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WildSudhirAarya

जन संख्या #nojotophoto

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 जन संख्या

Naveen Mahajan

अभाज्य संख्या #poem #NaveenMahajan #NewAgeMathematics

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'अभाज्य संख्या'

जो तुझ से ना कटे 
पर तेरी ही याद में 
कट जाए खुद ही से 
संख्या अभाज्य है 
जान ले हमसे।


#NaveenMahajan
#NewAgeMathematics अभाज्य संख्या

swati ravindra jagtap

रोमन संख्या

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HP

मौलिक शरलता

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आहार-विहार, रहन-सहन, वेष-भूषा, विचार तथा जीवन निर्माण में मौलिक सरलता का समावेश होना नितान्त आवश्यक है। मौलिक शरलता

HP

मौलिक शरलता

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मौलिक सरलता इतनी सजीव होती है कि मनुष्य जब प्रत्येक वस्तु से अपना अधिकार छोड़ देता है और परिस्थितियों के साथ संयोग करता है तभी उसे अपने भीतर का खोखलापन अनुभव हो जाता है और विनम्रता, धैर्य, करुणा तथा विवेक का जागरण होने लगता है। आत्मा सरल है और उसके समर्थन के लिये तर्क की आवश्यकता नहीं। जटिलता तो केवल दुर्गुणों तथा पाप-वृत्तियों के कारण उत्पन्न होती है। अतः मनुष्य जब तक स्वयं पूर्ण जीवन अभिव्यक्त न कर लें, उन्हें अपने मनोविकारों के शोधन परिमार्जन में ही लगे रहना चाहिये। अन्तःकरण में कलुष न रह जाय और बाह्य जीवन में दम्भ न शेष बचे उसी पुरुष का जीवन निश्चयात्मक शान्त एवं दैवी प्रतिभा से ओत-प्रोत होता है। मौलिक शरलता

Scientist Classes. [Help For You]

आखिर क्यों जीरो वाली संख्या को पूर्ण संख्या कहते हैं #विचार

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Sneh Prem Chand

मौलिक अधिकार #InternationalEducationDay

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रोटी,कपड़ा और मकान के साथ
शिक्षा भी हो सबका मौलिक अधिकार।
एक बात का ध्यान रहे बस,
शिक्षा के भाल पर तिलक करे संस्कार।।

©Sneh Prem Chand मौलिक अधिकार

#InternationalEducationDay

Tarakeshwar Dubey

मौलिक कर्त्तव्य #IndianLegends #कविता

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मौलिक कर्त्तव्य
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जो तुम हो मातु भारती के सच्चे सपूत, तो अनुच्छेद ५१ए का करो अनुपालन।
वर्ना अपना असली रूप दिखाओ हमें, हटाओ मुखौटा, खोलो अपना आनन।

संविधान राष्ट्र का हैं सर्वोच्च धर्मग्रंथ, संसद हैं राष्ट्र विधि का नव निर्माता।
अदालतें निर्मित विधि की पालनहार, जिन्हें न्याय मंदिर कह पूजा जाता।

संसद हैं हमारी प्रिय अमिट धरोहर, न्यायलय सभी हमारे अभिमान हैं।
इनकी मर्यादाओं की रक्षा में खड़ा, हिंदुस्तान का हर इक नौजवान हैं।

अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हम, अक्सर मिल पुरजोर आवाज उठाते हैं।
जबरन हासिल करने के निमित्त उसे, राष्ट्रीय संपत्ति की भी बलि चढ़ाते हैं।

यद्यपि मौलिक कर्त्तव्यों का कोई ज्ञान नहीं, राष्ट्रीय मर्यादा रक्षा का भी कोई भान नहीं।
पर अधिकारों की दुहाई दे संसद चले जाते हैं, बड़े बड़े वकीलों से अदालतों में मुद्दा उठाते हैं।

ऐसी गैर जिम्मेदराना हरकत स्वीकार नहीं, स्वार्थ पूर्ति के लिए राष्ट्रक्षति स्वीकार नहीं।
जिन्हें मौलिक कर्त्तव्यों से कोई सरोकार नहीं, उन्हें मौलिक अधिकारों का भी अधिकार नहीं।

नहीं चाहिए हमें हरगिज ऐसे सांसद, जो संसद की गरिमा कम कर जाएं।
ऐसे न्यायाधीशों को हम धिक्कारते, जो न्यायालयों का मान न रखने पायें।

हम आर्य पुत्र मेहनतकस भारतवासी, हर दिन नूतन प्रेम की रचना करते हैं।
पर सख्त नफरत हमें उन गद्दारों से जो, हमारी संस्कृति को कलंकित करते हैं।

दुखद है कि कुछ संकीर्ण विचारधारी, संसद में भी पदासिन अकड़े बैठे हैं।
मानवता खोकर कुछ दुष्ट बहुरूपिये, न्यायालयों में भी विराजमान ऐंठे है।

इन पापियों की काली करतूतों से हाय! भारत की मिट्टी कलुषित हो रोती है।
अब तो छुड़ाओ निशाचरी चंगुलों से, चित्कार चित्कार कर कहती रहती हैं।

कहती हैं, ऐ मेरे प्रिय लाल कर्मवीर, अब तो समरांगण में आ लहराओ।
खींच निकाल दूर फेकों इन दैत्यों को, मुझ माता की लज्जा शीघ्र बचाओ।

कर जाओ कुछ ऐसा कि इस जग में, तुम्हारी भारत माता का सम्मान बढ़े।
धर्म संस्कृति महिमा जग में गाई जाए, राष्ट्रधर्म जन जन की दिलों में राज करे।

©Tarakeshwar Dubey मौलिक कर्त्तव्य

#IndianLegends
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