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Sarfaraj Ahmad
बुराई ढूंढने का शौक है तो शुरुआत खुद से कीजिए दूसरों से नहीं ©Sarfaraj Ahmad बुराई ढूंढने का
Jatin Kumar
अक्सर जब हम आँख बंद करके चल रहे होते हैं, तब हमें सबसे महत्वपूर्ण लोग मिल जाया करते हैं, क्यूँकि उन्हें ढूंढने के लिए आँखे नहीं नसीब कार्यकर होता है। मिल गया वो जब ढूंढने का सोचा नहीं था।
Dr Manju Juneja
समस्याओं के घाट पर हम अकेले तो नही खड़े सारा जमाना किसी न किसी समस्या से है झुंझ रहा मुफ़लिस मुफ़लिसी में मारा जाता हैं खाने को अन्न का दाना नही ,तन ढकने को वसन नही फिर औलाद को पढ़ाने के लिए पैसा कहाँ से आएगा हाथ मे नौजवान लिये फिरते है डिग्रियाँ पर नौकरियां आसानी से कहाँ मिलती है कहीं पानी की क़िल्लत कहीं विजली नही है तो किसी के सिर पर रहने को छत नही है कोई माँ बाप औलाद के लिए तरसता है तो कहीं औलाद के द्वारा तिरस्कार किया जाता है उनका कोई अपनी बीमारी से है परेशान तो आज की युवा पीढ़ी मानसिक तनाव से है परेशान ये भी एक समस्या है कोई किसी को खाते और आगे बढ़ते देख सकता नही शायद इसलिए कि वो खुद अपने दम पर कुछ कर सकता नही और सबसे बड़ा आज देश मे कोरोना महामारी का दौर है ठप पड़े हैं सारे रोज़गार चारो ओर हाहाकार का शोर है । ©Dr Manju Juneja अगर हमारे जीवन मे समस्याए है तो उनका हल भी है।बशर्ते ये हल स्वयं हमे ही ढूंढना है। आज के दौर में हर इंसान किसी ना किसी समस्या से झुंझ रहा है
Vandana
****** एक तसल्ली भर सी है तेरे साथ होने से झूठ है या सच,,,भरम है या वहम,,,, छटपटाने से लगते हैं एहसास मेरे तेरे ना होने से कोई इतना रूह को झकझोर क
मीनाक्षी मनहर
आशा की किरण /मीनाक्षी मनहर सुबह सवेरे पांच सितम्बर का दिन फोन पर बहुत से दोस्तो की शुभ- कामनाऐ फेसबुक ,
मीनाक्षी मनहर
आशा की किरण /मीनाक्षी मनहर सुबह सवेरे पांच सितम्बर का दिन फोन पर बहुत से दोस्तो की शुभ- कामनाऐ फेसबुक ,
राम
*न जाने किस मनोदशा का शिकार हो गए हैं हम?* *न जाने किस ओर बढ़ रहे हैं हम?* *न जाने क्यों एक समाज के रूप में संगठित नहीं हो पा रहे हैं हम?*
Monika jayesh Shah
ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं, स्वेत रंग,शांत मन,जैसे जग सारा लगता हैं, तेरी मध्यम -मध्यम रौशनी में कुछ कर गुजरने का मन करता हैं... ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं! जब बादल तुझ पर छा जाते हैं , तो मेरा मन बेमन सा लगता हैं... बारिश के मौसम में ,तुझे ढूंढ़ने का मन करता हैं... तू छिप जाता हैं..कहीं ,तो तुझे ढूंढने का मन करता हैं! ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं ये मेरा मन तो बड़ा ही बावरा हैं.. अाज तुझ पर कविता करता हैं ,और बहुत लिखने का मेरा मन करता हैं! ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं तेरी रोशनी में मुझको मेरा प्यार नजर आता है! जब भी तुझको देखूँ में,मन मेरा कुछ कहता हैं, मस्त पवन की लहरो में,मेरा दिल कुछ गाता है, उस चाँद केे दीदार में,में और क्या कहूँ, कुछ लोग कहते हैं उस चाँद को ,ए चाँद तुझमे भी दाग हैं! पर वो दाग मेरे प्यार से बेदाग हैं. .बस तुझे देख मेरा दिल झूम जाता हैं! बस मेरा दिल झूम जाता है! ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं! चाँद की चाँदनी में ;शरद-पूणिऀमा में तेरा रूप और भी सुहाना लगता है! मस्त ठंडी पवन मेंनजारा अति सुंदर मन को लुभाता हैं..तेरी मध्यम रोशनी में मेरा प्यार उमड़ जाता हैं.. बारिश में तू अति सुहाना लगता हैं! बादल मे जब लुका-छिपी वाला खेल नजर आता हैं! ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं! बस तुझे देख मेरा दिल झूम जाता हैं! बस मेरा दिल झूम जाता है..वो नजारा मेरी आॕखों में कैद नजर आता हैं! ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं! 🌹मोनिका जयेश शाह🌹 ©Monika Shah ए चाँद तू सितारों के बीच कितना प्यारा लगता हैं, स्वेत रंग,शांत मन,जैसे जग सारा लगता हैं, तेरी मध्यम -मध्यम रौशनी में कुछ कर गुजरने का मन कर
Sudha Tripathi
मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं थी ट्रेन दूसरे दूरवाले नए स्टेशन पे आने वाली थी पहली बार वो स्टेशन जाना हुआ बड़ी हिम्मत करके तैयार तो हो गई लेकिन आते समय अपने याददाश्त शक्ति के क्षमता अनुसार रास्ता भूल गई एक तो इतने सारे निर्माणाधीन फ्लाईओवर की वजह से सारे रास्ते को ब्लॉक किया हुआ था सब कुछ बंद होने की वजह से मुझे समझ नहीं आ रहा था किस एरिया में हूँ केवल कुत्ते की भौंकने की डरावनी आवाज हर ओर से आ रही थी मोबाइल में नेट नहीं पेट्रोल देखा तो वह भी रिजर्व..... नाइट कर्फ्यू की वजह से एक इंसान कहीं नहीं अब पूँछू भी तो किससे परिस्थितियां कुछ ऐसी थी आगे जाँऊ या पीछे जाँऊ कुछ समझ नहीं आ रहा था मैं रुक कर हर पोस्टर पर एरिया का नाम ढूंढने का प्रयास करने लगी तभी पीछे से आवाज आई क्या मैं आपकी कुछ मदद कर सकता हूं मेरी स्थिति क्या थी वो मैं बता नहीं सकती बहुत हिम्मत करके पीछे देखा पूरी तरह से कवर केवल आँखे दिख रही थी दोनों स्थितियां चल रही थी एक ओर आशा की किरण तो दूसरी ओर........ मैंने कहा भाई साहब रेस कोर्स अभी कितनी दूर है यहां से उन्होंने कहा बेन बहुत आगे आ गए हो आप उन्होंने मुझे समझाया मुझे नहीं पता नाईट कर्फ्यू में वो कहां से आये मैं इतनी अधिक डरी हुई थी कि जल्दी जल्दी मैंने उन्हें धन्यवाद दिया और उनके बताए गए रास्ते से जब रेसकोर्स के आसपास आई तो मेरी जान में जान आई घर पहुंच कर आधे घंटे लगे होंगे मेरी धड़कनों को सामान्य होने में और उस दिन समझ में आया अंधेरा क्या होता है? सन्नाटा क्या होता हैं?कुत्तों का भौंकना कितना भयानक होता है? अनजान रास्ते पर अकेले इंसान का मिलना क्या होता है? रास्ता भूल जाना क्या होता है? और भी बहुत सारी बातें.... ©Sudha Tripathi मुझे नहीं पता मुझे अंधेरे से इतना डर क्यों लगता है शहर में नाइट कर्फ्यू था 3:00 बजे रात को स्टेशन छोड़ने जाना था कोई और वैकल्पिक व्यवस्था नह
Hemant Sharma
प्रेम और पुरुष ❤️ प्रेम और पुरूष ❤ वैसे तो किसी लिंग विशेष से जोडकर नही देखना होता है प्रेम को परन्तु फिर भी सार्वजनिक जीवन मे एक भ्रांति है की पुरूष ईतना कु