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Ajay Kumar Mishra
दिल के कोने कोने से बिन साज बाज के ध्वनियों से। जिसका मन तृप्त रहा करता पुष्प वृक्ष के कलियों से। जो भर भावों की धारा से नित प्रेम राष्ट्र की नारा से। समलंकृत करता वसुधा को वो पूजा जाता आशा से। है वीर वही,है धीर वही,जो अब विरक्त है तृष्णा से। निज राष्ट्र प्रेम की इक्षा से मानवता की अभिरक्षा से। ©Ajay Kumar Mishra राष्ट्र प्रेम
Parasram Arora
देख चुका हूं मै गांधी भगतसिंह और सुभाष को कबाड़ी क़े कचरे मे से झांकते हुए कितनी सस्ती हुईं हैँ हमारी भावनाये और राष्ट्र भक्ति अच्छा होता अगर वे टँगी रहतीं कुछ दिन और प्रेरणा की दीवारों पर ताकि ढका रहता हमारा राष्ट्रप्रेम कुछ दिन और कबाड़ी क़े कबाड़खाने मे आने से पहले राष्ट्र प्रेम.........
Ajay Kumar Mishra
दिल के कोने कोने से बिन साज बाज के ध्वनियों से। जिसका मन तृप्त रहा करता पुष्प वृक्ष के कलियों से। जो भर भावों की धारा से नित प्रेम राष्ट्र की नारा से। समलंकृत करता वसुधा को वो पूजा जाता आशा से। है वीर वही,है धीर वही,जो अब विरक्त है तृष्णा से। निज राष्ट्र प्रेम की इक्षा से मानवता की अभिरक्षा से। ©Ajay Kumar Mishra राष्ट्र प्रेम
writar ShivendraSinghsonu
पक्षपात ये शूरवीर की भाषा है समय कठिन , पर कुछ आशा है कोई आँख दिखाए, ये मंज़ूर नहीं अब राहे मंजिल से दूर नहीं शेर गर्जना दिखलाओ दूध छठी का याद दिलाओ पक्षपात करता है कौन देखते , कौन यहाँ रहता है मौन सच्चाई छिपती न अब 56 इन्च के सीने में श्रृंगार कहूँ करूण कहूँ या वीर छिपा हो सीने में धमकी कोई ऐटम की दे ,तो खून फड़कने लगता है ज्वालामुखी के लावा सा क्षत्रिय भड़कने लगता है समय गुजारे मांद मे जो, मैं कोई बूढ़ा शेर नहीं राजनीति हो लाशो पर ,ये देश मेरा कमज़ोर नहीं धर्म ज्ञान की भाषा से न कोई पड़ोसी समझेगा यद्यपि हम सम्मान करेंगे उल्टा हमसे उलझेगा खत्म अब करो वार्तालाप ,खत्म करो वाणी का शोर दिखलादो, मोदी योगी जी, कि भारत मे ज़िन्दा हैं शेर ©writar ShivendraSinghsonu राष्ट्र प्रेम #WForWriters
Prakash Shukla
उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें यूँ विवशता की शूली में लाचार बन जातियों में उलझकर न व्यापार बन साथ लो साथ दो बे़झिझक हर कदम राष्ट्र निर्माण का पुण्य आधार बन फूट में टूट बिख़रे हजारों जगह नेक नेतृत्व चुनकर नकारें इन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें कृत विफलता सफलता की सीढी़ बने रखो आदर्श उत्कृष्ट पीढी़ बने बन सफलता की कुँजी लक्ष्य संधान कर हर एक श्रमदानी मंजिल की ड्योढी़ बने तो निखर आए पथ की नवीनीँ परत जो हों प्रारब्ध उलझे सुधारें उन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें आत्मनिर्भर बनो आत्मचिंतन करो जो सहज़ राष्ट्र हित हेतु उसको चुनो व्यर्थ चिंता को त्यागो और आगे बढो़ नित् बनों यत्नशील यत्न करते रहो भागीदारी हो सबकी लघु कणों की तरह आशा का मोती बनाकर सँवारें इन्हें उन्नति के शिखर में निहारें तुम्हें शीर्ष पर हो चरण हम पखारें उन्हें हाॅ हिमालय से ऊँचा तू सरताज बन दुनिया का गुरू हम पुकारें तुम्हें राष्ट्र उत्थान की कल्पना
Prem Nirala
किसी का प्रेम मर सकता हैं, उस प्रेम में लिखी कविताएँ नहीं! prem_nirala_ किसी का प्रेम मर सकता हैं, उस प्रेम में लिखी कविताएँ नहीं! #prem_nirala_