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Abhay Bhadouriya

सुनो देखों 
"हम अच्छे दोस्त हैं.."
ये अच्छा उलाहना है..
जिन्हें कभी 
दोस्त से अधिक होना था
वो सदा 
दोस्त ही बने रहे....  #प्रेम #प्रेम_पर_चिंतन 
#उलाहना #व्यंग्य #व्यंग्यबाण 
#love #yqhindi #abhaybhadouriya

अदनासा-

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gaurav gautam

 #व्यंग्य_वास्तविकता

अनिल शशि

#हास्य व्यंग्य2

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@mahi

Motive यहाँ कुछ बात है 
इस एकहि एहसास की 
कुछ खास बात है क्या??😊
देखो बोल भी दो 🤗
सब कुछ सहते👧👩‍🎓👩👰 हुए भी 
क्या ये वो तुम्हारी
हँसी वाली मुलाकात है क्या?😊
और ऐसा है तो 
किसी के सामने ,आत्मसम्मान बनाये रखना 
ये दुनियाँ है,लोग पूछ बैठेंगे
आजकल बहोत खुश रहते  हो माही
कोई खास सौगात है क्या???🙂

©@mahi #व्यंग्य01

#WaheedaRehman

आशुतोष आर्य "हिन्दुस्तानी"

#कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण 

ये सीमा-पार के लोग नहीं, ये अंदर के गद्दार है।
जिन्हे देश की नहीं सूझती, स्वार्थी बने वो बैठे है।
चीनी माल चाप रहे है, न जाने क्यों ऐंठे है।।
ऐसे लोगों में मुझको बस दिखता इक गद्दार है।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।
जिनको हिजड़े से ज्यादा कुछ कहना ही बेकार है।।

इन लोगों ने देश को न जाने क्या-क्या दुख दे डाला।
छीन लिया है इन लोगों ने गरीबों का निवाला।।
अब मुझको लगता है बस इन्हें राष्ट्र-नर्क में जाना है।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।
क्योंकी इनकी देशभक्ति कुछ और नहीं बहाना है।।

किसी को अल्लाह प्यारे है और किसी को राम ही न्यारा है।
अब इकलौता पड़ा बेचारा हिन्दुस्तान हमारा है।।
उन पंडों, उन मुल्लों से कह दो कि गर हम न होते।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।
तो फिर उनके अब्बू-अम्मा तलवे चाट रहे होते।।

गद्दारों के अंदर कोई देश-प्रेम का भाव नहीं।
देश के प्रति चिंतन करने का उनमें कोई चाव नहीं।।
शायद उनको देशभक्ति का मलहम अभी है लगा नहीं।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।
शायद उनको देशद्रोह का अंतिम क्या है पता नहीं।।

काट-काट इन चंडालों का सिर, लहू अधर पर धारेंगें।
हम हिन्द के रक्षक हिन्द-शत्रु के अधम का बोझ उतारेंगें।।
जो भी देशद्रोही देशद्रोह को, भारत में पधारेंगें।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।
कान खोलकर सुन लो हम दौड़ा-दौड़ा कर मारेंगें।।

ये हिन्द की धमकी नहीं, आशुतोष "हिन्दुस्तानी" की ललकारे हैं।
हम उन वीरों के वंशज, जिसने लाख शत्रु-दल मारे हैं।।
गुंजन में अब बस शेष बचे, "जय जय हिन्द" के नारे हैं।।
क्या कहू् और उनको मै जिनको, मनुष्यता भी धिक्कारे है।
यह कविता भी है ऐसी, जिसको हर पाठक स्वीकारे है।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे है।।
बस यहीं कहूंगा "जय हिन्द", जो सवा अरब को तारे हैं।।
       
                                   :- आशुतोष "हिन्दुस्तानी" #कविता_संग्रह #व्यंग्यबाण

Sahitya Guru Ramesh Khudiyala

व्यंग्यात्मक गीत

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ishwar

व्यंग्यात्मक परिदृश्य।

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ख़ुदा ने तुम्हे इंसान बनाया है तो इंसानियत खरीदो कुत्ते नही । 
वरना संगत का असर तो आएगा , फिर पूँछ ही हिलाओगे इंसानो के सामने ।। व्यंग्यात्मक परिदृश्य।

अभिषेक सिंह

शराब कहने को तो ये
हर मर्ज की दवाई है,

पर इसी से घर मे 
आफत आई है,

कुछ लोग इसे तनाव का
इलाज बताते है,तो
कुछ तन्हाई का साथी 
कहते है,
पीने वाले तो इसे 
अपनी महबूबा भी कहते है,

अगर ये इतनी जरूरी है तो
इसे छिप कर पीना क्यूँ,

अगर जरूरी नही है तो
व्यर्थ में चर्चा क्यों?? #शराब,#व्यंग्यात्मक कटाक्ष

करण शुभकरण

जो टूट गया वो वादा था 
खत मिला जो उसका आधा था 
वो सुबह को यही सोच कर आई थी मेरे पास
रात न रुकने का तो उसका शुरू से ही इरादा था
किया तो उसने भी था इश्क मुझसे ग़ालिब उसका थोड़ा और मेरा थोड़ा ज्यादा था 

मासूमियत मगरूरियत को छुपा लेती है
मैं पढ़ न सका चेहरे पर उसके मेकअप बहुत ज्यादा था #कहानी #गजल #शायरीलवर #व्यंग्यात्मक
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