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Parasram Arora
तुम कहती हो कभी मैं उथला हूँ. कभी मैं गहरा हूँ प्यार को समझ नही पाता हूँ तुम कहती हो कभी मैं सहज कभी मैं असहज हूँ. प्रीत के प्रतिको को समझ नही पाता हूँ शरद की भोर हैँ और मैं पसीने से भीगा हूँ तुम कहती हो कभी मै वज्र हूँ कभी मैं तरल हो जाता हूँ और ये मज़े की बात हैँ क़ि ये सब मैं कितने प्यार से स्वीकार भी कर लेता हूँ. इसके बावजूद भीअगर तुम मुझे दोष देती रहोगी तों मुझे कहने मे कोई संकोच भी नही हैँ क़ि मैं शुरू से ही विवादास्पद . हूँ ©Parasram Arora विवादस्पद
Shravan Goud
विवादास्पद चीजों से दूर रहे। विवादास्पद चीजों से दूर रहे।
manoj
धूम्रपान से केवल कैंसर का खतरा रहता हैं।❤️ परंतु प्यार से खतरा ही खतरा रहता है। डरा नहीं रहा हूँ।🙄 यह जनहित मे विज्ञापन हैं। 😜 ©manoj विज्ञापन
Shravan Goud
कमाई करने का जरिया विवादास्पद नही रहना चाहिए। कमाई करने का जरिया विवादास्पद नही रहना चाहिए।
Azhar Ali Imroz
विज्ञापन लेखन विषय:--काग़ज़ काग़ज़ बहुत कोमल होता है।इसको जलाने से जल्द जल जाता है। भिगोने से बहुत जल्द गल जाता है।इस को सही से उपयोग करने पर हमें एक सच्चा और अच्छा इंसान बना देता है।इस से ही प्रमाणित किया जाता है कि कोन डॉक्टर, इंजीनियर, न्यायमूर्ति, न्यायधीश है और इन लोगों का कार्य समाज सेवा होता है। जो समाज में शांति व्यवस्था बनाए रखने केलिए होता है । मुल्क में इसका उत्पादन बहुत कम होता है परन्तु ये हमें बहुत लाभ पहुंचाने में काम आता है। न्यूज़ पेपर पुस्तक आदि पढ़ने समझने के लिए । अपने पूर्वजों को जानने के लिए जो इतिहास बनाई जाती है।उसको काग़ज़ पे सिमटा जाता है ।इसी प्रकार से हम सभी अपने पढ़ी दर पीढ़ी को जान लेते हैं । अज़हर अली इमरोज़ 24-03-2020 विज्ञापन लेखन
-Kumar Kishan Krishan Kr. Gautam
#Pehlealfaaz कितना अच्छा परिवार होता होगा इन विज्ञापन वालों का, इनके यहां सब खुश रहते हैं। हमारे यहाँ क्यूं नहीं? #कुमार किशन #विज्ञापन#नोजोटो#परिवार
Parasram Arora
विज्ञापन और हम आज के विज्ञापन हमारी मनोदशा की खबर देते हैँ कैडिलांक कार का विज्ञापन होता हैँ तो विज्ञापन में लिखा होता हैँ "something to believe in " कुछ जिस पर भरोसा किया जा सके . जिस पर श्रद्धां की जा सके. विशवास किया जा सके अब ईश्वर पर श्रद्धां हट गई हैँ जीवन से श्रद्धां हट गई हैँ... प्रेम से श्रद्धां हट गई हैँ.. अब तो केडीलाक पर श्रद्धां करनी पड़ेगी l एक विज्ञापन वोककोला का भी देख लीजिये "एव्री थिंग गोज वेल विथ कोकाक़ोला " अगर पत्नी से झगड़ा हैँ तो कोकाक़ोला लाओ अगर घर में वैमनस्य हैँ तो रेफ्रीजिरेटर में कोकाकाला की बोतले भर कर रखो.... हर चीज़ मजे से चलती हैँ डंग से चलती हैँ बस कोकाकाला. संग में हो अब और तो कोई उपाय नही रहा.. बाईबले धोखा दे गई lगीताये काम नही पड़ी l अब कोकाकाला पर भरोसा करो.. कुछ तो चाहिए ही ©Parasram Arora विज्ञापन और हम
HP
जीवन दृष्टि का नाम ही ‘विज्ञान’ है। मैं क्या हूँ, मेरा लाभ किस में है, मुझे आनन्द देने वाली वस्तु क्या है? मेरा लक्ष्य क्या है? मुझे क्या सोचना चाहिए? क्या करना चाहिए? कैसे गुणों और स्वभाव को अपनाना चाहिए, दूसरों के प्रति मेरा व्यवहार क्या होना चाहिए आदि प्रश्नों का उत्तर अन्तरात्मा के गुप्त प्रदेश में जिस प्रकार मिलता हो उसी के अनुसार यह जाना जा सकता है कि हमारे विज्ञानमय कोश की स्थिति क्या है? (अखंड ज्योति) विज्ञान