिक, दैविक और भौतिक को धारण किए हैं। मगर यह क्या हाथों में त्रिशूल और त्रिशूल पर भी डमरू ? डमरू मतलब आनंद और त्रिशूल मतलब वेदना दोनों एक दूसरे के विपरीत।*
          *जीवन ऐसा ही है। यहाँ वेदना तो है ही मगर आनंद भी कम नहीं। आज आदमी अपनी वेदनाओं से ही इतना ग्रस्त रहता है कि आनंद उसके लिए मात्र एक काल्पनिक वस्तु बनकर रह गया है। दुखों से ग्रस्त होना यह अपने हाथों में नहीं मगर दुखों से त्रस्त होना यह अवश्य अपने हाथों में है।*
          *भगवान शिव के हाथों में त्रिशूल और उसके ऊपर लगा डमरू हमें इस बात का सन्देश देता है कि भले ही त्रिशूल रुपी तापों से तुम ग्रस्त हों मगर डमरू रुपी आनंद भी साथ होगा तो फिर नीरस जीवन भी उत्साह से भर जाएगा।*


 *राधे राधे*🙏 *श्रावण मास शिव तत्व*
         *भगवान शिव का स्वरूप देखने में बड़ा ही प्रतीकात्मक और सन्देशप्रद है। हाथों में त्रिशूल यानि तीनों ताप दैहिक, द

Vibhor VashishthaVs

Meri Diary Vs❤❤ राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।। बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।। दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज #vs❤❤

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इस चौपाई के अनुसार राम राज्य में शारीरिक, मानसिक, 
आध्यात्मिक और सांसारिक तीनों ही दु:ख नहीं थे।
 राम राज्य में रहने वाला हर नागरिक उत्तम चरित्र का
 था। सभी नागरिक आत्म अनुशासित थे, वह शास्त्रो 
व वेदों के नियमों का पालन करते थे। जिनसे वह निरोग, 
भय, शोक और रोग से मुक्त होते थे। सभी नागरिक दोष 
और विकारों से मुक्त थे यानि वह काम, क्रोध, मद 
से दूर थे। नागरिकों का एक-दूसरे के प्रति ईष्र्या या 
शत्रु भाव नहीं था। इसलिए सभी को एक-दूसरे से अपार 
प्रेम था। सभी नागरिक विद्वान, शिक्षित, कार्य 
कुशल, गुणी और बुद्धिमान थे। सभी धर्म और 
धार्मिक कर्मों में लीन और निस्वार्थ भाव से भरे 
थे। रामराज्य में सभी नागरिकों के परोपकारी होने 
से सभी मन और आत्मा के स्तर पर शांत ही नहीं बल्कि 
व्यावहारिक जीवन में भी शांति और सुकून 
से रहते थे। रामराज्य में कोई भी गरीब नहीं था। रामराज्य में कोई 
मुद्रा भी नहीं थी। माना जाता है कि सभी जरूरत की चीजों का बिना 
कीमत के लेन-देन होता था। अपनी जरूरत के मुताबिक 
कोई भी वस्तु ले सकता था। इसलिए बंटोरने 
की प्रवृत्ति रामराज्य में नहीं थी..।
सभी को सप्रेम✴️ सुप्रभात✴️
🙏‼️🏹जय जय प्रभु श्री राम🏹‼️🙏
✍️Vibhor vashishtha Vs
 Meri Diary #Vs❤❤
राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।
बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज

Parasram Arora

देहिक प्रेम vs दैविक प्रेम #कविता

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Mrityunjay Verma

पार दैहिक #विचार

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"कड़वी सच्चाई"
सच्चे प्रेम कि पराकाष्ठा ही विरह वेदना का आनंद हैं।

©Mrityunjay Verma पार दैहिक

Subhash Kasar

दैनिक...... #Comedy

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" दैनिक बोंबा बोंब " दैनिक......

Vishal

दैनिक जीवन #विचार

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सारी दुनिया से 
जितने वाला बाप 
अपने औलाद के
सामने हर जाता है
चाहे वो बेटा/बेटी हो दैनिक जीवन

कवि प्रेम पथिक

दैनिक भास्कर

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 दैनिक भास्कर

vishnu thore

दैनिक सकाळ....

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 दैनिक सकाळ....
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