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Poetrywithakanksha9
Dr.asha Singh sikarwar
Happy Vasant Panchami "जब देखें मैंने टेसू के फूल तुम याद आये ।" डॉ आशा सिंह सिकरवार अहमदाबाद गुजरात 10.2.19 #NojotoQuote "जब देखें मैंने "जब देखें मैंने टेसू के फूल तुम याद #happy #vasant #pancami
Kh_Nazim
लूटी यादें तुझे दिल के तख्तों ताज पर बैठा तो लू फिर सोचता हूं, की संभालेगा कैसे हुकूमत-ए-राज नाज़िम मोहब्बत का। कोई तख्तापलट न करदे तेरे दिल में मेरे आशियानें का, मैं तो लूट ही जाऊँगा अपने हुक्मरानों के हाथों से। तब कैसे रोकूँगा अपने दिल के सैनिको के टेसूओ को बहाने से...! जमाना देख चुका था मुश्कुराना मेरे दिल का टेसूओ के बहाने से अब देखेगा मारना मेरे दिल का लूटी यादें तुझे दिल के #तख्तों ताज पर बैठा तो लू फिर सोचता हूं, की संभालेगा कैसे #हुकूमत-ए-राज नाज़िम #मोहब्बत का। कोई #तख्तापलट न करदे तेरे
सोमेश त्रिवेदी
वो रंग रंगीली होली सी, मैं भी टेसू का फूल हुआ... वो लगती भंग की गोली सी, मैं भी रसदार मधूल हुआ... #NojotoQuote वो रंग रंगीली होली सी, मैं भी टेसू का फूल हुआ... वो लगती भंग की गोली सी, मैं भी रसदार मधूल हुआ... #सोमेश_त्रिवेदी P. K. Arya Radhey Ray I
Anjali Singhal
JALAJ KUMAR RATHOUR
जीवन के हर रंग में,तुम्हारी प्रतिछाया है, बस एक तुम ही तो अपनी हो, बाकी सब से रिश्ता पराया है, भूलकर भी याद आना,प्रेम की एक निशानी है कि हमारे प्रेम पत्रों में सिमटी, हमारे बचपने से भरी जवानी है। तुम्हारे लौट कर आने की,एक उम्मीद है, अभी बाकी , तुम्हारा हाल है पूछती,हमें कहानी सुनाने वाली काकी । आज भी समेट कर रखे हैं मैने , वो दोमट मिट्टी से बनाए थे, तुमने जो खिलौने। वो टेसू और झिंझिया का खेल अब याद आता है, "टेसू अटर करे,टेसू बटर करे,टेसू लेके ही टरे" संग मेरे कोई ना गुन गुनाता है। वो नहर ,वो दोपहर और वो जामुन के पेड़, लगता है अब सबसे हो गया है अपना बैर, गांव अपना अब गया है ठहर,जबसे तुम गई हो शहर। सुना है शहर तुमें अब लुभाता है, बताओ वहां आम और फरेन्दे का पेड़ , तुमको कहीं नजर आता है। वो घड़े के ठंडे पानी में मिट्टी की महक, क्या तुम्हारे फ्रिज का ठंडा पानी दे पाता है। सुनो यार सिंघाड़ो से भरा तालाब, अमरूदों और आमों का बाग,मटके का दूध और छाछ, वो तारों से भरी रात और जुगनू को पकड़ने की आस सब तुम्हे बुलाता है।दादी हमेशा कहती थी कि " प्रेम से पुकारो तो खुदा भी चला आता है।" .....#जलज कुमार ©JALAJ KUMAR RATHOUR जीवन के हर रंग में,तुम्हारी प्रतिछाया है, बस एक तुम ही तो अपनी हो, बाकी सब से रिश्ता पराया है, भूलकर भी याद आना,प्रेम की एक निशानी है कि हमा
✍️ लिकेश ठाकुर
आ गया फाल्गुन का महीना, खिलने लगे टेसू के फूल, पेड़ों से टूट पत्ते गिर रहे, कलरव कर रहे पँछी खूब। रिश्तों में बंध रहे गुड्डे गुड़िया, जुड़ते लोग हैं दूर सूदूर। माँ बाबा की लाड़ो बेटी, जा रही अब अपनों से दूर। बसंत बहार पत्ते हिलोरें लेते, सूरज की रोशनी छायी भरपूर। रंग बिरंगी दुनिया मुस्कुराती, बनकर अनजान दुखों से दूर। भौरें मधुमक्खी करते गुँजन, तितलियों का अब दिखे समूह। मिल जाये बच्चों की टोली, तन पर सनी सड़कों की धूल। बहुत दिनों बाद दादी नानी से, सुनते बच्चे कहानी भरपूर। कोई चढ़ता पेड़ों पर बन बंदर, कोई खाता आँवले आमचूर। बिन बस्ता मौज मस्ती में, ज़िन्दगी लगती बहुत कूल। कुछ दिन बिताए अपनों संग, टेंशन की बत्ती हो जाती गुल। आ गया फाल्गुन का महीना, खिलने लगे टेसू के फूल।। ✍️कवि लिकेश ठाकुर likeshthakur.blogspot.com आ गया फाल्गुन का महीना, खिलने लगे टेसू के फूल, पेड़ों से टूट पत्ते गिर रहे, कलरव कर रहे पँछी खूब। रिश्तों में बंध रहे गुड्डे गुड़िया, जुड़ते ल
Vandna Sood Topa
कभी आँखो से उतर रहना मन के गलियारे में मेरे तहखाने में इसके कुछ अच्छे ,कुछ बेकार कुछ सूखे, कुछ गीले कुछ हंसते,कुछ गमगीन पल मिलेंगे ..... कुछ गठरिया पड़ी है ईमान की कुछ नाजायज इच्छाये हैं बेईमान सी कुछ अल्हड़ बसंती प्यार है कई जन्मों के मिलन की आस है सिंदूरी पलाश भी है खिलता सा टेसू ,गुलमोहर, हरसिंगार भी है बहका सा कविता सी सुंदर दुनिया सजी है अवचेतना में एक तुलसी भी बसी है.... कभी आँखो से उतर रहना मन के गलियारे में मेरे तहखाने में इसके कुछ अच्छे ,कुछ बेकार कुछ सूखे, कुछ गीले कुछ हंसते,कुछ गमगीन पल मिलेंगे .
REETA LAKRA
किंशुक दीपक के लौ की तरह वो टेसू, लाल घेरे नारंगी केंद्र वाला फूल छूल झारखंड का खास है राज्य पुष्प पलाश । दावानल की तरह दमकता, फैले अंगारे की नाईं लहकता पत्ते रहित पेड़ों पर देखो झकमक झकमक ऊपर से नीचे तक, छोर से तने तक - सजा पुष्पों से भूरे तने पर लाल नारंगी छापेवाली चद्दर ओढ़ी परसा के पत्तों से पत्तल बनाओ, खाओ भोजन हर बार नया बर्तन फूलों से रँग बना रंग लो चीर और बदन, जड़ और तने से बना लो बेहतरीन पेंटिंग ब्रश, चूना लगा लो रंगाई पुताई कर रंगीन बना लो सदन। ऐसा गुणी है पलाश झारखंड का राज्य सुमन। १५८/३६५@२०२१ जोहार 🙏 पाठको। झारखंड राज्य के 'राज्य पुष्प' अर्थात (स्टेट फ्लावर) पलाश पर मैंने कुछ पंक्तियां प्रस्तुत की है, उम्मीद है आपको पसंद आएंगी। पल