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Sahil Bhardwaj
अच्छे दिन चाहते है अच्छी रातें चाहते है ये जो ला सके हम ऐसी सरकार चाहते है.. शिक्षित आवाम चाहते है समझदार हुक्मरान चाहते है भ्रष्टाचार मिटा सके हम ऐसा सुशासन चाहते है.. पक्की सड़कें चाहते है बहती नहरें चाहते है आवाम को दिखे हम ऐसा विकास चाहते है.. #अच्छेदिन अच्छे दिन चाहते है अच्छी रातें चाहते है ये जो ला सके हम ऐसी सरकार चाहते है.. शिक्षित आवाम चाहते है
Sunita D Prasad
मैं, उन्मुक्त पवन-सी अपने उद्गम से जब बहना आरंभ हुई बिना रोक-टोक के ऊँचे से ऊँचा पर्वत भी तब अपने तेज प्रवाह से नाप गई। .......... ........... क्योंकि शायद मेरा तो अपना कभी कोई अस्तित्व था ही नहीं..ना..। ---सुनीता डी प्रसाद💐 #yqdidi #yqpowrim #yqpowrimo # मैं,नदी की धारा... मैं, उन्मुक्त पवन-सी अपने उद्गम से जब बहना आरंभ हुई बिना रोक-टोक के
Ravendra
एक इबादत
आज सुबह होगी मेरी देश के अलमस्त शहर में... अलमस्त यानि...बेफिक्री का शहर! तो चलो बीकानेर में सूर्य उदय के साथ एक कप चाय पिया जायें किसी नुक्कड़ पर बैठकर.. सफ़र पर हूँ आज अपने वतन के अलमस्त शहर के हाँ सही सुना अलमस्त शहर यानि की बेफिक्री का शहर जहां लोग बेफि़क्र होकर बिंदास जीवन जीते है राजस
Poonam Ritu Sen
मिलन की आस में अब एक ही राग गुनगुनाती हूँ आखिर इस पूनम का अमावस कब खत्म होगा ( पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें ) मिलन की आस में अब एक ही राग गुनगुनाती हूँ इस पूनम का अमावस कब खत्म होगा हर रात चुपके से ताकती हूँ अपने चन्द्र को किसी दिन वो भी तो मुझे देख
Divyanshu Pathak
जो कभी लहलहाती उम्मीदों की फ़सल का आशियाना हुआ करता था। आज आधुनिकता की अंधी दौड़ में शामिल होकर न शहर हुआ और न गाँव ही रह गया । भाई दूज गोधन पूजा दिवाली या हो होली का त्योहार । सब लोग मिलकर एक साथ मनाते थे कभी । आज गाँव तो क्या परिवार भी साथ नही मनाते । सबको लगता है विकास हुआ है । मुझे लगता है विनास हो गया । जिसे मैं रोक न पाया रोक न पाया। # 8 पंक्तियों की रचना कर प्रतियोगोता में भाग लें। #yqbaba #yqdidi #yqpoetry #tmkosh 🏵️ Collab करने के बाद कमेंट में Done लिखें। 🏵️ कमेंट में
HAQIM◆E◆ISHQ【sfr◆ak◆aaghhaaj】Gj
सुनो, मेरी उदासी महज़ ज़ख्म नही यारा ,अब नासूर बन चुका है। तेरे बिन जीना तो दूर ,तेरे बिना रहना सोच कर ही ये दिल मरहूम बन चुका है।। फफ़कूँ ,रोऊँ या गिड़गिड़ाऊँ, कुछ समझ नही आता, कैसे तुझे समझाऊँ कि तू मेरा जहाँ ही नही बल्कि सारे आने वाले लम्हों का सुकून बन चुका है।।। ©HAQIM◆E◆ISHQ【sfr◆ak◆aaghhaaj】 ज़िद्दी ठहरे ये ज़ख़्म गहरे
Juhi Grover
कविता छिपा लेती है राज़ यों गहरे, पल-पल लगाये भी जायें चाहे पहरे। जीवन की हर सच्चाई लिख जाये, कल्पना का हर अंश सहज ही लहरे। झूठ न कभी भी कुछ भी छिप पाये, लगा लो चाहे लाखों चेहरों पे चेहरे। सबको सुन जाये, सबको दिख जाये, बन जाये चाहे कोई भी अन्धे- बहरे। यादें चाहे हो दर्द भरी या फिर रंगीली, कविता पढ़ लगे पल वो सब सुनहरे। जीवन का हर हर पहलू ज़ाहिर हो, चाहे आकर मौत भी इस पर ठहरे। #अंश #गहरे #पहरे #सुनहरे #चेहरे_पे_चेहरे #विश्वकवितादिवस #yqhindi #bestyqhindiquotes
Abhineet Sharma
की जख़्म बहुत गहरे है, तभी तो आज हमारे भी दो चहरे है। बाहर से ख़ुशियाँ दिखती है, मगर अंदर ख़ामोशी के पहरे है। जख़्म बहुत गहरे है, जख़्म बहुत गहरे है। ©Abhineet Sharma की जख़्म बहुत गहरे है, तभी तो आज हमारे भी दो चहरे है। बाहर से ख़ुशियाँ दिखती है, मगर अंदर ख़ामोशी के पहरे है। जख़्म बहुत गहरे है, जख़्म बहुत गहरे