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Dr Jayanti Pandey

                        मन......
धूल  की  कई  परतें जमा रखी हैं मन की झील पर
टूटे  ख्वाबों  की  कितनी  जलकुंभियां  उग आई हैं!
बारिश  का  पानी  भी इसे  कैसे साफ कर पाएगा ?
क्षोभ, उदासीनता,और निस्सारता की सघन काई है।

इस झील की  निर्मलता का दायित्व स्वयं  उठाना होगा
हिम्मत कर तुम्हें ;  एक बार  इसमें  उतर ही जाना होगा
एक-एक करके मन का हर अवांछित भाव हटाना होगा
समय लगेगा और श्रम भी, पर तुम निश्चित कर पाओगे।

थोड़े में ही थक मत जाना, तुम्हें पूरा साफ करना है
जानते हो ना,  जलकुंभी  का स्वभाव तेज बढ़ना है 
ध्यान रहे यह  सतत  प्रक्रिया है, नजर  रखनी होगी 
खर पतवार न जमने पाए, मन की कद्र करनी होगी।
       

धूल की कई परतें जमा रखी हैं मन की झील पर
टूटे ख्वाबों की कितनी जलकुंभियां उग आई हैं!
बारिश का पानी भी इसे कैसे साफ कर पाएगा ?
क्षोभ,उदासीन

धूल की कई परतें जमा रखी हैं मन की झील पर टूटे ख्वाबों की कितनी जलकुंभियां उग आई हैं! बारिश का पानी भी इसे कैसे साफ कर पाएगा ? क्षोभ,उदासीन #yqdidi #yqhindi #yqdidihindipoetry #jayakikalamse

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Paramjeet kaur Mehra

#कबीरसाहेब_की_पहचानज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा। 
तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।।
इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया। 
शरण लेवो अविगत राया।।

सतयुग में व

#कबीरसाहेब_की_पहचानज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा। तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।। इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया। शरण लेवो अविगत राया।। सतयुग में व #suspense

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Paramjeet kaur Mehra

ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा। 
तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।।
इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया। 
शरण लेवो अविगत राया।।

सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक

ज्ञानी गरूड़ है दास तुम्हारा। तुम बिन नहीं जीव निस्तारा।। इतना कह गरूड़ चरण लिपटाया। शरण लेवो अविगत राया।। सतयुग में विष्णु जी के वाहन पक #Poetry

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Dr Jayanti Pandey

"अकेलेपन का साया"

(रचना अनुशीर्षक में पढ़ें) 
अकेलेपन का साया 
देखो सभी पर छाया 
कहीं प्यार में है शर्तें 
कहीं शर्त ही छलावा।

बांधी हुई है डोरी 
किसी और ही नियम से

अकेलेपन का साया देखो सभी पर छाया कहीं प्यार में है शर्तें कहीं शर्त ही छलावा। बांधी हुई है डोरी किसी और ही नियम से #yqdidi #yqhindi #jayakikalamse

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रजनीश "स्वच्छंद"

अच्छा तो नहीं।।

हर बात में रुठ जाना, अच्छा तो नहीं,
हाथों से हाथ छूट जाना, अच्छा तो नहीं।

माना, कि है नाज़ुक बड़ी मुहब्बत ये,
एक झटके में टूट जाना, अच्छा तो नहीं।

बसाया था सांसों में आपको ही तो,
बिन सांस घुट जाना, अच्छा तो नहीं।

किया निस्सार दिल-ओ-जां अपना,
यूँ सरेआम लूट जाना, अच्छा तो नहीं।

था धड़कनों में आना जाना उनका,
सीने पे मूंग कूट जाना, अच्छा तो नहीं।

ज़ुबां पे बरबस था आता नाम उनका,
हो सच का झूठ जाना, अच्छा तो नहीं।

हर एक बज़्म की दास्तां थे हम दोनों,
बीच महफ़िल उठ जाना, अच्छा तो नहीं।

©रजनीश "स्वछंद" अच्छा तो नहीं।।

हर बात में रुठ जाना, अच्छा तो नहीं,
हाथों से हाथ छूट जाना, अच्छा तो नहीं।

माना, कि है नाज़ुक बड़ी मुहब्बत ये,
एक झटके में टू

अच्छा तो नहीं।। हर बात में रुठ जाना, अच्छा तो नहीं, हाथों से हाथ छूट जाना, अच्छा तो नहीं। माना, कि है नाज़ुक बड़ी मुहब्बत ये, एक झटके में टू #Poetry #Love #pyaar #kavita #hindikavita #hindipoetry #judai #Muhabbat

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रजनीश "स्वच्छंद"

मेरी मोहब्बत।।

मुहब्बत की ना करना बात यारों,
ज़िन्दगी हार कर आया हूँ।
खुश हो ज़नाज़े में होना शरीक,
दिल को मार कर आया हूँ।।

था गुमां बहुत ही मुहब्बत पर,
कुछ हमे कुछ उनको भी।
तिनका तिनका बिखरा आशियाँ,
घर भी उजाड़ कर आया हूँ।।

चलता हूँ, रुकता हूँ, हो बदहवास,
किसी ठिकाने की तलाश में।
लौटना हुआ अब मुश्किल बड़ा,
तिल को ताड़ कर आया हूँ।।

कुछ अपने भी छूट गए पीछे कहीं,
झटका था हाथ उनका कभी।
कैसे लाश लिए जाऊं लौट फिर,
जां उनपे वार कर आया हूँ।।

किस से सच कहूं, क्या क्या कहूं,
खुद ही मैं खुद में उलझा हूँ।
सुहाती नहीं बस अब सूरत कोई,
जो उनको ताड़ कर आया हूँ।।

क्या जमीं और क्या ये आसमा,
सब रूठे रूठे से लगते हैँ।
खफा है अपना ख़ुदा भी मुझसे,
उनपे जां निस्सार कर आया हूँ।

©रजनीश "स्वछंद" #NojotoQuote मेरी मोहब्बत।।

मुहब्बत की ना करना बात यारों,
ज़िन्दगी हार कर आया हूँ।
खुश हो ज़नाज़े में होना शरीक,
दिल को मार कर आया हूँ।।

था गुमां बहुत ही

मेरी मोहब्बत।। मुहब्बत की ना करना बात यारों, ज़िन्दगी हार कर आया हूँ। खुश हो ज़नाज़े में होना शरीक, दिल को मार कर आया हूँ।। था गुमां बहुत ही #Poetry #Love #ghazal #Dil #pyaar #ishk

32 Love

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रजनीश "स्वच्छंद"

मनःस्थिति।।

अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी।
मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी।

दुर्ग रक्षित संस्कृति का, भरभरा कर ढह रहा था,
उसमे पनपता एक पल्लव हाथ जोड़े कह रहा था।
वीर की थी पृष्ठभूमि जो, कब यहां साकार होगी,
कब तलक ये आत्मा, निकृष्ट और लाचार होगी।
विनय उस निर्बल की भी, पांव तले कुचली गई,
थी कहानी चल रही, जीवन मृत्यु की टकरार थी।
अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी।
मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी।

अपने चरम पर दम्भ भी ले खड्ग था चल रहा,
मुरझा गया था बीज भी जो गर्भ में था पल रहा।
किसके हृदय को भेदता गजपाद का कम्पन रहा,
भेदहींन ज्ञान था, कौन विषधर कौन चन्दन रहा।
इस अंतहीन विषाद को छद्म सुख में मैं ढो रहा,
चींटियों का झुंड था बस, अपनी लम्बी कतार थी।
अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी।
मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी।

बदला हुआ था रक्तवर्ण, जैसे हुआ शिथिल श्वेत,
जिसको समेटे जा रहा, बन्द मुट्ठी में जैसे हो रेत।
बालमन की संवेदना, उठ आज फिर से जगा रहा,
नवसृजित कदमों से कम्पित पग मैं आगे बढ़ा रहा।
फिर गगन छूने को पांव पंजे हाथ मैं विस्तारता हूँ,
फिर से सुननी है मुझे, जो कल मेरी जयकार थी।
अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी।
मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी।

©रजनीश "स्वछंद" मनःस्थिति।।

अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी।
मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी।

दुर्ग रक्षित संस्कृति का, भरभरा कर ढ

मनःस्थिति।। अस्त्रसज्जित मैं खड़ा था, खल रही ललकार थी। मन के दानवों से युद्ध मे, मुझे दैव की दरकार थी। दुर्ग रक्षित संस्कृति का, भरभरा कर ढ #Poetry #Quotes #kavita #hindikavita #hindipoetry

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KP EDUCATION HD

KP TAILOR HD video recording HD video

©KP TAILOR HD यहां पढ़ें उनकी प्रिय आरती और चालीसा-

खाटू श्याम की आरती:Khatu Shyam Ji ki Aarti

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।

खाटू धाम वि

यहां पढ़ें उनकी प्रिय आरती और चालीसा- खाटू श्याम की आरती:Khatu Shyam Ji ki Aarti ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे। खाटू धाम वि #Quotes

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Insprational Qoute

चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार,
सभी बड़े छोटो को मिला बना घर  परिवार।।
बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार,
नन्हें मुन्हें तोतली बोली से करते सुख संचार।।


🙏🙏सम्पूर्ण रचना कृपया अनुशीर्षक में पढ़ियेगा🙏🙏 चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार,
सभी बड़े छोटो को मिला बना घर  परिवार।।
बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार,
नन्हें मुन्हें तोत

चुन चुन फूलों को पिरो बना अमूल्य कण्ठहार, सभी बड़े छोटो को मिला बना घर परिवार।। बिन फूलों के सावन भादो में न हो कभी बहार, नन्हें मुन्हें तोत #lovequotes #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #sanjaysheoran #collabwithsheoran_quotes #sheoran2

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