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New आरोपों की Quotes, Status, Photo, Video

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राजेश गुप्ता'बादल'

टकटकी लगा देखते, खिचड़ी में पकवान। स्वांसे जैसे रुक गई,कौन बने धनवान।। ई वी एम ढाल बनी,जब जाएंगे हार। आरोपों की बाड़ है, संविधान बीमार।।

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टकटकी लगा देखते, खिचड़ी में पकवान।
स्वांसे जैसे रुक गई,कौन बने धनवान।।
ई वी एम ढाल बनी,जब जाएंगे हार। 
आरोपों की बाड़ है, संविधान बीमार।। टकटकी लगा देखते, खिचड़ी में पकवान।
स्वांसे जैसे रुक गई,कौन बने धनवान।।
ई वी एम ढाल बनी,जब जाएंगे हार। 
आरोपों की बाड़ है, संविधान बीमार।।

Kulbhushan Arora

मन में अदालत लगी है, आरोपों की झड़ी है... आरोप बेवजह नहीं हैं, मुझमें ढेरों ढेर कमी है, झूठी मुस्कानों के पीछे, अश्कों की ही नमी है, सबके द #yqdidi #yqquotes #yqदिल #yqभावुकता

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मन में अदालत लगी है
आरोपों की झड़ी है.... मन में अदालत लगी है,
आरोपों की झड़ी है...
आरोप बेवजह नहीं हैं,
मुझमें ढेरों ढेर कमी है,
झूठी मुस्कानों के पीछे,
अश्कों की ही  नमी है,
सबके द

A NEW DAWN

उम्र आठ की थी उसकी पर आदतें चार की।। गुस्सा होने पर डरती थी उसे ख्वाहिश थी बस प्यार की।। घरौंदा बनाया था उसने उसे अपना गुड्डा ब्याहना था।। #Pain #Dreams #SAD #yqdidi #restzone #rzvishavkavitadiwas

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एक अधूरा ख्वाब
(In Caption) उम्र आठ की थी उसकी
पर आदतें चार की।।

गुस्सा होने पर डरती थी
उसे ख्वाहिश थी बस प्यार की।।

घरौंदा बनाया था उसने
उसे अपना गुड्डा ब्याहना था।।

Rabiya Nizam

उम्र आठ की थी उसकी पर आदतें चार की।। गुस्सा होने पर डरती थी उसे ख्वाहिश थी बस प्यार की।। घरौंदा बनाया था उसने उसे अपना गुड्डा ब्याहना था।। #Pain #Dreams #SAD #yqdidi #restzone #rzvishavkavitadiwas

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एक अधूरा ख्वाब
(In Caption) उम्र आठ की थी उसकी
पर आदतें चार की।।

गुस्सा होने पर डरती थी
उसे ख्वाहिश थी बस प्यार की।।

घरौंदा बनाया था उसने
उसे अपना गुड्डा ब्याहना था।।

Satyendra Kumar

please read caption लोकनीति:- कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं... राजनीति के पकौड़े में_ पानी में ही तल देता हूं, सरकार चाहे जिसकी हो_ जनत #Politics #nojotohindi

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लोकनीति:-
कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं...
राजनीति के पकौड़े में_ पानी में ही तल देता हूं,
सरकार चाहे जिसकी हो_ जनता की होगी नहीं,
बेईमानी के इस बाज़ार को में _ईमानदारी से कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं...
वहीं पुराने वादो की लिस्ट उठा कर लायेंगे,
कुछ नए से अंदाज़ में फिर तुमको दोहराएंगे,
आज हाथ जोड़े खड़े है जो _में एक तस्वीर रख लेता हूं,
शहर में कल से होंगे ना_ सच में थोड़ा कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं...
लोकनीति का झांसा देकर_ सिर्फ राजनीति अब होती हैं,
सत्ता में आने के बाद सरकारें सब सोती है,
अब तक देखा है सरकारों को_ चोर - चोर खुद ही खेला करती हैं,
इनके बड़े बड़े घोटालों को_जनता ही झेला करती हैं,
कुछ कमी तो हममें भी है जो में कह देता हूं,
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं....
उस संसद  के मंदिर में भी मतलब की बात होती हैं,
विकास को छोड़कर_ सिर्फ आरोपों की बरसात होती हैं,
देख लिया हमने अब तक लालच रिश्वत लेकर भी_
अब भी ना समझे हम_तो कुछ भी ना पाएंगे,
फिर से जाकर झूठे वादो पर_ सिर्फ तालिया ही बजाएंगे,
सोचो सरकारें तुमको क्या देगी_ये देश तुमसे चलता है,
ये मेरे हिंदुस्तान के लोगो_ये देश तुमसे बनता है,
जिम्मेदारी ले लो अब तुम देश को बचाने की,
धर्म जाति को छोड़कर_ इसे आगे बढ़ाने की,
गुस्ताख़ी हो तो क्षमा करना _हाथ जोड़ कह देता हूं,
कुछ सच में लिख देता हूं_ कुछ बाकी रहने देता हूं,...
कुछ बाकी रखता हूं कुछ में लिख देता हूं.....

Satyendra Kumar please read caption
लोकनीति:-
कुछ बाकी रखता हूं कुछ लिख देता हूं...
राजनीति के पकौड़े में_ पानी में ही तल देता हूं,
सरकार चाहे जिसकी हो_ जनत

शुभी

सड़कों के गड्ढे सरकार भरने चली है, विश्वास नही होता चली ये जादू की छड़ी है. सुना है चोरों की महफ़िल जमी है, लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है #Politics #poem #yqbaba #satire #Dimri #नेता #yqdidi #सियासत #neta #siyasat #yopowrimo

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लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है
(check caption)  सड़कों के गड्ढे सरकार भरने चली है,
विश्वास नही होता चली ये जादू की छड़ी है.

सुना है चोरों की महफ़िल जमी है,
लगता है आई फिर चुनाव की घड़ी है
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