दीप तले अंधेरा।।
दीप प्रज्ज्वलित, तमहारिणी,
कर-धार ज्वलित जो ले चला।।
पर हाय, सगुन अवगुण भाव मे,
तमो-गुण तली में था पला।
किस रक्षित-कवच से #Poetry#kavita#nojotophoto
read more
रजनीश "स्वच्छंद"
कटु-वाणी।।
किस कर दीप बुझाऊँ बोलो,
जो सुबह रही रौशन ही नहीं।
एक फूंक मार दूँ भी मैं कैसे,
जो दुबक रहा यौवन ही कहीं।
अज़ान श्लोक वाणी है महज़ #Poetry#kavita#nojotophoto