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Govind Pandram
चाँद की चाँदनी देखकर मैं जगा, पास में तुम खड़े सोचकर मैं जगा। यूँ रटा रात भर नाम तेरा सनम, नाम को सौ दफा बोलकर मैं जगा। क्या हुआ कुछ ख़बर ही नहीं रात में, रात में याद को ओढ़कर मैं जगा। हाल मेरा सनम तुम जरा पूँछ लो, नीन्द को नैन में छोड़कर मैं जगा। प्यार हो ही गया यार 'गोविन्द' अब, प्यार की सब हदे पार कर मैं जगा। ©Govind Pandram #गजल शीर्षक - मैं जगा गजलकार - गोविन्द पन्द्राम बहर - 212....( फाइलुन )
Sujal Vishwakarma
दो लफ़्ज़ों से लिखी है मेरी मोहब्बत की दस्तान उसे टूट कर चाहा और उसे चाह कर टूट गए #openforcollab Follow👉 हिंदी शायरियां (गजलकार) #मिसचौधरी #misschoudhary #yqगुरुजी #yqmisschoudhary #YourQuoteAndMine Collaborating wit
Marufa Mazumder
मजबूरी थी हमारी, कोई टाइमपास नहीं था गलती तुम्हारी भी थी, और मोहब्बत हमे भी था #openforcollab Follow👉 हिंदी शायरियां (गजलकार) #मिसचौधरी #misschoudhary #yqगुरुजी #yqmisschoudhary #YourQuoteAndMine Collaborating wit
🎙️Sanjiv singh yadav *Deva* 🎙️
Govind Pandram
हम तुम मैं बनूँ 'क़ाफ़िया' तुम 'रदीफ़' बनो, दोनों मिलकर एक 'अशआर' हो जाये। तुम बनो 'मतला' मैं बनूँ 'मक़्ता' क्या पता हम दोनों में 'प्यार' हो जाये। ©Govind Pandram #PoetInYou #क़ाफ़िया - तुकांत शब्द जो रदीफ़ के पहले लिखा जाता हैं। #रदीफ़ - क़ाफ़िया के बाद आने वाला शब्द जो अंत तक परिवर्तित नहीं होता। #अश'आर -
vishnu thore
नाशिकचा आमचा मित्र संजय गोरडे एक ताकतीचा गजलकार आहे. सौभद नावाने तो लिहितो. त्याचं सादरीकरणही सुंदर आहे आणि अक्षरही. मुंबई प्रवासात मुक्काम
vishnu thore
......................... ©vishnu thore किस्सा मुखपृष्ठाचा ..अक्षरबंध मासिकात काळजीवाहू माणसांचे अंतरंग असलेले 'तल्की' - विष्णू थोरे पुण्यात प्रतिभासंगमचे साहित्य स
अज्ञात
पेज-44 चर्चाओं में काफ़ी समय गुजरते जा रहा था.. मगर यहाँ जिस विषय पर चर्चाएं हो रही थी..शायद अब उसका वक़्त निकल चुका था... एक ओर भावों, विश्वासों की बात थी तो दूसरी ओर यथार्थ का कड़वा सत्य..! शेष भाग कैप्शन में.. ! ©R. K. Soni #रत्नाकर कालोनी पेज-44 गेट पर दो नये मेहमान और आ चुके थे...मगर कोई ध्यान ही नहीं दे रहा था उस तरफ.. क्यूंकि यहाँ तो हालात बिगड़ते जा रहे थे.