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RAJESH LUNA 'NAVODAYAN'
'त्यौहार' भी बड़ी अजीब दास्ताँ है.! यही है जो 'गुजर जाने वाले अपनों की याद' दिलाता है..!! Dr. Rajesh luna #drrajeshluna #त्योहार #त्यौहार
Anjali Ansh
मन के बंधन नहीं, व्यापार सजाते हैं लोग आज कल कुछ ऐसे त्यौहार मनाते हैं लोग उपहार की कीमत से प्यार नापते हैं कब किसने क्या कितना लिया दिया पूरा ब्यौरा जांचते है कोई मतलब नहीं तुम्हें मेरे दिल में सम्मान कितना है सम्मान उस पैक किए डिब्बे की कीमत से आंकते है हंसी ठहाकों की गूंज कब से बंद है पहले थी डाइंग रूम के टीवी पर नजर और आज कल रिश्तों पर है मोबाइल का असर आमने-सामने बैठ कर भी मुलाकात आजकल होती नहीं चेहरे पर मुस्कान और भीतर ही भीतर तुझ से आगे बढ़ने की होड़ रिश्ते बुनती नहीं मशरूफ है सब कमाई के दौर में अक्सर यूं ही बात आजकल किसी से होती नहीं उम्मीद बची थी इन त्योहारों के दिनो से इन में भी अब दिल से दुआ सलाम होती नहीं!!! -Anjali A आज के त्यौहार
muskaan
"आया आया फिर कोई त्यौहार आया लाया लाया खुशियां हजार लाया यह जुमला अब हुआ पुराना बीत गया है वह जमाना अब आया डिजिटल युग है हां भाई यह कलयुग है मोबाइल पर त्यौहार मनाते हैं कपड़े नए सिलाते हैं खूब फोटो खिंचवाते हैं फिर व्हाट्सएप एफबी पर स्टेटस दिखाते हैं दोस्तों के लाइक और कमेंट पाते हैं एक लाइक के लिए खर्चा कितना उठाते हैं कपड़े ज्वेलरी डेकोरेशन का अंबार लगाते हैं दिखावे की दुनिया के रंग में रंग जाते हैं भोलापन और अपनापन गायब से हो जाते हैं प्यार एकता भाईचारा केवल फोटो में दिखाई देता है अपने अंदर का इंसान नहीं सुनाई देता है छोड़ो यह दिखावा यह है बे रंग रंग जाओ अपने ही रंग अपने ही रंग" #दिखावे के त्यौहार
muskaan
"आया आया फिर कोई त्यौहार आया लाया लाया खुशियां हजार लाया यह जुमला अब हुआ पुराना बीत गया है वह जमाना अब आया डिजिटल युग है हां भाई यह कलयुग है मोबाइल पर त्यौहार मनाते हैं कपड़े नए सिलाते हैं खूब फोटो खिंचवाते हैं फिर व्हाट्सएप एफबी पर स्टेटस दिखाते हैं दोस्तों के लाइक और कमेंट पाते हैं एक लाइक के लिए खर्चा कितना उठाते हैं कपड़े ज्वेलरी डेकोरेशन का अंबार लगाते हैं दिखावे की दुनिया के रंग में रंग जाते हैं भोलापन और अपनापन गायब से हो जाते हैं प्यार एकता भाईचारा केवल फोटो में दिखाई देता है अपने अंदर का इंसान नहीं सुनाई देता है छोड़ो यह दिखावा यह है बे रंग रंग जाओ अपने ही रंग अपने ही रंग" #दिखावे के त्यौहार
Gagan Sharma
Ghumnam Gautam
कहीं धनिए की चटनी तो कहीं पिसता पुदीना है कुहासा ओढ़ कर बैठी ये क़ुदरत नाज़नीना है फ़क़त है लुत्फ़ गर ऐसा समझते हो तो बेड़ा ग़र्क़! सितमगर-सा महीना ये दिसम्बर का महीना है ©Ghumnam Gautam #2023Recap #दिसम्बर #ग़र्क़ #सितमगर #धनिया #ghumnamgautam
गौरव दीक्षित(लव)
रंगों की दुकान से दूर हाथों में, कुछ सिक्के गिनते मैंने उसे देखा। एक गरीब बच्चे कि आखों में, मैने होली की खुशियो को मरते देखा। थी चाह उसे भी नए कपडे पहनने की, पर उन्ही पूराने कपडो को मैने उसे साफ करते देखा। हम करते है सदा अपने ग़मो कि नुमाईश, उसे चुप-चाप ग़मो को पीते देखा। जब मैने कहा, “बच्चे, क्या चहिये तुम्हे”? तो उसे चुप-चाप मुस्कुरा कर “ना” में सिर हिलाते देखा। थी वह उम्र बहुत छोटी अभी, पर उसके अंदर मैने ज़मीर को पलते देखा। दिन के उजाले में सारे शहर की होली की खुशियो मे, मैने उसके हँसते, मगर बेबस चेहरें को देखा। हम तो जिंदा है अभी शान से यहा, पर उसे जीते जी शान से मरते देखा। लोग कहते है, त्योहार होते हैं जिंदगी मे खुशियों के लिए, तो क्यो मैंने उसे मन ही मन मे घुटते और तरसते देखा? गौरव दीक्षित (राहुल) " गरीबों के त्योहार