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Anjali Srivastav
मैं बेटी हूँ हिंदुस्तान की न हिन्दू,न मुसलमान की न नोचो मुझे मजहब के अरे नापाक दरिन्दों.... न करो कत्ल तुम अपने भीतर बैठे उस इंसान की कुछ तो करो लिहाज अपने मिट्टी की मान की रखो संयम, न करो उजागर क्षणभंगुर भी मुखौटा हैवान की मुझे भी जीने दो और खुद भी जिओ जिंदगी सम्मान की न उछालो किसी बेटी के पिता की पगड़ी तुम,जिसे जीने न दे ये पापी भेड़िया युक्त समाज जिंदगी शान की.... मैं बेटी हिंदुस्तान की
sayrana zindagi
ना हिंदू को तरस आता है ना मुस्लिम कुछ सोच पाता है बेटी अकेली देखें जब भी हैवानों को बस उसका जि़स्म ऩजर आता है #बेटी #हिंदुस्तान
Vijay Kumar उपनाम-"साखी"
युग-युग से चली आई बात पुरानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है जो इस पे जन्म लेते वो ही जानतें है, ये धरती वीरों की अद्भुत निशानी है ये धरा खिले हुए गुलाबों की रानी है पवित्र गंगा जल बहता यहां जानी है युग-युग से चली आई ये कहानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है लोगो के हृदय भीतर,बाहर एक से है, यकीं न आये देख लो हर हिंदुस्तानी है भूत,भविष्य क्या आज भी देख लो, राष्ट्र पे न्योछावर करते युवा जवानी है ये वसुधा कई हीरे-रत्नों की जननी है, प्रताप,शिवा अंनत वीरों की जुबानी है युग-युग से चली आई ये कहानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है क्षत्राणी देती यहां शीश निशानी है, वीरों की मिट्टी कई वर्षों पुरानी है आज भी ये मिट्टी आवाज लगाती है, गद्दारों को मत दो पनाह हिंदुस्तानी है नही तो इतिहास गवाह ये पुराना है, गद्दारों से सहा गुलामी का ताना है, युग-युग से चली आई ये कहानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है ये देश फिर से बने सोने की चिड़िया गद्दारों को पर जल्द लो तुम फैसला यहां जयचंदो को सूली पे टांगो सदा, ये देश फिर से बनेगा विश्वगुरु यानि है फिर खिलेगी,चहकेगी चिड़िया पुरानी है गगन में उड़ेगी चिड़ियां वो हिंदुस्तानी है युग-युग से चली आई ये कहानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है देश के लिये जियें,देश के लिये मरे शहीदी से ही मिलेगा जन्नत पानी है वो खुशनसीब है,देश के लिये मरते है उनकी तो सफल हो जाती जवानी है जो देश के लिये देते नित नई कुर्बानी है उनको रोज याद कर पीता में पानी हूँ ऐसे वीरों को कोटि प्रणाम करता हूँ, जो इस माटी के अमर बलिदानी है युग-युग से चली आई ये कहानी है हिंदुस्तान की धरती बड़ी मस्तानी है जितनी तारीफ करूँ,शब्द कम पड़ते है ये धरा नही,ये हमारी भारत माँ पुरानी है बहुत चाहते है,तुझको मेरी भारत मां, शब्दों में बयों न होगी तेरी-मेरी कहानी है दिल से विजय हिंदुस्तान की धरती
Prashant Mishra
अल्लाह पाक की, सीता की राम की धरती ये बाइबिल की और गीता-कुरान की धरती फूल खिलते हैं हर इक रंग के इस आँगन में सभी से खास है "हिन्दोस्तान" की धरती महात्मा गाँधी की बिस्मिल्ला खान की धरती सचिन तेंदुलकर ,यूसुफ़ पठान की धरती अपने अंदाज़ से दुनिया में जानी जाती है विवेकानंद की, अब्दुल कलाम की धरती --प्रशान्त मिश्रा "हिंदुस्तान की धरती"