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Ashish Panjwani
मत पूछो मैं कहाँ मिलता हूँ, उसके दिल की गहराइयों रहता हूँ जाग जाता हूँ सुबह उसकी अंगड़ाईयों में, रात उसकी बाहों तले सोता हूं कभी उसकी आँखों के काजल, कभी उसके होठों की लाली में मिलता हूं, जुल्फों के उसकी छाँव में कभी, कभी उसकी पायल सा खनकता हूं उसकी आवाज के नशे में बहकता हूं, उसकी हँसी संग मैं भी चहकता हूं उसकी खुशबू में महकता हूँ, उसकी अगन में दहकता हूं ढूढ़ना हो तो वही मिलूंगा कहीं, जब उसकी धड़कन में धड़कता हूं -आशु कहाँ रहता हूँ
देवेन्द्र आमेरिया
मैं यहां हूँ, वहाँ हूँ, जहाँ हूँ सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ देखे कोई जो इस पत्थर को खो गया हूँ, अंदर हूँ, मिट्टी से सना हूँ वो आयेगी, बारिश बनकर धो देगी मुझे, पहचान ही लेगी उसी के इंतजार में, मैं ज़माने से ख़फ़ा हूँ तरस रहा हूँ कि तराशा जाऊँ पूजा जाऊँ और देव बन जाऊँ ये ख्वाब पाले अकेले में सो रहा हूँ किनारे पर हूँ सड़क के, वहीं पड़ा हूँ मैं यहां हूँ, वहाँ हूँ, जहाँ हूँ सोचता हूँ मैं अब कहाँ हूँ ।। ©देवेन्द्र आमेरिया मैं कहाँ हूँ #HeartBook
Mayaank Modi
हम, तुम तक बन कर हवा आ जाते । पर जो तुम ठुकराते तो बोलो कहाँ जाते ? #हवा #तुम #जाते #कहाँ #yqhindi #yqdidi #yqbaba
mk_lover_writes
वतन वतन वतन ओ मेरे वतन आ हिला दे आज ये गगन बन के शोला आज हम चलेंगे दुश्मन पे गाज बनके हम गिरेंगे ना तो हम रुकेंगे ना झुकेंगे क्या हैं हम जहां से हम कहेंगे रुकावटें है तोड़ देनी सारी आज हम पड़ेंगे सब पे भारी कदम कदम मिशाल सा रखेंगे और तोड़ देंगे तोड़ देंगे तोड़ देंगे..... ..... सारी दुनियां का भरम वतन वतन ......... आ हिला दे आज ये गगन अंश क्या है वंश भी मिटादे ख़ाक में मिलाके तू सुलादे बूंद बूंद लहू का हिसाब ले जवाब उनको गोलियों की आग दे चला चल चला चल तू चला चल हो आसमान या हो धरातल वर्तमान में तू ऐसा करके बदल दे आने वाला कल सीमाओं के बाग पड़े उजड़े खिला दे उनमें आज तू कमल तिरंगे की शान को बढ़ाके बढाके बढ़ाके ........ दुश्मन को आज करदे तू दफन वतन वतन वतन ........ आ हिला दे आज ये गगन सीमा पे तू जलजला वहादे तिरंगा आसमान में फैहरादे सारी तू शियासते भुला दे बुनियाद दुश्मनों की तुम हिला दे मां के सीने का दर्द है कम करना तू इंच इंच का हिसाब करना आंखों को जो उठाके बात करते उनके दिलों में डर है आज भरना ये रात फैसले की आज आयी दम भरके आज निकलो तुम शिपाही अरे आज हमसे आज हमसे आज हमसे ....... दुश्मन भी यहां आके करेगा नमन वतन वतन वतन आ हिला दे आज ये गगन जय हिन्द वतन वतन वतन
Neil Sharma
ठोकरों ने सिखा दिया , इंसानियत-ऐ- सबक़ , धूल के पत्थर को भी अब ,पैर कहाँ मरता हूँ मैं l छोटे शायर पैर कहाँ मरता हूँ मैं ......
श्री कन्हैया शास्त्री जी
तेरी यादों में खोया मैं हूँ तुझसे जुदा मैं कब जिया हूँ। नसा तेरे में ढूँढता दर बदर हूँ तू ही बता तू कहाँ और मैं कहाँ हूँ।। राधे राधे तू ही बता तू कहाँ और मैं कहाँ हूँ.....🌹