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CK JOHNY
वो पाँव में टूटी हुई चप्पल का था जो जोड़ा और बाकी का सफर अभी है बहुत ज्यादा। नंगे पाँव चलूँ या लौट चलें क्या है इरादा। देखें मुँह के निवाले या फिर पाँव के छाले चुनें किसे यक्ष प्रश्न सामने है सीधा सादा। लौटने देता नहीं अच्छे दिनों का ख्वाब और मुफलिसी में खुद से किया हुआ वादा। वो पाँव में टूटी हुई चप्पल का था जो जोड़ा और बाकी सफर अभी है बहुत ज्यादा बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 06.10.2020 टूटी चप्पल
Nisheeth pandey
#MessageOfTheDay किसी को फटे कपड़ों और टूटी चप्पल में देखकर भिखारी मत समझो... . . . . . . हो सकता है, वह किसी का बॉयफ्रेंड हो! : 😂🤣😂 ©Nisheeth pandey किसी को फटे कपड़ों और टूटी चप्पल में देखकर भिखारी मत समझो... . . . . . . हो सकता है, वह किसी का बॉयफ्रेंड हो! :P :P :p
Shubham Anand Manmeet
तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे। उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती, उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे। सिंपल से हम डिंपल पड़ता था हमको, डिंपल में हम पिंपल से ख़ुश रहते थे। ©Shubham Anand Manmeet तेरी याद के काजल से ख़ुश रहते थे, हम दो नैना दो पल से ख़ुश रहते थे। उससे हमें तोहफ़े की हाजत क्यूँ होती, उसकी टूटी-चप्पल से ख़ुश रहते थे।
Sanchit Uniyal
Aacky Verma
एक चाहत मेरी मेला देखने की जिद थी मेरी जाने की आँशु नही मेरे थमते थे झमा झम बस बरश्ते थे तब पापा आते है गोदी मे मुझे उठाते है अपने पैरो के दर्द को भूल अपनी पीठ पे बिठा पुरा मेला मुझे घुमाते है खुद टूटी चप्पल मे रहते पर मेले से खिलौने मुझे दिलाते है पापा मेरे अपने गमो को भूल मुझको खुश करने मे लग जाते है और अब क्या ही मे कहु मुझको दर्द मे देख आँशु वो अपने छुपाते है पापा मेरे मुझको कितना चाहते है Love you papa ❤ ©Aacky Verma एक चाहत मेरी मेला देखने की जिद थी मेरी जाने की आँशु नही मेरे थमते थे झमा झम बस बरश्ते थे तब पापा आते है गोदी मे मुझे उठाते है अपने पैरो के द
Akanksha
"वो बेढंगी ज़िंदगी " वो बचपन के मटमैले से कपड़े और वो टूटी चप्पलें वो कपड़े जो उड़ती धूल से भी बेपरवाह होकर गुज़र जाया करते थे , और उन चप्पलों को पहन यूँ ही गलियो
रिंकी✍️
अकसर मैंने देखा है उसे चौराहें के उस मंदिर पर वो हर रोज सुबह आता है बैठता है रोता है एक नारियल खरीदता है और रोज चढ़ाता है जो उसकी भूख मिटा सकती थी वो अक़सर उस पत्थर पर चढ़ता है उसका जो विश्वास है और उसके चेहरे का वो भाव आह ..! कितना आनंद कितना तृप्त करता है मुझे संघर्ष में भी नही भूलता उसे दो हाथ दो पैर के लिए शुक्रियादा मनाता है पेट भरने को बस मिले इतना ही चाहता है टूटी चप्पल पैरो में कंधे पर और हाथों में कपड़े की गठरी लिए बड़ी आश से उसके पास आता है प्रार्थना करता है सर झुकता है और रोज की तरह काम पर निकल जाता है अकसर मैंने देखा है उसे चौराहें के उस मंदिर पर वो हर रोज सुबह आता है बैठता है रोता है एक नारियल खरीदता है और रोज चढ़ाता है जो उसकी भूख मि
Rooh_Lost_Soul
ये शहर .... (क्रमशः ) please read Caption गर्म झुलसते मकानो मे जो बसता वो, है ये शहर। चांद की चांदनी देखे बरसो हुए, हां मगर, सूरज की आग से हर दिन जो तपता वो, है ये शहर । आंचल से वो
AK__Alfaaz..
बहुत भीड़ थी, दिल के गलियारे में, उसने सहमे-सहमे अपने कदम रखें, और बढ़ने लगी आगे, आगे उसे त्याग मिला, जिसे सबने था त्याग दिया, उसने उसे उठाया..गले से लगाया, और...साथ लेकर चलने लगी, थोड़ा और आगे जाने पर, समर्पण मिला, एक जगह दुबका हुआ, जिसे सब खोज रहे थें अपने लिए, सदा उससे, किंतु वो तैयार नही था किसी के साथ जाने को, उसने भी उससे आश्रय माँगा, फिर वो उसे भी लेकर चल दी आगे, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #सड़क बहुत भीड़ थी, दिल के गलियारे में, उसने सहमे-सहमे अपने कदम रखें, और बढ़ने लगी आगे,