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Parasram Arora

मरुस्थलों   की  रेत 
चिलचिलाती  धूपमे 
यौवन   भार  से  जब  लद   जाती  हैँ 
ऊंटनी  के  गले. मे  घंटियों  की 
मधुर  स्वरलहरी  जब थिरकने  लगती  हैँ 
तब  पूरे  थार  के  महासागर मे.उथल  पुथल 
होने  लगती  हैँ 
टीले  घाटियों मे  समा  जाते  हैँ.. और  फिर 
न जाने  कितने  युगो  का  मौन  गीतों मे 
गुमशुदा  हो  जाता  हैँ मरुस्थलीय   मौन  गीत......

मरुस्थलीय मौन गीत......

13 Love

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Shree

तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जाते हो.....
अबके आना तो यहीं रहना, 
ये आना-जाना
निर्मम थोड़ा सा है.....

क्योंकि हम लिख लेते हैं, 
पर, सब व्यथा-कथा है तुम्हारे मन की ही ना!! तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!!
सब लगे मखमली, 
मुलायम मनभावन,
तुम जब आते हो.....

मरुस्थलीय मन लगे, 
कभी कठोर पत्थर लगे, जब जात

तेरे मन की ख़ामोशी..... जानी-पढ़ी है मैंने!! सब लगे मखमली, मुलायम मनभावन, तुम जब आते हो..... मरुस्थलीय मन लगे, कभी कठोर पत्थर लगे, जब जात #midnightthoughts #YourQuoteAndMine #quotestitchers #yqquotestitchers #a_journey_of_thoughts #QShindi640 #unboundeddesires

0 Love

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gio creation

पुरखो ने  वर्षों हल चलाकर
मुझे कलम के लायक बनाया है।
मैं किसान पुत्र हूँ, बदलते मौसम
और इस मिट्टी ने हरहाल में जीना सीखाया है।।

©gio creation मरुस्थली किसान #giocreation 

#Flower

मरुस्थली किसान #giocreation #Flower

24 Love

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Sanjeev Kumar

मरूस्थली मरीचीका

मरूस्थली मरीचीका

42 Views

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पंकज कुम्हार

दिल मरुस्थल हो रहा
कुछ हरियाली दिखा
नब्ज़ों से
 connection
 दिल का
नब्ज़ों में बांध ना बना
खारा ही सही 
पर इन्हें
कुछ पानी तो दिखा दिल-मरुस्थल

दिल-मरुस्थल #शायरी

8 Love

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'मनु' poetry -ek-khayaal

#उदास #मरुस्थल 

#horror
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Parasram Arora

क्या कभी लौट पायेगा  वो  प्रवासी जल
मरुस्थलो मे?
कैसे विस्मृत कर सकता है आज वो मरुस्थल कि.
वो  भी कभी समुन्द्र का अंश था  और उसमे भी.
लहरे कभी ठाठे मारा करती थी
लेकिन वक़्त ने करवट ली और उसके जल क़ो
सूरज ने वाशपिकृत करके उसे मरुस्थल मे बदल दिया
आज वो  सन्नाटो मे चीख चीख कर अपनी व्यथा प्रकट करता है. और  आज भी वो  तरलता के स्वप्न उन वीरान रातो मे देखा करता है

©Parasram Arora मरुस्थल की व्यथा

मरुस्थल की व्यथा #कविता

8 Love

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Usha Dravid Bhatt

#OpenPoetry मरुस्थल

सफेद किरमिची चादर सा दिखता मरुस्थल,
भोर की बेला जैसा कितना शान्त और शीतल ,
मैं चली जा रही हूँ ,
कभी न मिलने वाले बिछडे साथी की खोज में ,
ज्यों भटकता रहता है हिरण अपने गर्भ में छिपी कस्तूरी की खोज में ।
कांटे बिंधे पैरों से , जख्मी तन लिए , 
आंसुओं से तर-बतर चेहरा -
ऐसे ढूँढ़ता है अपने प्राण को,
जैसे निष्प्राण सा पागल अन्त समय में प्राणवायु ढूंढता है ,
क्या मिल सका है कभी ,खोया हुआ ,इस अनन्त फैली मरुभूमि में ।
असंख्य हादसों की कब्रगाह बन कर कैसे शान्त हो तुम ,
अब तो बता कहाँ है मेरा राही , तू इतना कठोर मत बन -
देख आंख वीरान हैं ,जिस्म  वेजान है ,शब्द पथरा गये ।
सोचा था मेरे हृदय की चित्कार के दर्द को तू सह न पायेगा ,
भूल थी मेरी ,कहां मैने आंसू बहाए ,
अरे मरू तू तो  म-रु-स्थल है कहां तुझमे संवेदनाएं ।
थक गयी हूं अब , लहू  रिसते घावों का दर्द सह नहीं सकती ,
विश्रान्त दे दे मुझे , अपनी स्पन्दन हीन निशान्त गोद में ,
कि पहुँच जाऊँ मैं अपने प्रिय के पास ।
भोर बिना  *उषा* का क्या  अस्तित्व ।
बस अब सो जाऊं , जहाँ से  फिर  कभी उठ न सकूं 
चिरंतन काल तक ,
दरकती  खिसकती रेत में ,
लुप्त हो गयी  खुशियों की तरह ।। खुशियों से विहीन मरुस्थल

खुशियों से विहीन मरुस्थल #कविता #OpenPoetry

30 Love

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'मनु' poetry -ek-khayaal

#समंदर #बदन #दिल 





#मरुस्थल #सेहरा #निगाहें 
#Help
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अविनाश पाल 'शून्य'

उसकी आँखों में देखा है इश्क का समुन्दर मैंने
जिसपे आरोप है कि भावों का मरुस्थल है वो। #शून्य #इश्क़  #समुंदर  #पावन_प्रेम
#पवित्ररिश्ता #मरुस्थल #योरकोट_दीदी #योरकोटऔरमैं
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सिद्धार्थ मिश्र स्वतंत्र

फ़र्ज़ी एहसासों को,
कविता!!
नही कहते,
मरुस्थल का ताप,
आलिशान कोठियों,
में नही समझ आता,
कविता,
अनुभव है अनुभूति है,
जिसमे आपका,
बोध!!
परिलक्षित होता है,
कविता गुलाब की,
गमक ही नही,
चुभते कांटे भी हो सकती है।
कविता में महफ़िल का,
शोर ही नही,
मरघट का सन्नाटा भी,
हो सकता है।
कविता,
तुम्हारी वास्तविकता,
तुम्हारा प्रतिरूप भी है।।  #NojotoQuote कविता
#गुलाब
#कांटे
#मरुस्थल
#मरघट
#कविता
#स्वतंत्र
#nojotohindi
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Rवाणी

 #DPF #love #life #motivation #जहर #ताउम्र #कहर #सहरा-#सहारा #मरुस्थल #समन्दर #poetry #हिंदी #उर्दू
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Sangeeta singh

मैं और तुम डॉ उमाकांत अग्निहोत्री द्वारा रचित कविता #मैंऔरतुम #मरुस्थल #पेड़ #फूल #रक्तिमपुष्प #तरसेंगी

मैं और तुम डॉ उमाकांत अग्निहोत्री द्वारा रचित कविता #मैंऔरतुम #मरुस्थल #पेड़ #फूल #रक्तिमपुष्प #तरसेंगी #poem

193 Views

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सुसि ग़ाफ़िल

अब 
जब कोशिश 
होगी 
मरुस्थल में 
जल खोजने की , 

सबसे 
पहले मेरी 
आंखों को 
खोजा  जाएगा !  अब 
जब कोशिश 
होगी 
मरुस्थल में 
जल खोजने की , 

सबसे 
पहले मेरी

अब जब कोशिश होगी मरुस्थल में जल खोजने की , सबसे पहले मेरी

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Dev Ratna

मौसम पहाड़ों का मरुस्थल तक आ गया है💗


#Love #LoveStory #Yaad  #Feeling #mylove #devRatna  #प्यार #देवरत्न

मौसम पहाड़ों का मरुस्थल तक आ गया है💗 Love #LoveStory #Yaad #Feeling #mylove #devRatna #प्यार #देवरत्न #शायरी

12,191 Views

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Ansh Rajora

मुहब्बत पे मुहब्बत फिर लुटा के आ रहा हूँ मैं
मुहब्बत पे ग़ज़ल ऐसी सुना के आ रहा हूँ मैं

मुसलसल ख़ुद को ख़ुद ही से बचा के आ रहा हूँ मैं
यूँ कश्ती रेगज़ारों में चला के आ रहा हूँ मैं

बिगाड़ेंगी ये लहरें अब मिरा कैसे भी कुछ यारों
समंदर एक फिर भीतर दबा के आ रहा हूँ मैं

ओ तूफानों सुनो तुम भी लो टकराओ वहीं मुझसे
लो ख़ुद इक नाव फिर अपनी बना के आ रहा हूँ मैं

नहीं बढ़कर है हमदम हौसले से कुछ भी दुनिया में
ये अब सारी ही दुनिया को बता के आ रहा हूँ मैं

जो बिटिया सो रही होगी कहूंगा मौत से भी मैं
चलो तुम, गोद में इसको सुला के आ रहा हूँ मैं

किसी के दर्द का मरहम बनेगा अब फकीरा भी
फ़क़त अपने ग़मों को ख़ुद भुला के आ रहा हूँ मैं
 एक ग़ज़ल हुस्न ए मतला के साथ पेश है
#रेगज़ार - रेगिस्तान,मरुस्थल,desert
#fakeera_series #ghazalgo_fakeera
#yqbaba #yqdidi #yqbhaijan

एक ग़ज़ल हुस्न ए मतला के साथ पेश है #रेगज़ार - रेगिस्तान,मरुस्थल,desert #fakeera_series #ghazalgo_fakeera #yqbaba #yqdidi #yqbhaijan

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सुसि ग़ाफ़िल

हम कांटों में ही रहेंगे ... 
क्योंकि कांटों में ही फूल खिलते है, 

मरुस्थल के
रेत में तो तासीर उदासीन मिलेगी | हम कांटों में ही रहेंगे ... 
क्योंकि कांटों में ही फूल खिलते है, 

मरुस्थल के
रेत में तो तासीर उदासीन मिलेगी |

हम कांटों में ही रहेंगे ... क्योंकि कांटों में ही फूल खिलते है, मरुस्थल के रेत में तो तासीर उदासीन मिलेगी |

0 Love

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Rabindra Kumar Ram

" उसके आंखों ने क्या तरकिफ निकली है , 
मुझे विरान मरुस्थल सा प्यासा रखने का , 
खुद तो दरिया हैं लहरों पे लहर लेती है ,
भिगोती हैं मेंरे साहिल को मुझे प्यासा छोड़ जाती है . " 

                              --- रबिन्द्र राम " उसके आंखों ने क्या तरकिफ निकली है , 
मुझे विरान मरुस्थल सा प्यासा रखने का , 
खुद तो दरिया हैं लहरों पे लहर लेती है ,
भिगोती हैं मेंरे साहि

" उसके आंखों ने क्या तरकिफ निकली है , मुझे विरान मरुस्थल सा प्यासा रखने का , खुद तो दरिया हैं लहरों पे लहर लेती है , भिगोती हैं मेंरे साहि #साहिल

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Prakhar Tiwari

ये जीवन एक मरुस्थल हैं
प्रेम की एक बूंद मिले तो ठहर जाना
और खो जाना उन बूंदों में

k.st

©Prakhar Tiwari #nightsky ये जीवन एक मरुस्थल हैं
प्रेम की एक बूंद मिले तो ठहर जाना
और खो जाना उन बूंदों में

#nightsky ये जीवन एक मरुस्थल हैं प्रेम की एक बूंद मिले तो ठहर जाना और खो जाना उन बूंदों में #लव

19 Love

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एक अजनबी

बयाबाँ वो दिल का शहर कर गया
मुझे सूखता इक शजर कर गया

अभी तक रहा जो मिरे ख़्वाब में 
वो इक दर्द मेरे जिगर कर गया

मिला तो नहीं वो मगर देख कर 
जहाँ से मुझे बे-ख़बर कर गया

न टूटी मुहब्बत शब-ओ-रोज़ की   
दिया रात पे यूँ असर कर गया।।

🌸🌸🌸

©एक अजनबी #poem #Hindi #Nojoto #Poetry 

बयाबाँ : - मरुस्थल, बंजर
शजर :-  जिसके पास जाने में बुराई हो
शब-ओ-रोज़ : - निरंतर, लगातार, रातदिन

#poem #Hindi Poetry बयाबाँ : - मरुस्थल, बंजर शजर :- जिसके पास जाने में बुराई हो शब-ओ-रोज़ : - निरंतर, लगातार, रातदिन

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अjit kharwar kunal

🇮🇳
     INDIAN  ARMY 

    मैं दुश्मन से नहीं डरता
   मैं भारत का जवान हूँ,
    मरुस्थल की रेत हूँ मैं
   सियाचिन का आसमान है
               ✍️ajit kharwar❤️🙏 #IndianArmy 🇮🇳
             INDIAN  ARMY 


    मैं दुश्मन से नहीं डरता
  
  मैं भारत का जवान हूँ,

#IndianArmy 🇮🇳 INDIAN ARMY मैं दुश्मन से नहीं डरता मैं भारत का जवान हूँ,

9 Love

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अविनाश कुमार

"मरुस्थल"
प्रमाण है
इस बात का
कि अत्यधिक इंतज़ार, 
उपेक्षा और तिरस्कार से 
सूख जाता है कभी न
ख़त्म होने वाला
अथाह प्रेम का दरिया, 
और चट्टान की तरह
शुष्क और सख़्त 
बन जाते हैं,
कभी पानी से रहे
सरल, स्वछन्द
प्रेमी । प्रतीक्षा प्रेम की पूंजी है, मगर कभी-कभी हद से ज्यादा बढ़ जाने पर इंतज़ार का यही खूबसूरत फूल लगने लगता है नागफनी।
.
#yqdidi #hindi #love #इंतज़

प्रतीक्षा प्रेम की पूंजी है, मगर कभी-कभी हद से ज्यादा बढ़ जाने पर इंतज़ार का यही खूबसूरत फूल लगने लगता है नागफनी। . #yqdidi #Hindi love इंतज़ #मरुस्थल #1909avinash

0 Love

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Aprasil mishra

"वैश्विक समाज की शवाधान प्रणालियों में अन्तर एवं उनकी ऐतिहसिक पृष्ठभूमियाँ : जमींन-जिहाद के आलोक में।" 
****************************************
             वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो

**************************************** वैश्विक समाज में जनगत मानसिकता आज जिस तरह साम्प्रदायिक चरमपंथ में वैमनस्य का शिकार हो #India #History #Culture #Politics #yqhindi #communism #geography

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Prerit Modi सफ़र

ख़्वाबों की उस्तुवार मीनार पल भर में यूँ ढह गयी जैसे चकनाचूर हो गयी
ज़िन्दगी मेरी ये बयाबान हो गयी जैसे अफ़सुर्दगी में कहीं खो गयी 【उस्तुवार- strong】
【बयाबान- मरुस्थल, रेगिस्तान】
【अफ़सुर्दगी- sadness, sorrow】
Challenge-129 #collabwithकोराकाग़ज़ 

2 पंक्तियों में अपनी रचना

【उस्तुवार- strong】 【बयाबान- मरुस्थल, रेगिस्तान】 【अफ़सुर्दगी- sadness, sorrow】 Challenge-129 #collabwithकोराकाग़ज़ 2 पंक्तियों में अपनी रचना #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #कोराकाग़ज़ #ढहतेख़्वाब

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Pandey Sunil 🇮🇳

नजरों से मिलीं नजरें और बात हो गई, 
आंखो के सहारे ही मुलाकात हो गई, 
सूखा पड़ा था वर्षों से दिल का ये मरुस्थल, 
नजरें मिलीं उनसे और बरसात हो गई, 
skp@basti
time pass writting नजरों से मिलीं नजरें और बात हो गई, 
आंखो के सहारे ही मुलाकात हो गई, 
सूखा पड़ा था वर्षों से दिल का ये मरुस्थल, 
नजरें मिलीं उनसे और बरसात हो

नजरों से मिलीं नजरें और बात हो गई, आंखो के सहारे ही मुलाकात हो गई, सूखा पड़ा था वर्षों से दिल का ये मरुस्थल, नजरें मिलीं उनसे और बरसात हो

21 Love

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सुसि ग़ाफ़िल

तेरी 
हथेली की रेखाओं को 
मैं छूना चाहता हूं 

मुझे पता है 
है एक मरुस्थल इनमें

जहां है दुर्गंध 
एक अजीब सी
है वहां नफरत 
बारिशों से

मेरे पोरों की नमी से
सुगंधित करना चाहता हूं

मैं 
तेरी हथेली की गलियों से 
नंगे पांव गुजारना चाहता हूं | तेरी 
हथेली की रेखाओं को 
मैं छूना चाहता हूं 

मुझे पता है 
है एक मरुस्थल इनमें

जहां है दुर्गंध

तेरी हथेली की रेखाओं को मैं छूना चाहता हूं मुझे पता है है एक मरुस्थल इनमें जहां है दुर्गंध

0 Love

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Bramhan Ashish Upadhyay

प्रेम के मृत पड़े एहसासों को तुमने प्रेम से जगाया था।
अपने छुअन से कैसे तुमने इस पत्थर को पिघलाया था।।
तुम्हारे जाने से सूखने लगा है प्यार का वो फूल भी।
जो तुमने बन बारिश मेरे दिल के मरुस्थल में उगाया था।।
 प्रेम के मृत पड़े एहसासों को तुमने प्रेम से जगाया था।
अपने छुअन से कैसे तुमने इस पत्थर को पिघलाया था।।
तुम्हारे जाने से सूखने लगा है प्यार का

प्रेम के मृत पड़े एहसासों को तुमने प्रेम से जगाया था। अपने छुअन से कैसे तुमने इस पत्थर को पिघलाया था।। तुम्हारे जाने से सूखने लगा है प्यार का #Quotes #Love #Hindi #feelings #Shayari #yqbaba #vद्रोही #shaamaawadh

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