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Dinesh Dinesh Bhariya
इतना भी न करो, मसरूफ़ख़ुद को कहेत शास्त्री कुमार दिनेश की हो जये मुहाल, मिलना ख़ुद से ©Dinesh Dinesh Bhariya Dk अर्थशास्त्री
Ek villain
बजट उनके आने की आहट मात्र से धरा पर अद्भुत प्रभाव दृष्टिगोचर हो ना आप आराम हो जाता है नौकर पर स्लो गायकार के बिल्कुल का प्रयास बढ़ाने के अनुमान में खोए खोए से रहने लगते हैं टीवी पर चलने वाली बहस कंगना के बोल श्वेता तिवारी के बकलोल और विराट की कप्तानी छोड़ने की रोचक विषयों को पहचानते हुए सकल घरेलू उत्पाद राजकोषीय घाटा जैसी अजूबी पहेलियों उस पर केंद्रित हो जाती आम आदमी बजट में राहत तलाश आरंभ कर देते हैं बजट का दर्शन चा वकवादी होना के पर्याप्त आधार हैं इससे बनते वक्त सरकारी अनासन ही जितनी चादर है उतने ही पांव पसारना जैसे अलौकिक सिद्धांत के दायरे को तोड़ फोड़ते हैं यही श्रेणी में लाते हैं यद्यपि सरकार की नजर नहीं आती उसके अफसरों और मंत्रियों की उंगलियों को भी में होने वाली बात अवश्य सुनने में आती है बजट वाली श्रेणी में सब्सिडी दी जाती है सब्सिडी से वोट आते हैं वोट को सरकार के लिए भी मान लिया जाए तो चारों दर्शन इति सिद्ध हो जाता है बजट अपरिग्रह बाद का भी पोषक होता है इसमें अक्सर विनय के लक्ष्य रखे जाते हैं इसी सिद्धांत पर एयर इंडिया जैसे परी कराओ से मुक्त होना संभव हुआ है बजट को देखा लगता है जैसे कि भगवान कुरुक्षेत्र में वित्त मंत्री अर्जुन की शंका का समाधान कर रहे हो ©Ek villain #अर्थशास्त्र का आध्यात्मिक अध्ययन #friends
Shashank मणि Yadava "सनम"
चलते-चलते राहों में जब, मन विह्वल जो जाता है दिल की परिधि में प्रेम का यूँ, नीरज नीरस हो जाता है।। मन की बेचैनी, मेरे मन में, व्याकुलता भर जाती है न जाने क्यों रातों में जब, नींद न अक्सर आती है।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर-मस्जिद न जाता हूँ अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank Yadav माँ के अस्तित्व को परिभाषित करती हुई कविता,,, dedicated to all mothers
Gaurav Verma
प्रेम प्रेम वर्तमान समय के विचारधारा के अनुसार दो प्रकार के हैं स्वार्थ एवं निस्वार्थ , स्वार्थ प्रेम एक प्रकार का व्यापार प्रेम है एवं निस्वार्थ प्रेम का आखरी मंजिल मृत्यु है। ©गौरव वर्मा वर्तमान समय के अनुसार प्रेम की परिभाषा ! #Love #Love_a_mental_disease #love❤ #2020 #love💔