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Parasram Arora
पहाड़ से गिरते झरने सफेद दूधिया घनी सुबह की नारंगी किरणे झगड़ती मैंना चहचहाती गौरया कूकती कोयल और आकाश मे उड़ते असंख्य झुण्ड पक्षियों के........ मुझमे एक निर्मल नमी का संचार कर गये हैँ मुझे लगता हैँ मेरी अंतरंग यात्राओं के ये आत्मीय सहचर.. आने वाले युगो मे भी मेरे साथ बने रहेंगे.. और गवाही देती. रहेंगी मेरी धडकने सिहरने और ये मौन ध्वनियों की शाश्वत अभिव्यक्तिया इसीतरह मौन ध्वनियों की शाश्वतता
Pankaj Neeraj
Divyanshu Pathak
शब्दों के उस पार जाकर बैठना चाहती हूँ, किसी बहुत पुराने मौन खड़े वृक्ष के नीचे। अपनी अपनी धुन पर नाचने वालों को छोड़, जहाँ सुन सकूँ प्रकृति की साश्वत ध्वनियों को। : पाठकपुराण की ओर से शुभरात्रि साथियो.....😊💐💐💐💐💐 #yqdidi #
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म...। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। अ मतलब अकार, उ मतलब ऊंकार और म मतलब मकार। 'अ' ब्रह्मा का वाचक है जिसका उच्चारण द्वारा हृदय में उसका त्याग होता है। 'उ' विष्णु का वाचक हैं जिसाक त्याग कंठ में होता है तथा 'म' रुद्र का वाचक है और जिसका त्याग तालुमध्य में होता है। 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ शब्द तीन ध्वनियों से बना हुआ है- अ, उ, म...। इन तीनों ध्वनियों का अर्थ उपनिषद में भी आता है। अ मतलब अकार, उ मतलब ऊंकार और म मतलब मकार। 'अ'
Sachin Pratap Singh
“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 😢🙏 ©Sachin Pratap Singh #LataMangeshkar “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला क
Randhir Kumar Jha
Luv Sharma
“स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति की गोद में सो गया।सरस्वती माँ की आवाज़, अपनी पुण्य-काया को त्यागकर, परमसत्ता के धाम चली गई।स्वरों की ममतामयी माँ तुम हमारे लोककंठ में थीं,हो रहोगी 🙏 शतः शतः नमन 🌹 ©Luv Sharma “स्वर-लोक” की माँ “सुर-लोक” की महायात्रा के लिए प्रस्थान कर गईं।हमारी मंगल-ध्वनियों, हमारी भाव-गंगोत्री को गीत करने वाला कंठ, परम विश्रांति
Sonu Mishra
यहाँ अपनी लड़ाइयां सबने खुद लड़ी, चाहें राजा राम हो या गौतम बुद्ध हमें भी अपनी लड़ाईयां खुद ही लड़नी होगी. देश के कुंठित विचारो से जातिवाद के प्रहारों से. लोगो के विषैले बातो से. स्वार्थ हित के ध्वनियों से. ग
Divyanshu Pathak
अज्ञान प्रमाद आलस्य को दूर भगाता है। स्मृति और कल्पनाओं को पंख लगाता है। ध्वनियों से शुरू करता है अक्षर यात्रा को! अक्षर से जोड़ अक्षर नए शब्द बनाता है। मन के अंधकार में जलता है दीपक सा ! शिक्षक रौशनी से मुलाक़ात कराता है। पत्थर को तराशने में लग जाता शिल्पी ! वह भी कुछ इस तरह से मूरत बनाता है। नादानी में तो नहीं समझे अब जान गए! 'पंछी' क़र्ज़ ए मुदर्रिस चुकाया नहीं जाता है। अज्ञान प्रमाद आलस्य को दूर भगाता है। स्मृति और कल्पनाओं को पंख लगाता है। ध्वनियों से शुरू करता है अक्षर यात्रा को! अक्षर से जोड़ अक्षर नए
सुसि ग़ाफ़िल
दो प्रेमियों के संगम से बनी धारा को " म़रहम़ " कहते हैं ... मैं और तुम जब साथ होते हैं तो मैं और तुम नहीं , हम म़रहम़ होते हैं| अक्सर हम म़रहम़ होते हैं ... दो प्रेमियों के संगम से बनी धारा को " म़रहम़ " कहते हैं ... मैं और तुम जब साथ होते हैं तो मैं और तुम नहीं , हम म़रहम़ होते हैं|