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Balram Singh Thakur
†††††††††††††††††††††††† *शीशे में बल* ****************************** मालूम न था कि तेरा और भी कल है, पर वो कैसे जाये,जो शीशे में *बल* है। पर अपना तो बस, है एक ही ख्याल , के तू ही मेरी सूत है,तू ही असल है। मैं नहीं बदला,आदमी आज भी वही हूँ, बस हालात गए बदल,तो तू गई बदल है। पर दिल पर लगे दाग यूँ धोओगी कैसे, हमें तो इसी बात की फिक्र है,खलल है। तुम सफर चाहती हो, रहो हमसफर बन, *बल*की ज़िन्दगी तो बस एक ग़ज़ल है। ******************************* ******************************* *बल्लू-बल* ©Balram Singh Thakur शीशे में 'बल' #reading
Rangeet Tomar
किताबें किताबें लिखना सीखती है, किताबें पढ़ना सिखाती है, किताबें हमारा संसार है, किताबों के बिना कोई जीवन नहीं #kitabein #पड़ना
Anokhi
R Ojha sir के निष्क्रिय रहने वाला पोस्ट, आज जब कॉमेंट देखा तब बात समझ में आई।Ojha sir की बातों से मैं पूरी तरह सहमत हूं।हमसभी को इसका पुरजोर विरोध करना चाहिए।Nojoto team को ऐसी गतिविधियों पर एक्शन लेना जरूरी है,आज से मैं भी मौन.. धन्यवाद सर.. ©Abha Anokhi #friends # एकता में बल है।
Aptaj Sumra
प्यार तो हमने भी कियाथा पर जिससे किया उन्होंने सीखा दिया के भरोसा किस पे करना चाहिए और किसपे नही ©Aptaj Sumra प्यार के चक्कर में कभी नहीं पड़ना चाहिए
Ek villain
किसी भी बल का प्रयोग लोक कल्याण और सर्जन के कामों के लिए होता है तो उसे बल का सदुपयोग कहा जाता है इससे प्राकृतिक अर्थव्यवस्था को संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है अनर्थ बल के दुरुपयोग होने से प्राकृतिक व्यवस्था असंतुलित होती है फिर तो नाना प्रकार की समस्याएं खड़ी हो जाती है अक्सर किसी बल में वृद्धि होने पर व्यक्ति के अंदर है करा दी द्विगुण आ जाते हैं व्यक्ति अपने विवेक को खो देता है फिर अनाचार और अत्याचार करने पर उतारू हो जाता है बल्कि वृद्धि एक ईश्वरीय कृपा है सदुपयोग से यह निरंतर बढ़ता है लेकिन दुरुपयोग से मानवता अनुकूलन लगती है उस स्थिति में परमात्मा इस बल को वापस भी ले लेती है याद रखें जो देना चाहता है वह लेना भी जानता है प्राकृतिक में सभी को जीवन जीने का अधिकार समान रूप से परमात्मा ने प्रदान किया है सब को प्राणवायु अकाश प्रकाश आदि संसाधनों की आपूर्ति परमात्मा के द्वारा होती है सभी प्राणी परमात्मा पर आश्रित है समस्त प्राणी के पालन करता परमात्मा है लेकिन अज्ञानी व्यक्ति थोड़ा बहुत बल प्राप्त होने पर स्वयं को ही इस धारा का मालिक समझ बैठता है अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझता उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है सच तो यह है कि सभी प्राणियों में परमात्मा परमेश्वर का वास है बुद्धि विवेक का स्थाई तत्व जब मनुष्य के मस्तिक में रहता है तो वह परमात्मा द्वारा निर्मित प्रीति से प्रेम करता है उसे सुरक्षित रखने का प्रयत्न करता है सृष्टि के कण-कण में उसे परमात्मा तत्व का स्वरूप दृष्टिगोचर होता है वह सभी जीवधारी के प्रति श्रद्धा सम्मान प्रेम और स्नेह रहता है किसी को देख कर उसे स्वयं के अंदर दुष्ट कष्ट का अनुभव होने लगता है ©Ek villain #बल प्रयोग मानव जीवन में #Drown
( prahlad Singh )( feeling writer)
ll अगर लोग रास्ता गलत दिखा दे गर तो अपने मन के हल से चल पड़ना चल पड़ना ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) चल पड़ना#LongRoad